नवी मुंबई के भूमि मॉल के कैफ़े, Aditi’s Corner में एंट्री करते ही एहसास होता है कि इस कैफ़े में कुछ तो बात है, अलग बात. टेबल-कुर्सियां तो सब नॉर्मल कैफ़े की तरह है, लेकिन फिर भी ये कैफ़े अन्य कैफ़े से अलग है.
कैफ़े के बोर्ड पर लिखा है, ‘Working Hard Is The Key For Good Life, But No One Can Work Empty Stomach’. बात तो सही है, पेट खाली हो तो दिमाग़ भी खाली ही होता है.
बोर्ड पर ये भी लिखा है कि यहां खाना प्यार से परोसा जाता है. बात तो ये भी सही है खाना प्यार से खिलाया जाए तो और भी टेस्टी लगता है, तभी तो मां के हाथों का खाना हम सभी को पसंद आता है.
Aditi’s Corner है 23 वर्षीय अदिती का कैफ़े. 1 जनवरी, 2016 को खुले इस कैफ़े से अब तक बहुत से लोग वाकिफ़ हो चुके हैं. यहां हर तरह के स्नैक्स परोसे जाते हैं. ये कैफ़े लंच भी डिलीवर करता है और ये सब बनाती है अदिती और उसकी मां, रीना वर्मा.
मिलिये अदिती से-
अब सोच रहे होंगे कि ये तो आम लड़की नहीं लगती. नहीं अदिती आम नहीं है, उसे Down Syndrome है.
1994 में जब अदिती का जन्म हुआ तब उसके माता-पिता ये जानकर टूट गए थे कि उसे Down Syndrome है. जब अदिती ढाई साल की हुई तो डॉक्टर्स ने बताया कि उसके दिल में छेद है और उसकी सर्जरी की गई.
हरिद्वार में जन्मी अदिती ने जयपुर के स्पेशल स्कूल से और पुणे से पढ़ाई की है.
रीना ने बताया,
मैं उसे देखकर रोती रहती. ये सोचकर दुख होता कि क्या हम उसे वैसी ज़िन्दगी दे पाएंगे जिसकी वो हक़दार है.
फिर एक दिन अदिती के मम्मी-पापा ने तय किया कि चाहे जो हो जाए वो अदिती को वो सारी खुशियां देंगे जिसकी वो हक़दार है. उस दिन के बाद उन्होंने कभी मायूसियत को अपने आस-पास नहीं आने दिया.
आज अदिती का अपना कैफ़े है. रोज़ाना उसके पास 80-100 ऑर्डर्स आते हैं. अदिती ने काफ़ी छोटी उम्र से ही खाना बनाना शुरू कर दिया था.
अदिती ने बताया,
मैं YouTube पर वीडियोज़ देखती थी और अपने माता-पिता के लिए खाना बनाती थी.
अदिती को चिकन डिशेज़ बेहद पसंद है जबकी उसके पापा को अपनी लाडली बिटिया के हाथों का केक सबसे ज़्यादा पसंद है. अदिती के पापा ने बताया,
अदिती Perfectionist है. अगर रेसिपी में आधी चम्मच चीनी लिखी है तो वो आधी चम्मच चीनी ही डालती है. वो इस बात का ख़ास ध्यान रखती है कि कुछ भी कम-ज़्यादा ना हो.
अदिती के पापा ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि अदिती को स्पेशल चाइल्ड की तरह ट्रीट ना किया जाए.
अदिती की मां ने बताया,
मैं अदिती को अकसर डांट देती, लेकिन बाद में इस बात का पछतावा होता. मुझे पता है कि वो अन्य बच्चों से अलग है, पर मैं उसे दूसरे बच्चों की तरह ही ट्रीट करती. ये सिर्फ़ इसलिये क्योंकि मैं उसे अपने पैरों पर खड़ा देखना चाहती थी.
अदिती ने भी अपने माता-पिता को निराश नहीं किया. अदिती के सपनों की उड़ान की तो अभी शुरूआत है. उसका सपना है कि वो स्पेशल बच्चों के लिए एक स्कूल बनाए.
हम अकसर एक हार से विचलित हो जाते हैं, टूट जाते हैं. अदिती हम सबके लिए एक मिसाल है. उनकी साहस को सलाम.
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