Iceberg के बारे में आपने जितना भी पढ़ा होगा, ये तो अच्छे पता होगा कि इसकी जितनी सतह ऊपर दिखती है, उससे कहीं ज़्यादा पानी से नीचे रहती है. अन्टार्टिक में इस वक़्त ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से तेज़ी से बर्फ़ पिघल रही है. बर्फ़ से पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ने, बाढ़ आने और समुद्र के किनारे बसे शहरों के जलमग्न होने की चेतावनियां भी सामने रहती हैं.

शायद लोग भविष्य के इस ख़तरे को लेकर एक तरह से सहज हो चुके हैं, लेकिन अंटार्टिका गए कुछ Geologists का ये ख़ुलासा सबकी नींद उड़ाने के लिए काफ़ी है.

Edinburgh University के कुछ Researchers और वैज्ञानिकों की टीम ने अंटार्टिका की सतह के नीचे लगभग 100 ज्वालामुखी खोजे हैं. सबसे ज़्यादा चिंता की बात ये है कि इनकी हाइट स्विट्ज़रलैंड के पहाड़ों जितनी, लगभग 3800 मीटर तक है. 

अभी तक अफ़्रीका वाले क्षेत्र को सबसे ज़्यादा घनत्व में ज्वालामुखी होने वाले जगह माना जाता था, लेकिन इस डिस्कवरी के बाद अन्टार्टिका को सबसे ज़्यादा Volcano वाला क्षेत्र माना जाएगा.

सबसे ज़्यादा चिंता की बात ये है कि हो सकता है कि अभी तक ये नहीं पता चल पाया है कि ये ज्वालामुखी कितने एक्टिव हैं. इस टीम ने अपने दौरे में पाया था कि बर्फ़ की शीट के लगभग 4 Km नीचे से ही ज्वालामुखी के टिप दिख रहे थे. इस काम के लिए उन्होंने पुराने प्लेन रडार का भी सहारा लिया.

अगर इनमें से कोई भी ज्वालामुखी फटता है, तो इससे सबसे बड़ा फ़र्क बर्फ़ के पिघलने की रफ़्तार में आएगा, जिससे जलस्तर दोगुनी तेज़ी बढ़ेगा. इसका दूसरा असर अफ़्रीकी Tectonic Plate पर पड़ेगा.

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