कहते हैं जो करना है आज कर लो, कल का क्या भरोसा. हम अकसर सपने तो खूब देखते हैं, पर कुछ ही पूरे होते हैं. जो पूरे नहीं होते, वो शायद इसलिए कि हम सिर्फ़ ख्यालों में वक़्त बर्बाद कर देते हैं, उनके लिए मेहनत नहीं करते. हम दूसरों को अपनी नाकामयाबी का दोष देते हैं. कुछ ऐसे ही लोगों के लिए एक मिसाल हैं एसिड अटैक पीड़ित लक्ष्मी सा.
लक्ष्मी पिछले कुछ सालों से ‘छांव फाउंडेशन’ नाम का NGO चला रही हैं, जो एसिड अटैक पीड़ितों को बेहतर ज़िन्दगी देने में मदद करती है. लक्ष्मी सा और उनके साथ की चार लड़कियां अब टैटू बनाना सीख रही हैं. ‘Body Canvas Tattoos’ के फाउंडर विकास मलानी ऐसी वोकेशन्ल वर्कशॉप करते रहते है. लक्ष्मी और बाकी साथियों ने अपने हाथ पर ‘Freedom’ लिखवाया.
उनका कहना है कि-
ये टैटू मुझसे जुड़ता है. ये आज़ादी को दर्शाता है और मैं दुनिया को दिखाना चाहती हूं कि एक आज़ाद चाह क्या होती है और हमारे लिए एक नज़रिए होना किसे कहते हैं. ये वर्कशॉप हमारी इस चाह को पूरी कर रही है इसलिए हम इससे जुड़ रहे हैं.