Centre for Science and Environment (CSE) की एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि जनरेटर की तुलना में छत पर लगाये जाने वाले सोलर पावर प्लांटस से प्राप्त बिजली की लागत लगभग आधी होती है.

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इसके अलावा यह भी पता चला कि अब सोलर प्लांटस लगाना इतना महंगा नहीं रहा है, जितना लोग समझते हैं. रिसर्च में बताया गया कि डीजल जनरेटर से बिजली पैदा करने में एक यूनिट की लागत 27-33 रुपये आती है, वहीं छत पर लगाये जाने वाले सोलर पावर प्लांटस से एक यूनिट बिजली केवल 10 रुपये खर्च करके प्राप्त की जा सकती है. इस शोध में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की अनेक रिहायशी बस्तियों को शामिल किया गया.

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अधिकतर बस्तियों में यह बात देखने को मिली की लोग कुछ समय के लिए होने वाले पावर कट के दौरान बिजली की आपूर्ति के लिए जनरेटर यूज़ करते हैं. CSE ने बताया कि अधिकतर बस्तियों की पावर कट के दौरान होने वाली मांग को रुफ़टॉप सोलर पावर प्लांटस की मदद से पूरा किया जा सकता है.

इसके अलावा कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठाने के लिए भी संस्था ने सुझाव दिए हैं.

1. भविष्य में बनने वाली सभी नई रिहायशी बस्तियों के लिए छत पर सोलर प्लांटस लगाना अनिवार्य कर दिया जाये.

2. प्रदूषित क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतों में जनरेटर के उपयोग को बैन किया जाये.

3. लोगों को अपने घरों की छतों पर सोलर प्लांटस लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

4. रुफ़टॉप सोलर पावर प्लांटस सिस्टम के लिए सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाये.

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सोलर उर्ज़ा के प्रयोग को बढ़ावा देने की दिशा में CSE ने एक वेबसाइट बेस्ड रुफ़टॉप सोलर कैलकुलेटर भी बनाया है. जिसमें पिनकोड डालने पर घर को कितनी उर्ज़ा की आवश्यकता है और उसे उस क्षेत्र में कितनी ऊर्ज़ा सोलर के बेसिस पर मिल सकती है, इस तरह की तमाम जानकारियां मिल जाती हैं. फ़िलहाल सरकार ने ऐसा एक और कैलकुलेटर बना रखा है, जिसकी मदद से सम्बंधित घर में सोलर प्लांट लगाने की क्या लागत आएगी, इसके बारे में पता लगाया जा सकता है.

आने वाला समय ग़ैरपरम्परागत ऊर्ज़ा स्रोतों का ही है. ऐसे में हमें इन साधनों के प्रयोग की ओर जल्द से जल्द अपने कदम आगे बढ़ाने चाहिए, जिससे पर्यावरण के साथ-साथ आर्थिक स्वावलम्बन को भी बढ़ाया जा सके.