एसिड अटैक ये शब्द सुन कर ही जब हमारी रूह कांप जाती है, तो ज़रा सोचिये कि जो इसका शिकार हुआ होगा उसकी क्या हालत होती होगी. इसमें कोई दो राय नहीं है एसिड का शिकार हुई महिलाओं की ज़िन्दगी में एकदम से उथल-पुथल मच जाती है. इससे केवल उनका शरीर ही नहीं, बल्कि आत्मा भी झुलस जाती है. उनके लिए ज़िन्दगी मानो बेमानी सी हो जाती है. कई बार एसिड विक्टिम्स इस सदमे को झेल नहीं पाती हैं और अपनी जान तक ले लेती हैं. लेकिन कुछ ऐसी भी हैं, जिन्होंने एसिड अटैक के बाद पूरी तरह से झुलस चुके अपने शरीर को आत्मविश्वास के साथ अपनाया है और मिसाल कायम की है. पर हम आज यहां बात कर रहे हैं कि ऐसी स्थिति में परिवार वालों की बात तो छोड़ ही दो, ज़्यादातर महिलाओं का कोई हाथ भी नहीं थामना चाहता है. लेकिन एसिड का शिकार हो चुकी प्रमोदिनी राउल की कहानी इससे बिलकुल उलट है.

प्रमोदिनी की कहानी बेहद ही दर्दनाक है. महज 15 साल की उम्र में अर्द्ध सैनिक बल के एक सैनिक ने उन्‍हें शादी के लिए प्रपोज किया था, लेकिन प्रमोदिनी ने उसका ये प्रस्ताव ठुकरा दिया. और किसी ने सच ही कहा है कि एकतरफा प्यार में पड़ा आशिक लड़की के इंकार को झेल नहीं पाता है. ऐसा ही हुआ उस सैनिक के साथ और बदले की आग में उसने प्रमोदिनी के मुंह पर एसिड फेंक दिया, जिसके कारण उनकी दोनों आंखों की रौशनी चली गई और चेहरे का मांस झुलस कर लटक गया था.

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इस भयंकर हादसे के बाद उनका काफ़ी लंबा वक़्त अस्पताल में ही बीता था. ज़रा सोचिये कि ऐसी स्थिति में क्या उनके दिमाग में ये बात आई होगी कि उनको भी कोई प्यार करेगा या उनके दिल की धड़कन की के लिए तेज़ी से धड़केंगी. लेकिन ऐसा हुआ और उनकी ज़िन्दगी में किसी की एंट्री हुई.

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हुआ यूं कि जब प्रमोदिनी के फ़ेस की सर्जरी करने के लिए डॉक्टर्स ने उनके पैर का मांस निकाला था. लेकिन ढंग से पैर का इलाज किये बिना उनको हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया. इस कारण प्रमोदिनी के पैर में इन्फ़ेक्शन हो गया और पस पड़ गया. और प्रमोदिनी को दोबारा इलाज के लिए हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा. यहीं पर पहली बार उनकी मुलाक़ात सरोज साहू से हुई, जो वहीं की एक नर्स के फ्रेंड थे.

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जब डॉक्टर्स ने प्रमोदिनी के पैर का चेकअप किया तो उनको पता चला कि पैर की हालत ख़राब है और उनको चलने-फिरने में चार साल या उससे ज़्यादा का समय लग सकता है. ये बात सुनकर प्रमोदिनी की मां रोने लगीं, तब सरोज ने उन्‍हें ढांढस बंधाते हुए उनकी मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया.

उसके बाद से सरोज रोज़ हॉस्पिटल आने लगे और प्रमोदिनी की मां और उनको दिलासा देते और मदद भी करते. लेकिन शुरुआत में सरोज और प्रमोदिनी की कोई बात नहीं होती थी. धीरे-धीरे दोनों की बात शुरू हुई और दोनों करीब आते गए. और फिर एक दिन सरोज ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपना पूरा समय प्रमोदिनी की सेवा में गुज़ारने लगे. मगर प्रमोदिनी अपनी शारीरिक स्थिति से पूरी तरह से वाकिफ़ थीं, इसलिए वो इस रिश्ते को आगे बढ़ने नहीं देना चाहती थीं. लेकिन एक दिन जब सरोज ने उन्‍हें शादी के लिए प्रपोज़ किया तो वो मना नहीं कर पायीं. और उन्हें एहसास हो गया कि अब सरोज के साथ के अलावा वो कहीं और नहीं रह सकतीं. इसी के साथ सरोज साहू और प्रमोदिनी राउल ने इस बात को सच कर दिखाया है कि प्‍यार शरीर से नहीं आत्‍मा से किया जाता है.

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आपको बता दें कि सरोज और प्रमोदिनी 2016 से दिल्‍ली में साथ-साथ रह रहे हैं और जल्‍द ही वो शादी के बंधन में बंधने की प्‍लानिंग कर रहे हैं.

प्रमोदिनी ने dailymail को बताया,

सरोज मुझे किसी रानी की तरह रखता है. मैं जैसी हूं वो मुझे और मेरे उसी रूप को प्‍यार करता है. वो हमेशा मुझे खुश रहकर ज़िन्दगी जीने के लिए प्रोत्‍साहित करता है. अब तो वो मेरे शरीर का एक हिस्‍सा बन चुका है. अगर वो मेरी ज़िन्दगी में नहीं होता तो मैं फिर कभी इस दुनिया को नहीं देख पाती.

बहरहाल, प्रमोदिनी सरोज के साथ अपनी पूरी ज़िन्दगी बिताने के लिए बहुत उत्‍साहित हैं.

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गौरतलब है कि अभी प्रमोदिनी की कुछ और सर्जरीज़ होनी हैं जिसके बाद वो सरोज के साथ शादी के बंधन में बंध जाएंगी. लेकिन बेहद अफ़सोस की बात है कि प्रमोदिनी का पर एसिड फेंकने वाला आदमी अब भी आज़ाद है.

इन दोनों का प्‍यार सच्‍ची मोहब्‍बत का जीता-जागता उदाहरण है. ग़ज़बपोस्ट की ओर से प्रमोदिनी और सरोज को उनकी आने वाली ज़िन्दगी के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं.