उत्तर भारत में दिल्ली के बाद सबसे बड़ा शहर जयपुर है. राजस्थान की यह राजधानी अपने गरिमामयी इतिहास और वर्तमान समय में बढ़ती आर्थिक मजबूती की वजह से लाखों लोगों को हर साल आकर्षित करती है. इस वजह से शहर का विस्तार भी हुआ है और शहर की समस्याएं भी. सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक है, पानी की समस्या.

दिल्ली से जयपुर जाते समय जयपुर शहर की शुरुआत आमेर क्षेत्र से हो जाती है. 1727 से पहले आमेर से ही जयपुर रियासत का राजपाठ चलता था.

पानी की यह समस्या जयपुर रियासत में आमेर रियासत के जमाने से ही रही है. अपनी जनता को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए आमेर के राजा सवाई जयसिंह ने आमेर और जयगढ़ महल के बीच में एक मानवनिर्मित कृत्रिम झील का निर्माण करवाया था. इस झील से आमेर, जयगढ़ किले में रहने वाले लोगों के साथ-साथ आमेर रियासत के लोगों की प्यास भी दूर होती थी. यह झील अरावली की पहाड़ियों से घिरी हुई है. इस वजह से इसे ना तो शहर की तरफ़ से और ना ही किले से देखा जा सकता है.

इस झील को आयताकार आकार में बनाया गया था. यह झील मानसून के सीजन में होने वाले बारिश के पानी से भर जाती है. इस झील को मूल रूप से दो भागों में बांटा गया है, ऊपरी सागर और निचला सागर.

इसके साथ ही इस आमेर सागर झील को कुछ कुओं से भी जोड़ा गया है. जब झील पानी से पूरी तरह भर जाती है, तो इन कुओं में पानी चला जाता है. मानसून में इस झील में भरने वाला पानी साल भर इस इलाके के लोगों की पानी की कमी को पूरा करता है. इसके साथ ही यह जगह पिकनिक स्पॉट के रूप में भी जानी जाती है.
आज के जमाने में भ्रष्ट नेता, लोगों को चुनाव के दिनों में बड़े-बड़े वादे दिखा कर चुनाव के बाद जनता के बीच से गधे के सींग की तरह गायब हो जाते हैं. वहीं दूसरी तरफ़ इतिहास में ऐसे राजा थे, जिनकी बनवाई ऐसी ही अनेक झीले और तालाब आज भी उनकी रियासत के लोगों की प्यास बुझाते हैं.