भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा पानी की किल्लत झेलता है. इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं गांव के किसान, जिन्हें खेती के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता. पीने के पानी के लिए लम्बी यात्रा करनी पड़ती है.

ऐसा ही कुछ हाल था आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले का. पानी की किल्लत से पूरा जिला परेशान था. लोग आस-पास के गांव और जिलों से पानी ला कर अपना गुज़ारा कर रहे थे. समस्या बढ़ती जा रही थी, लेकिन इन गांववालों की कोई सुनने वाला नहीं था. करीब 7 महीनों से गांव वाले सरकारी दफ़्तरों के चक्कर काट रहे थे.

वहां का ही रहने वाला विष्णु कई महीनों से अपने गांव नहीं गया था. इस कारण उसे वहां के हालातों का अंदाज़ा नहीं था, लेकिन जब उसकी मां ने गांव की दुर्दशा के बारे में बताया, तब उसने इसके लिए कोई ठोस कदम उठाने की सोची. उसने पहले वहां के जिला अधिकारियों से बात की, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला. उसने फ़ैसला किया कि वो इस परेशानी का कोई हल तो ज़रूर निकालेगा.

विष्णु ने Ministry of Drinking Water & Sanitation को एक Mail लिखी. इस Mail का असर दिखा. दो दिन के भीतर ही मंत्रालय से विष्णु के पास फ़ोन आया और उनके गांव की पूरी जानकारी ली गई.

जब केंद्रीय मंत्रालय से जिला अफ़सरों को इस समस्या का समाधान जल्द निकालने को कहा गया, तब वहां के काम की रफ़्तार देखने लायक थी. तेज़ी से हर काम और दस्तावेज़ तैयार किए गए. जब अधिकारियों ने इस समस्या की जांच शुरू की तो पता चला कि पूरे इलाके के पानी के पाइपों की हालत बिलकुल ख़राब थी और इससे पानी रिसने के कारण गांवों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा था.

एक Mail ने गांव की महीनों पुरानी समस्या को हल कर दिया. तकनीक ने अब आम जनता को सीधा सरकार और अधिकारियों से जोड़ दिया है. इससे अब दफ़्तरों के चक्कर काटने से आम जनता को आज़ादी मिली है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया विष्णु ने.

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