नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘Nurture the Future’ नाम से एक यूनीक मेंटरशिप प्रोग्राम की शुरुआत की है. इस प्रोग्राम के तहत सिविल सर्विस के सभी ट्रेनी ऑफ़िसर्स को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े एक-एक बच्चे के मार्गदर्शन की ज़िम्मेदारी लेनी होगी, ताकि उन्हें समाज की मुख़्य धारा से जोड़ा जा सके. 

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इस दौरान सभी ट्रेनी ऑफ़िसर्स को पहली से लेकर 10वीं या उससे ऊपर की कक्षा में पढ़ रहे बच्चों के शैक्षिक और व्यावसायिक जीवन के दौरान हर तरह से उनका मार्गदर्शन करना होगा. सरकार ने पहली बार ये पहल 2019 बैच के सिविल सेवा प्रशिक्षुओं के लिए फ़ाउंडेशन कोर्स के तौर पर शुरू किया है. 

सरकार ने पहले बैच में गुजरात के केवडिया के 11 गांवों के 425 बच्चों की पहचान की है. केवडिया में ही सरदार पटेल की ‘स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी’ भी स्थित है. इस दौरान इन बच्चों को IAS, IPS, IFS सहित 20 सिविल सेवाओं के 425 ट्रेनी अधिकारियों के देखरेख मिलेगी. 

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कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, इस दौरान हमने ट्रेनी ऑफ़िसर्स और बच्चों को उनके आधार नंबर के साथ जोड़ा है. ताकि वो अपने पेशेवर जीवन के दौरान भी एक दूसरे के संपर्क में रह सकें. 

ये कार्यक्रम ये भी सुनिश्चित करेगा कि ये बच्चे तब भी इन सिविल सेवकों के संपर्क में रहेंगे. चाहे वो किसी भी अन्य शीर्ष पद पर काबिज़ ही क्यों न हो. सरकार ने अभी गुजरात के केवडिया से इसकी शुरुआत की है आने वाले समय में इसे देशभर में लागू कर दिया जायेगा. 

हम जल्दी ही इसके लिए एक पोर्टल भी शुरू करने की सोच रहे हैं. वर्तमान में सिर्फ़ ‘लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेशन’ के ट्रेनी ऑफ़िसर्स ही इस कार्यक्रम का हिस्सा हैं. हम जल्द ही देश के सभी सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों को भी इसे अपनाने के लिए कहेंगे. 

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ट्रेनी आईएएस अधिकारी विक्रम वीरकर, जो कक्षा 10 के छात्र के मेंटर हैं. उनका कहना है कि करियर की शुरुआत में ही इस तरह के कार्यक्रम का हिस्सा बनाना एक अच्छा अनुभव है. 

वीरकर ने कहा, मैं 10वीं के जिस छात्र का मेंटर हूं. वो मेरे मेरे बारे में जानने के लिए काफ़ी उत्सुक था. वो जानना चाहता था कि मैं कहां से हूं? क्या करता हूं?मेरी नौकरी किस तरह की है? क्या मैं अच्छी अंग्रेजी बोल लेता हूं आदि. 

सरकार ने ख़ासतौर पर इस कार्यक्रम की शुरुआत आर्थिक और सामाजिक तौर से कमज़ोर पृष्ठभूमि वाले बच्चों के मार्गदर्शन के लिए की है. ताकि सिविल सेवकों के मन में सामाजि ज़िम्मेदारी निभाने की भावना भी पैदा हो.