बिहार की राजधानी पटना के गुलज़ारबाग रेलवे स्टेशन के पास ही प्राचीन ‘अगम कुआं’ स्थित है. क़रीब 304-232 ईसा पूर्व बना ये कुआं पटना का प्रमुख पुरातात्विक स्थल भी है.
सन 1890 के दशक में ब्रिटिश खोजकर्ता लॉरेंस वेडेल ने पाटलिपुत्र के खंडहरों ढूंढते हुए ‘अगम कुआं’ की खोज की थी. लॉरेंस वेडेल ने ही सबसे पहले इस कुएं को अशोक द्वारा बनाए गए पौराणिक कुएं के रूप में पहचाना था.
सम्राट अशोक के वक्त के इस कुएं के रहस्य को जानने की अब तक तीन बार कोशिशें की जा चुकी हैं. सबसे पहले 1932 में, दूसरी बार 1962 में जबकि तीसरी बार 1995 में, मगर आज भी ये एक पहेली बना हुआ है.
इस रहस्यमयी कुएं के बारे में कहा जाता है कि देश में कई बार भयंकर सूखा पड़ने के बावजूद इसका पानी कभी नहीं सूखा, बल्कि इसके पानी में बढ़ोतरी ही हुई. इस कुएं की एक और ख़ासियत ये है कि इसके पानी का रंग बदलता रहता है. गर्मियों में इसके पानी का लेवेल अपने सामान्य लेवल से सिर्फ़ एक से डेढ़ फ़ीट नीचे जाता है. वहीं, बारिश के दिनों में पानी का लेवेल सामान्य से सिर्फ़ एक से डेढ़ फ़ीट तक ऊपर आता है.
इस कुएं के कभी न सूखने के पीछे ये तर्क दिया जाता है कि ये पश्चिम बंगाल स्थित गंगा सागर से जुड़ा है. एक बार एक अंग्रेज़ की छड़ी गंगा सागर में गिर गई थी जो बहते-बहते पाटलिपुत्र स्थित इस कुएं के ऊपर आकर तैर रही थी, जिसे आज भी वो छड़ी कोलकाता के म्यूजियम में रखी हुई है.
अशोक ने इस कुएं में अपने 99 भाइयों की लाशें फेंकी थी
इस रहस्यमयी कुएं के बारे कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने अपने 99 सौतेले भाइयों की हत्या कर उनकी लाशें इसी कुएं में डलवाई थीं. कहा जाता है कि अशोक ने ‘अगम कुएं’ को अपने दुश्मनों की हत्या कर लाश फेंकने के लिए ही बनवाया था. अशोक के समय भारत आए चीनी दार्शनिकों ने अपनी किताबों में इस कुएं का जिक्र भी कुछ इसी रूप में किया है.
‘अगम कुआं’ लोगों की आस्था का केन्द्र भी है. इस प्राचीन कुएं के पास ही शीतला देवी का मंदिर भी है. इस दौरान भक्त यहां पूजा करने और अपनी समस्याओं को दूर करने आते हैं. इस कुएं का पानी पवित्र माना जाता है. लोग इसका इस्तेमाल कुष्ठ रोग, चिकन पॉक्स जैसी बीमारियों को दूर करने के लिए करते हैं. शीतला माता की पूजा के लिए इसी कुएं के जल का इस्तेमाल किया जाता है.
ब्रिटिश खोजकर्ता लॉरेंस वाडेल के मुताबिक़ सैकड़ों साल पहले जो कोई भी शासक पटना आता था, सबसे पहले सोने और चांदी के सिक्के इस कुएं में डालता था. ऐसा भी कहा जाता है कि जब कोई चोर-डकैत अपने काम में सफ़ल होता था तो वो इस कुएं में कुछ पैसे डाल देता था. क्योंकि जब लॉरेंस वाडेल इस कुएं के पास पहुंचे थे उन्हें वहां कई मूर्तियां मिली थीं.