अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की गिनती दुनिया के बेहतरीन राष्ट्रपतियों में होती है. वो न सिर्फ़ अमेरिका के राष्ट्रपति थे, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत भी थे. गिरने के बावजूद मंज़िल तक कैसे पहुंचा जाता है, इसकी प्रेरणा हमें अब्राहम लिंकन ने ही दी. आज भी अब्राहम लिंकन के विचारों और उनके जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है.   

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अब्राहम लिंकन अक्टूबर 1860 में अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने थे. राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने के महज़ एक महीने बाद ही अमेरिकी गृह-युद्ध शुरू हो गया था. इस युद्ध में 6 लाख से अधिक अमेरिकी नागरिक मारे गए थे. तमाम मुसीबतों के बाद आख़िरकार लिंकन युद्ध शांत करने और जीतने में सफ़ल रहे. युद्ध जीतने के बाद उन्होंने सबसे पहले दास-प्रथा को ग़ैर-क़ानूनी घोषित किया. 

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अब्राहम लिंकन को इसीलिए भी महान कहा जाता है क्योंकि बार-बार असफ़ल होने के बावजूद वो अमेरिका के राष्ट्रपति बने. अब्राहम लिंकन ने ही अमेरिका में गुलाम प्रथा को ख़त्म करके लाखों लोगों को मानवता का अधिकार दिया था. 

आज हम आपको अब्राहम लिंकन से जुड़ा एक ऐसा क़िस्सा बताने जा रहे हैं, जो बेहद दिलचस्प है-  

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दरअसल, हुआ यूं कि राष्ट्रपति बनने से पूर्व लिंकन दो बार सीनेट का चुनाव हार चुके थे. कुछ समय बाद जब अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए तो उन्होंने भी इसके लिए अपनी दावेदारी पेश की. लिंकन दिखने में बेहद दुबले-पतले थे. इस दौरान जब वो चुनाव प्रचार से घर लौटे तो उनको एक ख़त मिला. जिसे एक 11 साल की Grace Bedel ने लिखा था.  

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क्या दाढ़ी रखने से राष्ट्रपति बने थे लिंकन? 

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इस ख़त में उस Grace Bedel ने लिखा ‘डियर अब्राहम लिंकन आपका चेहरा बेहद दुबला-पतला है. अगर आप दाढ़ी रखना शुरू कर दें, तो काफ़ी अच्छे लगेंगे. अधिकतर महिलाओं को दाढ़ी-मूंछे पसंद होती हैं. अगर आप उन्हें अच्छे लगे तो वो अपने पतियों से भी आपको वोट देने को कहेंगी. आपको ज़्यादा से ज़्यादा वोट मिले तो आप अमेरिकी राष्ट्रपति भी बन सकते हैं’.  
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उस चुनाव में लिंकन रिकॉर्ड तोड़ वोट से अमेरिका के राष्ट्रपति बने. उस बच्ची की बात लिंकन को इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने दाढ़ी रखना शुरू कर दिया. वो अमेरिका के पहले राष्ट्रपति थे जिनकी दाढ़ी थी.  

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कौन थे अब्राहम लिंकन? 

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एक ग़रीब परिवार में जन्म लेने से लेकर दुनिया का सबसे ताकतवर राष्ट्रपति के बनने के पीछे की कहानी बेहद कठिनाईयों भरी है. लिंकन जब छोटे थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया था, सौतेली मां ने ही उन्हें पाला. बेहद ग़रीब परिवार से होने के कारण उन्हें कभी दुकान में सहायक का काम करना पड़ा, तो कभी पेट के लिए लोहे की छड़ें काटने से लेकर दंगल तक लड़ना पड़ा. इन सब परेशानियों के बावजूद उन्होंने पढ़ना जारी रखा. 

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अब्राहम लिंकन जब एक कपड़े की दुकान में काम किया करते थे, तो कपड़ों का गट्ठर सिर पर रखकर नीचे गणित के सवाल हल करने में लग जाया करते थे. इसी दौरान उन्होंने क़ानून की पढ़ाई की. 

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अब्राहम लिंकन के महान विचार 

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लिंकन कहते थे कि ‘जब मैं कुछ अच्छा करता हूं तो अच्छा अनुभव करता हूं और जब बुरा करता हूं तो बुरा अनुभव करता हूं. यही मेरा मज़हब है’. 


‘दुनिया का हर व्यक्त‍ि परेशानियों का सामना कर सकता है, अगर आप किसी शख़्स के चरित्र का पता लगाना चाहते हैं तो उसे सत्ता सौंप दें’. 

‘इस बात का हमेशा ख़्याल रखें कि सिर्फ़ आपका संकल्प ही आपकी सफ़लता के लिए मायने रखता है, कोई और चीज़ नहीं’. 

दोस्ती को लेकर लिंकन के विचार थे कि ‘दुश्मनों को दोस्त बना लो, तो दुश्मनी अपने आप ही ख़त्म हो जाएगी. दोस्त वही होता है, जिसके वही दुश्मन हों जो आपके हैं’.

Source: mashable