अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन और John F. Kennedy से जुड़े संयोग अपने आप में किसी रहस्य से कम नहीं. ये संयोग इतने रहस्यमई रहे हैं कि वर्षों से लोग इन्हें जानने के इच्छुक रहे हैं, पर इतने सालों के बावजूद ये जस के तस बने हुए हैं. अब्राहम लिंकन और John F. Kennedy से जुड़े इन संयोगों के बारे में अकसर ही अख़बार और न्यूज़ चैनल बात करते रहते हैं, पर आज हम John F. Kennedy की हत्या से जुड़ी उन बातों का ज़िक्र करने जा रहे हैं, जो बताती हैं कि किस तरह उनकी मौत की कहानी को पूरी तैयारी के साथ पहले ही लिख दिया गया था.

जॉन एफ़ केनेडी अमेरिका के उन राष्ट्रपतियों में से एक रहे हैं, जो कुछ ही दिनों में राजनीति के धुरंधर बनने के साथ ही लोगों के पसंदीदा नेता बन गए थे, पर केनेडी की ये प्रसिद्धि कुछ लोगों के गले की फास बन गई, जिसे निकालने के लिए उन्होंने 22 नवंबर 1963 को राष्ट्रपति जॉन एफ़ केनेडी की हत्या कर दी.

उस समय केनेडी चुनाव प्रचार के लिए टेक्सास के डलास में अपनी पत्नी के साथ पहुंचे हुए थे. इस घटना के वक़्त टेक्सास के गवर्नर जॉन कॉनली और उनकी पत्नी भी केनेडी के साथ लिमोज़िन में सवार थे. हमलावर ने केनेडी को निशाना बनाते हुए उन पर अंधाधुंध गोलियां चलाई. इस हमले में कॉनली भी गंभीर रूप से ज़ख़्मी हो गए थे.

इस घटना को बीते 50 साल से भी ज़्यादा वक़्त हो चुका है, पर आज तक इस हत्याकांड से जुड़ी गुत्थी नहीं सुलझ पाई. हालांकि इन 50 वर्षों के दौरान इस हत्याकांड के इर्द-गिर्द कई कहानियां गढ़ दी गई.

1964 में Warren ने इस हत्याकांड से जुड़ी 7 पन्नों की एक रिपोर्ट पेश की, जिसके सिर्फ़ 7 पन्नों में शूटिंग सीक्वेंस के बारे में बताया गया है. इस रिपोर्ट में Warren ने बताया कि हमलावर ने Texas School Book Depository के 6th फ़्लोर से राष्ट्रपति पर निशाना लगाया. इस बाबत Lee Harvey Oswald नाम के एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया, पर 24 नवंबर को एक जेल से दूसरी जेल ले जाते समय एक अन्य हमलावर ने इसकी भी हत्या कर दी.

इस हत्याकांड से जुड़ी कई और थ्योरी भी हैं. इसमें से एक दावा करती है कि राष्ट्रपति की हत्या के पीछे अमरीकी सुरक्षा एजेंसी CIA का हाथ था. ऐसी ही एक अन्य थ्योरी का मानना है कि इस हत्याकांड को रूस की ख़ुफ़िया एजेंसी KBG ने अंजाम दिया था.

ख़ैर, सच क्या है इसकी खोज आज तक जारी है. हिन्दुस्तान के व्यापम घोटाले की तरह ही इस केस में कई ऐसी जड़ें हैं, जिनकी जांच आज तक हो रही हैं जबकि कई पहलुओं की जांच होनी बाकी है.