सभी त्यौहारों की अपनी कहानी है, अपने रिवाज़ हैं और उनके अपने तत्व होते हैं जिनसे मिल कर वो त्यौहार बनते हैं. जैसे होली रंगों से बनती है, दावाली दियों से, ईद सेवई से तो क्रिसमस केक से. अभी मौक है नवरात्र का इसकी भी अपनी अलग ख़ासियत है. 

पूरे नवरात्र के दौरान कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं, जिन्हें हम सिर्फ़ इस पूजा के दौरान ही सुनते हैं या सबसे ज़्यादा सुनते हैं, यही नवरात्र के तत्व हैं. 

1. कुट्टू का आटा/सिंघाड़े का आटा

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नवरात्रों के दौरान व्रत करने वाले अन्न का सेवन नहीं करते हैं. उनके लिए ख़ासकर कुट्टू के आटे या सिंघाड़े के आटे के पकवान तैयार किए जाते हैं. जिसे घर के अन्य सदस्य भी खाना पसंद करते हैं. 

2. कंजक पूजन

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कंजक खिलाना, यानी नवरात्र के आखिरी दिन नौ कन्याओं को खाना खिलाया जाता है और उन्हें तोहफ़े भी दिए जाते हैं. इस दिन छोटी उम्र की लड़कियों की अच्छी आमदानी हो जाती है. 

3. गरबा/डांडिया नाइट

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वैसे तो ये गुजरात की वजह से प्रसिद्ध हुआ है लेकिन अब हर छोटे-बड़े शहर में इसका आयोजन होता है. सब मुफ़्त के पास के जुगाड़ में लगे रहते हैं. इस दौरान फ़ाल्गुनी पाठक की आमदनी बढ़ जाती है. 

4. सेंधा नमक

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नवरात्र के खाने को पकाने के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल होता है. इससे टेस्ट में ज़्याद फ़र्क नहीं पड़ता, बस आयोडिन की कमी रह जाती है. 

5. रामलीला

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दसवें दिन रावणवध किया जाता है. लेकिन सीधे रावण वध कर देंगे तो कहानी लोगों को समझ नहीं आएगी इसलिए नवरात्र के दौरान एक-एक एपिसोड करके उसके पहले की कहानी दिखाई जाती है, जिसे रामलीला कहते हैं. 

6. माता के नौ रूप

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नौ दिन माता के नौ रूपों को समर्पित होते हैं, इसलिए तो इसे नवरात्री कहते हैं. नवरात्री साल में दो बार मनाया जाता है लेकिन इस समय की पूजा बड़ा महत्व है. क्योंकि इसी समय हर जगह सेल लगते हैं. 

7. पंडाल

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बड़े बड़े पंडाल और मूर्तियां आपको दूसरे त्यौहारों में भी देखने को मिल जाते हैं लेकिन उसकी तुलना दुर्गा पूजा के पंडालों से नहीं कर सकते. दूर्गा पूजा लगभग पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है. 

8. धुनुची डांस

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ये ख़ास कर बंगाली पूजा पद्धति में होता है. नाचने वाले हाथ में मिट्टी के बर्तन पकड़े रहते हैं जिसमें धूप जलती रहती है और ढेर सारा धुआं निकलता रहता है. 

9. लंगूर

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कंजक के साथ एक लड़के को भी साथ में खाने के लिए बिठाया जाता है. किसी जगह इसे लंगूर कहते हैं तो कहीं पर ‘भैरो’. जैसे वैष्णों देवी की दर्शन भैरो के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है, वैसे ही कंजक का खिलाना लंगूर के बिना अधूरा होता है. 

आप कमेंट कर के अपने नवरात्र के त्यौहार की ख़ास बता हमे बता सकते हैं.