शुरुवात ज़रा सीरियस अंदाज़ में हो गयी, लेकिन बात भी कुछ कम सीरियस नहीं है. इस सच्चाई से तो आप भी इंकार नहीं करेंगे कि घर को ख़ूबसूरती के लिए, हम कमरे की चारों दीवारों को सजाने में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं. लेकिन उस पांचवी दीवार का क्या ?
वो कौन है, जो ये कहता है?घर, सिर्फ़ चार दीवारों से बनता है…
कभी तस्वीरों से, कभी लाइट्स से वो चार दीवारों को तो सजा देता है… पर क्या उसने कभी सोचा है?ऊपर से देख रहा, वो पांचवा क्या सोचता है?
घर का एक हिस्सा, वो ख़ुद को भी मानता है सजने सवरने का, उसका दिल भी चाहता है…
पांचवी दीवार. मतलब घर की छत.
अब उसे इतना नज़र अंदाज़ करा जाएगा, तो वो भी कब तक ख़ामोश रहेगी. इसीलिए आज हमने ऐसे ही एक घर की ‘छत’ को मौक़ा दिया है, अपनी दिल की बात रखने का. आइये करें ‘छत्त से चर्चा’
सवाल: सबसे पहले तो, हर रिपोर्टर की तरह, वही एक घिसा पिटा सवाल… कैसा लग रहा है आपको?
छत: कैसा लगेगा? वैसा ही लग रहा जैसे शादी में बुज़ुर्ग चाची को एक सोफ़े पे बिठा कर इग्नोर कर देते हैं. वैसे हमें अकेले छोड़ रखा है…
सवाल: लेकिन आप तो बड़े ख़ूबसूरत घर में रहती हैं.
छत: हां. लेकिन सारी ख़ूबसूरती तो इस घर के मालिक ने चारों दीवारों के नाम कर दी है. ये देख रहे हो, मेरे दाएं तरफ़ वाली दीवार. इस पर तो हर छे महीने में नया वॉलपेपर लगता है. कभी नीले रंग का, कभी हरे रंग का. मैं तो देख-देख कर सिर्फ़ ग़ुस्से से लाल रंग की हो जाती हूं.
सवाल: आपने कभी शिकायत नहीं करी ?
छत: करी थी. एक बार जब ये सामने वाली दीवार पर सीनरी लगा रहे थे, तो बड़ा ग़ुस्सा आया. बर्दाश्त ही नहीं हो रहा था. तब मैंने ज़रा हिल-हिल कर थोड़ी सी सीमेंट नीचे गिरा दी. सोचा, थोड़ा ध्यान मेरी तरफ़ जाएगा. गया तो लेकिन ‘थोड़ा’ ही. मालिक ने एक बार ऊपर देखा और कहा ‘अरे, कितनी कमज़ोर है’. मैं और कमज़ोर. Huh! मुझसे पूछो कितनी स्ट्रॉन्ग हूं. बाईस साल हो गए इस घर को बन कर. हर बार चारों दीवारों को सजते देखा है लेकिन एक चूं तक नहीं करी आज तक.
सवाल: वैसे इस घर में पिछले महीने शादी भी थी न…
छत: हां, इनके बड़े बेटे की शादी थी. नीचे देख रहे हो. इसी सोफ़े पर सब बैठ कर तैयारियों की बात कर रहे थे. पूरे घर में पेंट होने की बात हुई. मैं तो बातें सुन-सुन कर बहुत Excited थी. ऐसा लगा अब तो डिज़ाइन बनेंगे. POP से मेरी शान बढ़ेगी लेकिन वो जो पेंटर आया, उसने सारा गेम बिगाड़ दिया. कहता, ‘साहब छत कौन देखता है, नीचे-नीचे दीवारों पर करा लो. काफ़ी है.
सवाल: अरे ये तो बहुत बुरा हुआ. तो आप दिन भर बस ऐसे ही कुढ़ती रहती हैं…
छत्त: यही समझ लो… और बस ये जो मुझ पर पंखे की ज़िम्मेदारी दे रखी है, इसे पकड़े रहती हूं… शकल देख रहे हो इस पंखे की. आधा मूड तो यही ख़राब कर देता है. न रंग का अच्छा, न कोई डिज़ाइन. और जब देखो, इसके ये तीनों हाथ और बीच में मूंह, धूल में लिपटे रहते हैं…
रिपोर्टर: वैसे इस पंखे का तो एक ख़ूबसूरत इलाज है. इसे बदल कर Havells के Designer Fans लगवा लीजिये.
छत: होगा तो पंखा ही न…
रिपोर्टर: सिर्फ़ पंखा नहीं, डिज़ाइनर पंखे हैं. अलग-अलग स्टाइल में और अलग-अलग रंगों में भी.
छत: मतलब पंखा घूमेगा और मैं ख़ुशी से झूमूंगी
रिपोर्टर: हां. खिड़की से झांक कर तो देखिये. वो सामने वाले घर का जो कमरा है, उस छत पे भी लग गया है.
छत: मतलब अब सब लोग सर उठा कर मुझे Compliments भी देंगे
रिपोर्टर: ज़रूर. आप भी तो घर का हिस्सा हैं. सजना-सवरना तो बनता है.
चार दीवारों को सजाने में पांचवी दीवार को मत भूल जाइये. अपने घर की Fifth Wall, मतलब अपने छत को Havells के नए Designer Fans से सजाइये. Ceiling Art से आप भी ख़ुश हो जाएंगे और आपकी छत भी. ये देखिये…