जानवरों के Camouflage के बारे में तो सुना था. यानी ख़ुद को बचाए रखने के लिए अधिकतर जानवर वातावरण में अपने शरीर को ढाल लेते हैं. ऐसा लगता है मानो वो अपने आस-पास के वातावरण का ही हिस्सा हों. ऐसे वो दूसरे जंगली जानवरों से ख़ुद बचाए रखने में सफल हो पाते हैं. 

मगर एक नई रिसर्च में पाया गया है कि ये तरकीब सिर्फ जानवर ही नहीं पेड़-पौधे भी खुद को महफ़ूज़ रखने के लिए अपनाते हैं. कीटों द्वारा पता लगाने और खाए जाने से बचने के लिए पेड़-पौधे अपने रासायनिक सुगंध को छिपा लेते हैं. 

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यूरोप और उत्तरी अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने मैक्सिको के पश्चिमी तट पर एक वन रिजर्व में, कीटों की 28 और 20 पौधों की प्रजातियों की जांच की. 

उनकी ये रिसर्च इस बात पर रोशनी डालती है कि कैसे जंगली पौधों की कई प्रजातियां ने ख़ुद को इस लायक विकसित कर लिया है ताकि वो लम्बे समय तक जीवित रहें और उनकी इस सुगंध से भूखे शाकाहारी कीट और जानवर उन्हें खा न सकें.   

ब्रिटेन के रॉयल बोटैनिकल गार्डन, केव के एक शोधकर्ता प्रोफ़ेसर फ़िल स्टीवेन्सन ने कहा, “आसानी से पहचान में आ जाने वाली अलग-अलग सुगंध शाकाहारियों के लिए एक बड़ा फायदा और पेड़-पौधों के लिए नुक़सान है.” 

इसके लिए पेड़-पौधे ख़ुद को बचाने के लिए दूसरे पौधों की रासायनिक सुगंध निकालते हैं.  

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ऐसा करने के लिए, शोधकर्ताओं ने सिलिकॉन ट्यूबों में लगभग दो दर्जन पौधों की प्रजातियों द्वारा उत्सर्जित रासायनिक गंध को एकत्र किया, जिन्हें फिर से विश्लेषण करने के लिए बोटैनिकल गार्डन में लाया गया. 

मनुष्यों में संचार पैटर्न को समझने की एक तकनीक और विकासवादी जीव विज्ञान की मौजूदा समझ द्वारा वैज्ञानिक पेड़ो और शाकाहारियों में संचार नेटवर्क के मॉडल का निर्माण करने में सक्षम थे.  

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में पेंगजुआन ज़ू ने कहा, “हम जानते हैं कि पौधों द्वारा उत्पादित सभी रसायन कुछ न कुछ जानकारी रखते हैं जो इन पौधों को अपने जटिल समुदाय में छल से ख़ुद को छुपाने में मदद करता है.” 

ये अध्ययन वैज्ञानिकों को यह समझने में भी मदद कर सकता है कि खाद्य श्रृंखला में विभिन्न प्रजातियों के बीच जानकारी कैसे दी जाती है.