GST लागू होने के बाद से लोग अपनी शॉपिंग का बिल देखने के लिए काफ़ी उत्सुक हैं. कई लोग तो अपने बिल की फ़ोटो सोशल मीडिया पर शेयर करने लगे हैं, वहीं ऐसा करने वालों को ट्रोल भी खूब किया गया.

लंबी चली बहस के बाद आखिर GST लागू हो गया. इससे अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव होने का दावा किया जा रहा है. लेकिन इसके लागू होने के बाद होने वाली दिक्कतों से लोग अभी बाहर नहीं आ पाए हैं.

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इन्हीं परेशानियों में से एक है सर्विस चार्ज देने का मामला. ‘एक देश एक कर’ वाली लाइन लोगों के मन में इस कदर बैठी है कि वो किसी भी अन्य शुल्क को देने के लिए तैयार ही नहीं है.

लोगों का सवाल है कि आखिर GST भरने के बाद भी उनसे सर्विस चार्ज क्यों लिया जा रहा है? कुछ रेस्टोरेंट्स में तो इसी बहस में बिलिंग काउंटर पर लंबी लाइन तक लग गई है और कई लोग इससे परेशान भी हुए

आखिर ये उलझन किस बात की है, आइये आपको समझाते हैं.

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दरअसल ये Confusion सिर्फ़ सर्विस टैक्स और सर्विस चार्ज को लेकर बनी हुई है. सर्विस चार्ज, ग्राहकों को अपनी इच्छा से देना होता है. इसे रेस्टोरेंट्स खुद लेते हैं. वहीं, सर्विस टैक्स सरकार लेती है.

GST के आने से सर्विस टैक्स खत्म हुआ है, लेकिन रेस्टोरेंट्स सर्विस चार्ज पहले की तरह ही ले रहे हैं. कुछ रेस्टोरेंट्स की पॉलिसी के अनुसार सर्विस चार्ज अनिवार्य भी है.

लेकिन आपको बता दें कि इसी साल अप्रैल में Ministry of Consumer Affairs ने एक गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि रेस्टोरेंट्स आवश्यक रूप से सर्विस चार्ज नहीं ले सकते और ग्राहक अगर चाहें तो ही सर्विस चार्ज दें. ये ठीक उसी तरह होगा जैसे होटलों में टिप दिया जाता है.

अब मंत्रालय ने ग्राहकों को सलाह दी है कि यदि रेस्टोरेंट्स उनसे आवश्यक रूप से सर्विस चार्ज लेते हैं, तो उन्हें कंज्यूमर कोर्ट जाना चाहिए. इसके लिए वो मंत्रालय से भी संपर्क कर सकते हैं. सर्विस चार्ज ग्राहक चाहे तो अपनी मर्ज़ी से दे सकते हैं, लेकिन इन्हें वसूलना गैरक़ानूनी है.

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वहीं नेशनल रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (NRAI) का मानना है कि सर्विस चार्ज को लेकर वो किसी तरह के क़ानून का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं. गाइडलाइन्स कोई क़ानून नहीं है. एनआईएआई के सचिव प्रकुल कुमार ने कहा है कि सरकार बेवजह लोगों में भ्रम पैदा कर रही है. इससे रेस्टोरेंट्स को अपना काम करने में भी परेशानी हो रही है.

सर्विस चार्ज के अलावा लोगों को शराब के बिल से भी परेशानी है. जो लोग खाने के साथ ड्रिंक्स भी लेते हैं, उन्हें दो बिल मिलते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि एल्कोहल को जीएसटी से बाहर रखा गया है.

तो अब अगली बार जब आप रेस्टोरेंट्स जाएं तो इन बातों को ध्यान रखिएगा और टैक्स की उलझनों में न उलझकर खाने के मज़े लीजिएगा.

Article Source : Hindustantime