07 जुलाई 1999 को भारतीय सेना के एक वीर सपूत ने देश की रक्षा के लिए अपनी क़ुर्बानी दी थी. आज उनकी वीरता के किस्से देश के हर नागरिक की जुबां पर हैं. हम बात कर रहे हैं कैप्टन विक्रम बत्रा की.
7 जुलाई, 2019 को पूरे 20 साल बाद परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा के जुड़वा भाई विशाल बत्रा ने अपने भाई को यादगार श्रद्धांजलि दी.
रविवार को कैप्टन बत्रा की याद में 13वीं जम्मू-कश्मीर रायफ़ल और 18 ग्रेनेडियर्स के उनके साथियों ने एक ट्रैक का आयोजन किया. इस दौरान जवानों के साथ 14 कोर के कमांडर लेफ़्टिनेंट जनरल जोशी भी बत्रा को सैल्यूट करने पहुंचे. जनरल जोशी 20 साल पहले वॉर में विक्रम के कमांडिग ऑफ़िसर थे. इस मौके पर कैप्टन बत्रा के जुड़वां भाई विशाल बत्रा भी मौजूद थे.
I so well remember ten years back when Barkha Dutt got me here at Drass when she had interviewed Vikram and other Officers, I proudly thank Lt Gen Joshi n Indian Army (20 years today being 7th July) to be around with me at Batra Top to pay homage to Capt Batra n other martyrs https://t.co/9upiH1Vl5f pic.twitter.com/4Dq6WkyCXx
— Vishal Batra (@vishalbatra1974) July 7, 2019
भारत सरकार ने पाकिस्तान से करगिल युद्ध जीतने के बाद इस चोटी का नाम बत्रा टॉप रख दिया था. रविवार को विशाल बत्रा सेना के हेलीकॉप्टर से बत्रा टॉप पर पहुंचे और अपने भाई समेत सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
All that I can say is one need to visit these shrines captured by all our Bravado’s Indian Soldiers who make it so easy for us live peacefully. Can’t express it in words as one needs to feel what Indian Army does.Visiting the peak was like a Shrine one could just imagine to visit https://t.co/CaHNYQOXxb
— Vishal Batra (@vishalbatra1974) July 7, 2019
दरअसल, विशाल बत्रा कारगिल युद्ध के 20 साल पूरे होने पर विशाल अपने भाई को कारगिल की उसी चोटी पर श्रद्धांजलि देना चाहते थे, जहां वो शहीद हुए थे. इसके लिए उन्होंने रक्षा मंत्रालय से अनुमति भी ली थी. बत्रा टॉप तक पहुंचने के लिए सेना की ओर से विशाल बत्रा को बाकायदा हेलीकॉप्टर भी मुहैया करवाया गया था.
Either I would hoist the tricolor or I would come back wrapped… 20 years later (which is 7th July 2019 today), the Indian TRICOLOR furls yet again showing the Dominance of our Indian Army and it’s Brave Hearts.. Jai Hind pic.twitter.com/IQSD2YfWYV
— Vishal Batra (@vishalbatra1974) July 7, 2019
जब मैं पॉइंट 4875 पहुंचा तो काफ़ी इमोशनल हो गया था. इसके बाद मैंने अपने पेरेंट्स को कॉल किया ये जानकार कि विक्रम ने उन्हें ये कॉल की है और सोचा कि ‘ये दिल मांगे मोर’ कह दूं.
मैं जनता था भले ही विक्रम शारीरिक रूप से नहीं है, लेकिन मैं जनता था कि वो वहीं-कहीं पहाड़ों में मौजूद था और हमें देख रहा है और सुरक्षित रखता है. मेरा मानना है कि ‘एक सैनिक कभी मरता नहीं है.
कौन थे कैप्टन विक्रम बत्रा?
शहीद विक्रम बत्रा ने 1996 में इंडियन मिलिट्री अकादमी में दाखिला लिया था. 6 दिसंबर 1997 को कैप्टन बत्रा जम्मू-कश्मीर राइफ़ल्स की 13वीं बटालियन में बतौर लेफ़्टिनेंट शामिल हुए. कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर राइफ़ल्स की 13वीं बटालियन का नेतृत्व किया था. 20 जून 1999 को कैप्टन बत्रा ने कारगिल की प्वाइंट 5140 चोटी से दुश्मनों को खदेड़ने के लिए अभियान छेड़ा और कई घंटों की गोलीबारी के बाद मिशन में कामयाब हुए.
इस महत्वपूर्ण चोटी पर तिरंगा फ़हराने के बाद कैप्टन विक्रम बत्रा ने कहा था – ये दिल मांगे मोर.
07 जुलाई 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा अपनी टीम के साथ एक और मिशन पर निकले थे. इस दौरान पाकिस्तान की सेना ने उनकी छोटी से टुकड़ी पर हमला बोल दिया. लेकिन कैप्टन बत्रा इससे पीछे नहीं हटे और अपने घायल साथी से बोले- ‘तुम हट जाओ, तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं’ और ख़ुद जाकर दुश्मनों से भिड़ गए. इस दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा देश के लिए शहीद हो गए.
कैप्टन विक्रम बत्रा की इस शहादत के लिए उनको पूरे देश की ओर से शत-शत नमन.