विज्ञान की प्रगति को इंसानी सभ्यता के आगे बढ़ते रहने का प्रतीक माना जाता रहा है.और विज्ञान प्रगति करता रहे इसके लिए दुनियाभर के लाखों वैज्ञानिक काम में लगे रहते हैं. 2019 में भी इनके प्रयासों से कई खोज हुई, जो हमें आगे बढ़ने में मदद करेंगी. इन्हीं में से कुछ चुनिंदा खोजों के बारे में चलिए जानते हैं:
1. चंद्रमा हमारे वायुमंडल के अंदर है
‘हमारे ग्रह की सीमा कहां खत्म होती है?’ ये एक ऐसा सवाल है जिसपर हमेशा बहस होती रही है. दुनिया भर के कई संगठनों का कहना है कि धरती से 100 KM ऊपर, एक काल्पनिक रेखा ‘Kármán Line’ तक ही पृथ्वी की सीमा रेखा मानी जानी चाहिए. जबकि हममें से कई लोगों को ये पढ़ाया गया है कि वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत, Exosphere, पृथ्वी की सतह से लगभग 10,000 KM दूर तक फैली हुई है.
दरअसल हमारा वायुमंडल हाइड्रोजन परमाणुओं से भरे एक क्षेत्र, Geocorona (जियोकोरोना) में बाहरी अंतरिक्ष के संपर्क में आता है. SOHO अंतरिक्ष यान द्वारा प्राप्त आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि पृथ्वी का Geocorona 630,000 किलोमीटर (391,460 मील) दूर है, जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 50 गुना है. इसकी तुलना में चांद पृथ्वी से लगभग 384,000 किलोमीटर दूर है. तो इस तरह से चंद्रमा को पृथ्वी के वायुमंडल के अंदर ही माना जाएगा.
2. Solar Sails वास्तव में काम करते हैं
जब प्रकाश के कण ‘फ़ोटॉन’ अंतरिक्ष में किसी वस्तु की सतह से टकराते हैं, तो वो उस वस्तु को थोड़ा ‘धक्का’ देते हैं और उसे एक निश्चित दिशा में ले जाते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि अंतरिक्ष में Solar Sail जैसी Reflective Structure से लैस अंतरिक्ष यान सूर्य से निकले फ़ोटॉन के Thrust के कारण आगे बढ़ता चला जाएगा. ये ठीक वैसा ही होगा जैसा समुद्र में हवा की मदद से किसी Sail Boat का परिचालन, मगर बाहरी अंतरिक्ष में.
जुलाई में प्लैनेटरी सोसाइटी ने घोषणा की कि उसका Solar-Sail-Propelled उपग्रह, LightSail 2 केवल सूर्य से निकले ‘फ़ोटॉन्स’ की मदद से पृथ्वी की एक स्थिर कक्षा में पहुंच गया. अंतरिक्ष में लॉन्च होने के लगभग एक महीने बाद 23 जुलाई को 5 किलोग्राम (11 पाउंड) वज़नी LightSail 2 ने बिना किसी समस्या के अपने Solar Sail को खोला और इसे सूर्य की ओर मोड़ दिया. 31 जुलाई को ये अंतरिक्ष यान अपनी कक्षा से 2 किलोमीटर (1.24 मील) ऊपर पहुंच गया. इस तरह LightSail 2 पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने वाला पहला Solar-Sail-Propelled अंतरिक्ष यान बन गया.
3. शनि, चंद्रमाओं का राजा
सबसे ज़्यादा चंद्रमाओं वाले ग्रह का रिकॉर्ड समय के साथ बदलता रहा है. उदाहरण के लिए दो दशक तक बृहस्पति (Jupiter), अपने 79 चंद्रमाओं के साथ, सबसे अधिक चंद्रमाओं वाला ग्रह था. लेकिन 2019 के अक्टूबर ये बदल गया है जब शनि की परिक्रमा कर रहे चंद्रमाओं के एक बड़े समूह की ख़ोज हुई.
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने शक्तिशाली ‘Subaru’ दूरबीन का उपयोग करके शनि के पास दिखने वाले चमकीले धब्बों का विश्लेषण किया. हालांकि, 2004 और 2007 के बीच ही इन वस्तुओं का पता चल गया था, लेकिन वैज्ञानिक अब उनकी कक्षाओं की पहचान कर सकें हैं. अब ये टीम शनि के चारों ओर 20 नए चंद्रमाओं की पुष्टि करने में सफ़ल हुई है. अब शनि ग्रह के पास प्राकृतिक उपग्रहों की कुल संख्या 82 हो गयी है, जो कि बृहस्पति (Jupiter) से कहीं ज़्यादा है.
4. चंद्रमा और मंगल ग्रह पर फ़सलें अच्छे से उग सकती हैं
वैगेनिंगन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च (नीदरलैंड्स) के शोधकर्ताओं ने मंगल और चंद्रमा पर मिट्टी की उत्पादक क्षमता का पता लगाने के लिए परीक्षण किया है. उनका उद्देश्य ये जानना था कि क्या भविष्य में इन खगोलीय पिंडों पर फ़सल उपजाना संभव होगा. प्रयोग करने के लिए शोधकर्ताओं ने नासा द्वारा विकसित मार्टियन और लूनर मिट्टी के सिमुलेंट का उपयोग किया, जिसमें कुछ कार्बनिक पदार्थ मिले हुए थे.
इस मिट्टी में उन्होंने मटर से लेकर टमाटर तक, दस अलग-अलग प्रजातियों के पौधे लगाए. लगभग पांच महीने बाद टीम ने फसलों का विश्लेषण किया और देखा कि पालक को छोड़कर, अन्य नौ प्रकार के पौधे दोनों मिट्टी में अच्छी तरह से विकसित हुए हैं. उन पौधों के खाए जा सकने वाले भागों को एकत्र किया जा सका. साथ ही उनके बीज काम के साबित हुए – अर्थात, उन्होंने नए पौधों को जन्म दिया.
5. Wine अंतरिक्ष में स्वस्थ रहने में मददगार है
अंतरिक्ष में भारहीनता के कारण मानव शरीर बस कुछ ही हफ्तों में अपनी मांसपेशियों का ज़्यादा हिस्सा खो सकता है. और भविष्य के मिशनों में उदाहरण के लिए मंगल ग्रह तक पहुंचने में हमें नौ महीने लगेंगे. इसलिए एक इंटरप्लेनेटरी मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों में मांसपेशियों का नुकसान एक निश्चित बात है.
मगर 2019 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि रेसवेराट्रॉल नामक एक एंटीऑक्सिडेंट मनुष्यों में हड्डी और मांसपेशियों के नुकसान को रोक सकता है. ये केमिकल कंपाउंड अंगूर, रेड वाइन और चॉकलेट में पाया जाता है. फ़िलहाल ये प्रयोग चूहों के ऊपर किया गया है.
मगर 2019 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि रेसवेराट्रॉल नामक एक एंटीऑक्सिडेंट मनुष्यों में हड्डी और मांसपेशियों के नुकसान को रोक सकता है. ये केमिकल कंपाउंड अंगूर, रेड वाइन और चॉकलेट में पाया जाता है. फ़िलहाल ये प्रयोग चूहों के ऊपर किया गया है.
6. मंगल ग्रह पर पहले भूकंप का पता चला
नवंबर 2018 में NASA का एक अंतरिक्ष यान, InSight मंगल ग्रह के अंदरूनी हिस्सों का विश्लेषण करने के उद्देश्य से मंगल पर सफ़लतापूर्वक उतरा. 2019 में 6 अप्रैल को रोबोट लैंडर मंगल ग्रह की सतह के नीचे से आने वाले पहले भूकंप का पता लगाने में सफ़ल रहा. ये झटके अन्य “marsquakes” की तुलना में अधिक शक्तिशाली थे, जिनका कुछ हफ्ते पहले पता चला था.
मिशन के टीम प्रभारी के अनुसार ये भूकंप इस बात की तसदीक करते हैं कि मंगल अभी भी भौगोलिक रूप से सक्रिय है. इसके अलावा मध्य दिसंबर में शोधकर्ताओं ने मंगल पर पहले सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र के खोज की पुष्टि की. इसे Cerberus Fossae क्षेत्र कहा गया है. NASA की योजना है कि InSight के लैंडर की मदद से इन भूकंपों का पता लगाना जारी रखा जाए और ये पता लगाया जाए कि ये ग्रह किस चीज़ से बना है.
7. पहला इंटरस्टेलर धूमकेतु
30 अगस्त 2019 को Gennady Boriso नामक एक खगोलशास्त्री ने क्रीमिया की एक वेधशाला में एक धूमकेतु की खोज की. इसके बाद नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने इस पर अपना ध्यान केंद्रित किया इसकी Trajectory और गति का अध्ययन करके वैज्ञानिकों ने पाया कि 2I/Borisov नाम का ये धूमकेतु किसी अन्य सौर मंडल से आता है.
30 अगस्त 2019 को Gennady Boriso नामक एक खगोलशास्त्री ने क्रीमिया की एक वेधशाला में एक धूमकेतु की खोज की. इसके बाद नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने इस पर अपना ध्यान केंद्रित किया इसकी Trajectory और गति का अध्ययन करके वैज्ञानिकों ने पाया कि 2I/Borisov नाम का ये धूमकेतु किसी अन्य सौर मंडल से आता है.
इस धूमकेतु के गुण हमारे अपने सौर मंडल के अन्य धूमकेतुओं के समान थे. ये जल्द ही पता चल गया था कि 2I/Borisov धूल और गैस के बादल से घिरे एक बर्फीले कोर से बना है, और अब इसका व्यास (Diameter) क़रीब 1 किलोमीटर है. अक्टूबर और नवंबर के महीनों में कई एजेंसियों और वेधशालाओं ने इसकी Detailed तस्वीरें लीं.
8. रहने योग्य क्षेत्र एक्सोप्लैनेट पर मिला पानी
2019 वो साल था जब हमने पहली बार किसी रहने योग्य एक्सोप्लैनेट पर पानी की खोज की. हमारी दुनिया से 110 प्रकाश वर्ष दूर स्थित इस ग्रह को K2-18b कहा जाता है. मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय (कनाडा) के शोधकर्ताओं का एक समूह ‘K2-18b’ के वातावरण का विश्लेषण करने में उस वक़्त सफ़ल रहा जब वो अपने तारे के सामने से गुज़र रहा था.
सितंबर में इस टीम ने और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (इंग्लैंड) के वैज्ञानिकों के एक अन्य समूह ने इस एक्सोप्लैनेट के बारे में अपने-अपने स्वतंत्र शोध पत्र प्रकाशित किए. सभी टीमों ने निष्कर्ष निकाला कि K2-18b के वातावरण में बादलों के रूप में जल वाष्प मौज़ूद है.
9. हमारी आकाशगंगा मुड़ी हुई है
2019 में वारसॉ विश्वविद्यालय (पोलैंड) की एक शोध टीम ने हमारे सूर्य और हमारी आकाशगंगा में मौज़ूद 2,400 से अधिक सितारों के बीच की दूरी को मापा. इस डेटा की मदद से टीम मिल्की वे का अब तक का सबसे सटीक 3D मानचित्र बनाने में सफ़ल हुई. इस शोध के परिणाम आश्चर्यजनक रहे.
2019 में वारसॉ विश्वविद्यालय (पोलैंड) की एक शोध टीम ने हमारे सूर्य और हमारी आकाशगंगा में मौज़ूद 2,400 से अधिक सितारों के बीच की दूरी को मापा. इस डेटा की मदद से टीम मिल्की वे का अब तक का सबसे सटीक 3D मानचित्र बनाने में सफ़ल हुई. इस शोध के परिणाम आश्चर्यजनक रहे.
हमारी आकाशगंगा का केंद्र जहां समतल है, वहीं बाहरी किनारों पर ये कहीं अधिक झुके हुए हैं. सीधे शब्दों में कहें, हमारी आकाशगंगा S आकार में मुड़ी हुई है. सबसे बाहरी किनारों पर कुछ तारे आकाशगंगा के तल से कई हजार प्रकाश वर्ष ऊपर या नीचे हैं. ये पहली बार है जब वैज्ञानिक सूर्य और अन्य तारों के बीच की दूरी को सटीकता से मापने में सक्षम हुए हैं.
10. जितना हमनें सोचा था उससे कहीं ज़्यादा तेजी से फैल रहा है ब्रहमांड
हम लंबे समय से जानते हैं कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है. वैज्ञानिक दशकों से ये जानने की कोशिश कर रहें हैं कि ब्रह्मांड के विस्तार की दर क्या है. ये जानना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि जिस गति से बिग बैंग से आज तक के ब्रह्मांड का विस्तार हुआ है, उससे ब्रह्मांड की अनुमानित उम्र का पता लगाना संभव है.
सबसे अधिक स्वीकृत विस्तार दर (Expansion Rate) ब्रह्मांड को लगभग 13.8 बिलियन वर्ष का बताती है. लेकिन पिछले अप्रैल में किए गए एक नए अध्ययन, पड़ोसी आकाशगंगाओं में सितारों पर हबल टेलीस्कोप द्वारा की गई Observations और एक बहु-संस्थागत शोध टीम ने निष्कर्ष निकाला कि ब्रह्मांड अब तक हमने जितना सोचा था उससे 9 प्रतिशत ज़्यादा तेजी से फैल रहा है. इस नए शोध के अनुसार ब्रह्मांड 12.5 बिलियन साल पुराना है. इसका ये मतलब हुआ कि ब्रह्मांड जैसा आज है, वैसा बनने में कम समय लगा.
हैं न विज्ञान की दुनिया मज़ेदार!