ईमानदारी एक ऐसा शब्द जो शायद अब कम लोगों में ही देखने को मिलती है. जिस दौर में लोग चंद रुपयों के लिए अपना ईमान तक बेच देते हैं. उस दौर में अब भी आपको कुछ ऐसे ईमानदार लोग मिल जायेंगे, जिनके लिए आज भी उनका ईमान सबसे बढ़कर है. इसके लिए वो किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करते, चाहे उनके सामने कितनी भी दौलत क्यों न रख दे. कभी कभार हमें ऐसी ख़बरें सुनने और देखने को मिल जाती हैं. लेकिन ये सच है कि आज भी हमारे बीच कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं.

1. रविकुमार

swatantraprabhat

चेन्नई के सरवना भवन में वेटर रवि ने ईमानदारी की मिसाल क़ायम करते हुए 25 लाख की नकदी से भरा लावारिस बैग वापस लौटाया. रेस्तरां में काफ़ी भीड़ होने के कारण कोई ग्राहक ग़लती से अपना बैग टेबल पर ही भूल गया था. नाईट शिफ़्ट में काम कर रहे रवि की नज़र जब बैग पर पड़ी, तो उसने रेस्तरां के मैनेजर लोगंथन को सूचित किया. मैनेजर ने जब बैग खोला, तो उसमें 2 हज़ार के नोट के करीब 23 बंडल थे. जब किसी ने पैसे की दावेदारी नहीं की तो मैनेजर ने बैग चेन्नई पुलिस को सौंप दिया.

2. धर्मेंद्र सिंह

udaydinmaan

भारतीय सेना के जवान न सिर्फ़ बहादुर, बल्कि ईमानदार भी होते हैं. कर्नाटक से उत्तराखंड के केदारनाथ धाम के दर्शन कर तीर्थ यात्रियों का एक दल पैदल वापस लौट रहा था. इस दौरान यात्रियों का पैसों और गहनों से भरा बैग रास्ते में कहीं गिर गया. तब वहीं से गुज़र रहे भारतीय सेना के जवान धर्मेंद्र को एक बैग मिला. खोलकर देखा तो उसमें पैसे, गहने, एक मोबाइल और कुछ ज़रूरी सामान था. इसके बाद धर्मेंद्र ने ईमानदारी दिखाते हुए बैग रुद्रप्रयाग पुलिस को सौंप दिया.

3. विशाल कुमार

amarujala

सूरत निवासी 15 साल के विशाल को खेलते वक़्त 45 लाख रुपये के हीरों से भरी एक थैली मिली. विशाल और उसके पिता ने ईमानदारी का परिचय देते हुए थैली को इसके मालिक और हीरा कारोबारी मनसुखभाई सवालिया को लौटा दी. सूरत हीरा संघ (SDA) ने चौकीदार पिता और उसके बेटे विशाल को इसके लिए सम्मानित भी किया.

4. मारुति नंदन

साहिबाबाद के राजेंद्र नगर स्थित बीकानेर रेस्टोरेंट के मैनेजर मारुति नंदन ने ईमानदारी की मिसाल पेश करते हुए 3.5 लाख रुपयों से भरा बैग वापस लौटाया. दिल्ली के एक कारोबारी एसपी जालान खाने के बाद अपना बैग वहीं भूल गए थे.

5. विश्वजीत गुप्ता

navbharattimes

रेल की पटरियों पर कचरा बीनने वाले विश्वजीत गुप्ता को एक महिला का 32 हज़ार रुपये व अन्य सामान से भरा हैंड बैग मिला. जिसे विश्वजीत ने उस महिला को लौटाया.

6. अमित गुप्ता

ludhianalive

ऑटो ड्राइवर अमित गुप्ता ने पेशे से टीचर सरला नामबूदिरी का 80 हज़ार रुपये समेत अन्य कीमती दस्तावेज़ों से भरा बैग लौटाकर ईमानदारी की मिसाल कायम की है. सरला अब अमित गुप्ता के दो बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएंगी.

7. अरुण कुमार

jagran

पलवल के सुल्तान गांव निवासी अरुण कुमार ने ईमानदारी की मिसाल कायम करते हुए पैसों व ज़रूरी कागजातों से भरा बैग उसके मालिक को वापस लौटाया. ओल्ड फ़रीदाबाद निवासी वीरेंद्र का अलीगढ़ में मोटर साइकिल से बंधा बैग कहीं गिर गया. इस बीच वहां से गुज़र रहे अरुण ने सड़क पर पड़े बैग को उठा लिया जिसमें करीब 13 हज़ार रुपये व ज़रूरी दस्तावेज मिले. बैग में मिले फ़ोन नंबर के आधार पर अरुण ने वीरेंद्र को उनका बैग लौटा दिया.

8. राजेंद्रभाई दंतानी

navbharattimes

राजेंद्रभाई दंतानी पिछले 32 साल से अहमदाबाद शहर में रिक्शा चला रहे हैं. एक बार राजेंद्रभाई के ऑटोरिक्शा में एक NRI महिला स्वातिबेन देसाई अपना बैग भूलकर उतर गईं. इस बैग में कैश, पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड, आईडी प्रूफ़ और कई ज़रूरी सामान रखे हुए थे. लेकिन राजेंद्रभाई ने ईमानदारी दिखाते हुए जिस जगह पर महिला को उतारा था, वहां लोगों से पूछकर स्वातिबेन का पता लगाकर उनके घर जा पहुंचे और उन्हें उनके सामान सहित बैग लौटा दिया.

9. अमरजीत सिंह

dainiktribuneonline

चंडीगढ़ के मोहाली निवासी अमरजीत सिंह पेशे से ऑटो ड्राइवर हैं. एक परिवार ग़लती से उनके ऑटो में गहनों और पैसों से भरा बैग भूल गए. अमरजीत ने जब उस परिवार को ढूंढने का प्रयास किया तो उन्हें सफ़लता नहीं मिली. इसके बाद ऑटो चालक ने अपना नंबर व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर कर उस परिवार तक पहुंच करने की कोशिश की और क़रीब चार घंटे बाद किसी की मदद से बैग के मालिक का पता लगाया और पैसों व ज्वैलरी से भरा बैग उस परिवार को लौटा कर र्इमानदारी की मिसाल पेश की.

10.  देबेंद्र कापड़ी

पेशे से कैब ड्राईवर देबेंद्र कापड़ी ने रोज़ाना की तरह दिल्ली एयरपोर्ट से मुबिशर वानी नाम के व्यक्ति को अपनी टैक्सी से पहाड़गंज इलाके तक छोड़ा. जब वो वापस एयरपोर्ट लौटे, तो देखा कि टैक्सी में सवारी का बैग छूट गया है. इस बीच देवेंद्र ने ईमानदारी दिखाते हुए बैग दिल्ली एयरपोर्ट पुलिस को सौंप दिया. डीसीपी, संजय भाटिया ने जब बैग खोलकर देखा तो उसमें विदेशी करेंसी, गहने, लैपटॉप, iPhone,पासपोर्ट, वीज़ा जैसे कई ज़रूरी दस्तावेज़ थे. उनकी इस ईमानदारी की वजह से देबेंद्र को रेडियो मिर्ची ने हीरो बना दिया. उनके 70 हज़ार रुपये के कर्ज़े के लिए एक मुहीम शुरू की गयी और दिल्ली वासियों की मदद से एक घंटे में ही 90 हज़ार रुपये इकठ्ठे हो गए.

11. मड्डेला लक्ष्मी

तेलंगाना की सफ़ाई कर्मचारी मड्डेला लक्ष्मी कूड़े में मिले 1 लाख रुपये उसके मालिक को लौटाकर ईमानदारी की मिसाल कायम कर चुकी हैं.

दौर चाहे कोई भी हो इंसान को अपनी ईमानदारी हमेशा यूं ही कायम रखनी चाहिए क्योंकि ईमानदारी से किया गया हर काम इंसान के दिल को सुकून देता है.