एक दौर था जब वीडियो गेम्स की जगह गली-मोहल्ले में दोस्तों के साथ मस्ती होती थी. वो शाम होते ही छत पर पतंग उड़ाना, छुट्टियों में घूमना-फिरना और मम्मी का दिया हुआ खाना खा कर सो जाना. वो दौर 90’s का था, आज भी 90’s Kids बहुत सी यादें संजोये हुए हैं. वो यादें काफ़ी ख़ूबसूरत और हंसीन हैं. 

अगर आप भी 90 के दशक से ताल्लुक रखते हैं, तो बचपन में घर के बाहर बेचे जाने वाली कुछ चीज़ें भी याद होंगी. अगर भूल गये हैं, तो एक बार फिर से याद दिला देते हैं:  

1. चुस्की  

याद है कैसे सोते में भी हम ‘चुस्की ले चुस्की’ की आवाज़ सुनकर जाग जाया करते थे. गला कितना ही ख़राब क्यों न हो दोस्तों को बुलाकर चुस्की का आनंद उठाते थे. 

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2. बुढ़िया के बाल 

आज कल के लोग इसे कपास कैंडी भी बोलते हैं, लेकिन हम तो इसे आज भी बुढ़िया के बाल ही बोलते हैं.  

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3. चूरन 

ठेले पर चूरन और ईमली बिकते देख भाग कर चूरन खरीदना याद है? अरे, अब भला इस चीज़ को भी कोई कैसे भूल सकता था. 

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4. जामुन 

जामुन का मौसम आते ही घर के बाहर ‘जामुन ले लो जामुन’ की आवाज़ सुनाई देने लग जाती थी, फिर जामुन ख़रीद कर उस पर काला नमक छिड़क कर खाते थे.  

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5. कुल्फ़ी 

आज भी बाज़ारों में कुल्फ़ी बिकता देख घर के बाहर मिलने वाली कुल्फ़ी बहुत याद आती है.  

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6. कैंडी  

ये वाली रंग-बिरंगी Candy याद है, कितने मज़े से खाते थे न हम सब. 

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7. पॉपकॉर्न 

साइकिल पर जब पॉपकॉर्न बेचने वाला बंदा आता था, तो उसे देख कर दिल काफ़ी ख़ुश हो जाता था, पर वो म्यूज़िक काफ़ी Irritate करता था.  

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8. चना जोर गरम 

अरे चने ले लो चने…. कितना फ़न होता था ये सब भी.  

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9. गुब्बारे  

हर रविवार गुब्बारे वाला घर के बाहर से गुब्बारे ख़रीद लो चिल्लाता हुआ निकलता था और हम भाग कर पापा से उसे ख़रीदने की ज़िद करते.  

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10. मटका कुल्फ़ी 

मटका कुल्फ़ी, तो मम्मी को भी काफ़ी पसंद आती थी. इसलिये इसके लिये मम्मी झट से पैसे निकाल कर दे देती थी.  

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ज़िंदगी में कुछ मिले न मिले, बस एक बार इन यादों को दोबारा जीने का मौक़ा मिल जाये. 

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