‘गुत्थी’ से डॉक्टर ‘मशहूर गुलाटी’ और फिर ‘भारत’ के ‘विलायती’ जैसे किरदारों से लोगों का दिल जीतने वाले कॉमेडियन सुनील ग्रोवर आज किसी भी परिचय के मोहताज नहीं हैं. मगर ऐसा नहीं है कि उन्हें ये शोहरत रातों-रात मिल गई हो. उन्होंने भी अपनी ज़िंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव का समाना किया है. 

अपने इसी संघर्ष के बारे में उन्होंने हाल ही में Humans of Bombay को खुलकर बताया है. सुनील ग्रोवर की कहानी आपको भी जीवन में डटे रहने और परेशानियों का सामना करने के लिए प्रेरित करेगी. 

‘मैं ऐसा लड़का था जिसे मिमिक्री करना, एक्टिंग करना और लोगों को हंसाना पसंद था. मैं जब 12वीं क्लास में था तब मेरे स्कूल में एक ड्रामा कॉम्पिटिशन हुआ. लेकिन चीफ़ गेस्ट ने कहा कि मुझे इसमें भाग नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ये बाकियों के साथ अन्याय होगा.  

कभी 500 रुपये महीना कमाते थे 

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उसके बाद थियेटर में मास्टर डिग्री करने के बाद एक्टिंग में करियर बनाने के लिए मैं मुंबई आ गया. पहले साल मैंने पार्टी करने के अलावा कुछ नहीं किया. मैं अपनी सेविंग्स और घर से मिले पैसों से एक पॉश कॉलोनी में रहता था. उस वक़्त मैं केवल 500 रुपये महीना कमाता था. तब मुझे लगता थी कि मुझे चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. मैं जल्द ही सफ़ल हो जाऊंगा और अच्छा कमाऊंगा. 

पिता का सपना रह गया था अधूरा

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मगर जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि यहां मेरे जैसे और भी बुहत टैलेंटेड लोग हैं, जो अपने शहर के हीरो थे और यहां आकर स्ट्रगल कर रहे हैं. कुछ दिन बाद मेरे पास पैसे ख़त्म हो गए. मैं निराश हो गया. फिर मुझे याद आया कि मेरे पिताजी जब जवान थे, तब वो Radio Announcer बनना चाहते थे. उनके हाथ में ऑफ़र लेटर भी था, लेकिन मेरे दादाजी इसके ख़िलाफ थे.  

इसलिए उन्हें मन मार कर एक बैंक में नौकरी करनी पड़ी. जिसका उन्हें पछातावा भी था. पर मैं अपने सपनों को इस तरह मरते हुए नहीं देखना चाहता था. मैंने ख़ुद को तैयार किया और दोस्तों की मदद से काम ढूंढना शुरू कर दिया. मुझे धीरे-धीरे काम मिलने लगा. 

Voice over में कमाया नाम

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पर रास्ता इतना आसान नहीं था. मुझे एक टीवी शो में काम मिला. मैं उसकी शूटिंग के लिए रोज़ जाने लगा. लेकिन एक दिन मुझे बिना कोई कारण बताए उस शो से निकाल दिया गया. इसी बीच मुझे Voice over करने का काम मिलने लगा और मैंने यहां पर ख़ूब नाम कमाया.

इसलिए जब भी मैं फ़िल्म और टीवी शो के लिए रिजेक्ट होता, तो मैं निराश नहीं होता. क्योंकि तब मेरे पास Voice over का काम था. मैं कितना भाग्यशाली था. कुछ लोगों के पास तो ये भी नहीं होता. मैंने धीरे-धीरे ख़ुद को मज़बूत बना लिया था

पसंद आया लोगों को रेडियो शो 

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फिर मुझे एक रेडियो शो करने का ऑफ़र मिला. ये शो दिल्ली में ऑन एयर हुआ. लोगों को मेरा शो पसंद आया और बाद में इसके प्रोड्यूसर्स ने इसे देशभर में चलाने का फ़ैसला किया. इसके बाद मुझे रेडियो, टीवी और फ़िल्मों में काम मिलने लगा. फिर मुझे गुत्थी का रोल मिल गया, जो देखते ही देखते हर घर में फ़ेमस हो गया.

मुझे याद है जब एक लाइव शो के दौरान मुझे स्टेज पर बुलाया गया, तब लोग तालियां और सीटियां बजा कर मेरा स्वागत कर रहे थे. मैंने पीछे मुड़कर देखा कहीं कोई और तो नहीं है जिसका इतने जोर शोर से स्वागत किया जा रहा है. लेकिन वहां कोई नहीं था. ये सब मेरे लिए ही था. 

अभी और लंबा रास्ता तय करना है

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इस जैसे कुछ लम्हों ने ही मेरे अंदर उस नौजवान लड़के को ज़िंदा कर दिया, जो दुनिया फ़तह करना चाहता था. वो लड़का जो चाहता था कि उसके करीब सभी लोग ख़श रहें और मुस्कुराते रहें. वो लड़का जिसने अपनी असफ़लताओं को अपने सपने के बीच नहीं आने दिया और जीतना सीखा. इसकी बदौलत ही मैं यहां तक पहुंचा हूं और इस लड़के को अभी और लंबा रास्ता तय करना है.’ 

डॉक्टर मशहुर गुलाटी उर्फ़ गुत्थी उर्फ़ सुनील ग्रोवर की ये कहानी है हर उस शख़्स के लिए प्रेरणा है जो मुश्किल हालातों में निराश हो जाते हैं.