मुंबई की ज़िंदादिली की अक्सर चर्चा होती है. ऐसा माना जाता है कि दौड़ती-भागती मुंबई किसी के लिए नहीं रुकती, लेकिन इसी मुंबई की स्पिरिट देखने लायक होती है जब ये शहर किसी मुसीबत में होता है. मुंबई के ऐसे कई वाकये हैं जिनके बारे में जानकर लोग अक्सर इंसानियत पर भरोसा करने लग जाते हैं.

द पीपल प्लेस प्रोजेक्ट ने 2014 में People Called Mumbai नाम की एक किताब रिलीज़ की थी. इस किताब के ज़रिए मुंबई के आम लोगों और उनकी चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई थी. विनीता रामचंदानी को ये किताब इतनी पसंद आई कि उन्होंने इसके ऑरिजिनल कलेक्शन की 20 कहानियों को बच्चों के लिए एक नई किताब की शक्ल देने का फ़ैसला किया है.

रामचंदानी ने इस किताब से जुड़े अपने विचार भी रखे. उन्होंने कहा कि मॉर्डन ज़माने में लोग एक-दूसरे से कटते जा रहे हैं, खासकर मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में लोगों के पास समय ही नहीं है. ऐसे में बच्चों का अनुभव और लोगों को देखने का नज़रिया काफ़ी सिकुड़ कर रह गया है. इस किताब का मुख्य मकसद बच्चों को सहानुभूति से अवगत कराना और अलग-अलग तरह के लोगों की पर्सनैलिटी से रूबरू कराना है.

फन ओके प्लीज़ की फ़ाउंडर प्रीति व्यास का मानना है कि मुंबई शहर से जुड़ी ज़्यादातर कहानियां सफ़लता की कहानियां ही होती हैं. लेकिन बच्चों और लोगों को ये समझना ज़रूरी है कि मुंबई केवल अत्यधिक सफ़लतम किस्सों और किवंदतियों का सार ही नहीं है, बल्कि एक मुंबई के अंदर कई तरह की मुंबई बसती हैं और यही इस शहर की खूबसूरती का कारण है.

इस कलेक्शन में कई ऐसी सच्ची कहानियां हैं जो लोगों को मुंबईकर्स के ग्रे शेड्स से पाठकों को अवगत कराएंगी मसलन इसमें एक ऐसी लड़की की कहानी भी है, जो नॉर्थ ईस्ट से आई है, मॉडल बनना चाहती है लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल पाती. इसके अलावा एक शख़्स की भी मार्मिक कहानी शामिल है, जो खार के पास से खराब हुई मछलियों को इकट्ठा करता है और फ़ॉर्मा कंपनियों को सप्लाई करता है.

इस किताब की भाषा को बच्चों के हिसाब से काफ़ी आसान बनाने की कोशिश की गई है. किताब के प्रमोशन के लिए सोशल मीडिया पर एक प्रतियोगिता का भी आयोजन करवाया गया है और जीतने वाले बच्चे को किताब रिलीज़ होने के मौके पर स्टेज पर कुछ कहानियां सुनाने का मौका मिलेगा.