मोरना नदी के किनारे बसा अकोला कपास की खेती के लिए जाना जाता है. कभी इस शहर की लाइफ़ लाइन रही ये नदी लोगों की अनदेखी के चलते एक गंदे नाले में तबदील हो चुकी थी. इस नदी की ये दयनीय हालत ज़िले के कलेक्टर आस्तिक कुमार पांडे से देखी नहीं गई. और उन्होंने इसे साफ़ करने का मन बना लिया.
आस्तिक कुमार की पोस्टिंग जब अकोला में हुई थी, तभी उन्होंने मोरना नदी को साफ़ करने के लिए लोगों से अपील की थी. पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा, इसलिए पिछले साल जनवरी की एक सुबह वो ख़ुद ही नदी को साफ़ करने के लिए उसमें उतर गए.

उन्हें नदी की सफ़ाई करते देख अकोला के लोगों में नदी को साफ़ करने की प्रेरणा जाग उठी. उस दिन ज़िले के करीब 6000 लोगों ने मिलकर मुरना नदी को साफ़ करने के अभियान में हिस्सा लिया. इनमें किसान, आम नागरिक, सरकारी अधिकारी और छात्र भी शमिल थे.
नदी से निकाली 19,300 जलकुंभी और 8,440 प्लास्टिक का कचरा
तीन महीने बाद इस साप्ताहिक अभियान में लगभग 28,000 लोगों ने हिस्सा लिया. ज़िले के रिकॉर्ड के मुताबिक, इन सभी ने मिलकर 19,300 जलकुंभी और 8,440 प्लास्टिक के सामान(कचरा) को बाहर निकाला, जो इस नदी को नाला बनाने पर तुले हुए थे.

उस आंदोलन के 1.5 साल बाद अब इस नदी के किनारे दो सीवेज़ ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं, जो शहर के गंदे पानी को साफ़ कर नदी में छोड़ने का काम कर रहे हैं. इसके किनारे 182 सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं. इसके किनारे जो कभी खुले में शौच करने के कारण बदबुदार बने हुए थे, अब वो धीरे-धीरे जॉगिंग ट्रैक के रूप में विकसित हो रहे हैं.
इस असाधारण कार्य के लिए ज़िले के कलेक्टर को किया गया था सम्मानित
मोरना नदी की ऐसी कायाकल्प करने के लिए कलेक्टर अस्तिक कुमार को Express Excellence In Governance अवॉर्ड से 21 अगस्त को सम्मानित किया गया था.

साल 2017 में जब आस्तिक कुमार ने मोरना नदी को देखा था, तो वो जलकुंभी, प्लास्टिक आदि के चलते बजबजा रही थी. तब उसमें छोटे-बड़े क़रीब 32 नाले गिरते थे, जो उसे प्रदूषित कर रहे थे. नदी की सफ़ाई के लिए हर साल ज़िला प्रशासन की तरफ़ से एक प्राइवेट कॉन्ट्रेक्टर को 38 लाख रुपये दिए जा रहे थे. लेकिन फिर भी नदी की हालत जस की तस थी.

आस्तिक कुमार ने सबसे पहले उसके कॉन्ट्रैक्ट को ख़त्म किया और लोगों से नदी को साफ़ करने के लिए आगे आने की अपील की. पहले तो लोगों को डर था कि गंदी नदी में कूदने से उन्हें कोई बीमारी लग जाएगी. लेकिन जब उन्होंने देखा कि कलेक्टर स्वयं नदी की सफ़ाई में जुटे हैं, तो उनके मन का डर जाता रहा. लोगों ने मिलकर इसकी सफ़ाई कर डाली.

पीएम मोदी ने भी की थी प्रशंसा
कलेक्टर ने नदी की सफ़ाई के लिए मिली डोनेशन से लगभग 17 लाख रुपये इक्टठे किए थे. इसका इस्तेमाल नदी के सौंदर्यीकरण में किया गया है. पीएम मोदी ने भी अकोला के लोगों की प्रशंसा अपने मन की बात कार्यक्रम में की थी. इसी साल राज्य के वित्त मंत्री ने इसके सौंदर्यीकरण के लिए 4 करोड़ रुपये जारी किए हैं. अब यहां पर बैडमिंटन कोर्ट, बोटिंग और मनोरंजक स्थल बनाने की योजना है.
Here’s a glimpse of Morna river after 1st rain in Akola.
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) June 7, 2018
Our salute to every citizen who worked hard for #CleanMorna mission!
अकोला येथील मोरणा नदी लोकसहभागातून स्वच्छ करण्यात आल्यानंतर पहिल्याच पावसात तिच्या पात्रात असे पाणी साचले. या अभियानात सहभागी सर्वांचे मनःपूर्वक अभिनंदन! pic.twitter.com/d86rfk1wOI
अब आस्तिक कुमार का ट्रांसफ़र दूसरे ज़िले में हो गया है. लेकिन अब जब भी नदी में जलकुंभी या अन्य कचरा दिखाई देने लगता है, तो लोग स्वयं पानी में उतर कर उसे बाहर निकाल देते हैं.
देश की दूसरी नदियों को कैसे साफ़ किया जा सकता है, ये हमें अकोला ज़िले के लोगों से सीखना चाहिए.