हम आज एक ऐसे दौर में गुज़र-बसर कर रहे हैं जहां अभिव्यक्ति और कला को रोज़ ही पैरों तल रौंदा जा रहा है. कई बार किसी समुदाय विशेष द्वारा भावनाओं का आहत होना इसकी वजह बतायी जाती है तो कई बार धर्म और संस्कृति पर हमला. आख़िर क्या वजह हो सकती है कि किसी कलाकार द्वारा तराशी गई मूर्तियां और रंगा गया कैनवस किसी को नागवार गुज़रे? मगर कट्टरपंथियों को यह चीज़ें कहां समझ में आती हैं. इस्लामिक स्टेट ने कई धरोहरों को ढहा दिया है जैसा कभी हिन्दुस्तान में भी विदेशी आक्रांताओ द्वारा किया जाता था. ये सारे कट्टरपंथी संगठन किसी क्षेत्र विशेष की साझी संस्कृति और विरासत को तबाह करना ही उनका कर्तव्य समझते हैं. खैर किसी चीज़ को तहस-नहस करने वाले सृजन की शक्ति को कहां समझते हैं. तुम एक तोड़ोगे हम हज़ार का सृजन करेंगे. हार नहीं मानेंगे-हार नहीं मानेंगे. बहरहाल आप सभी के समक्ष पेश हैं दुनिया की वे 10 मशहूर कृतियां व स्थल जो आतंकवादियों के निशाने पर रह चुके हैं.

1. कंबोडिया के पुरातन स्थल

सन् 1975 से 1979 के बीच Khymer Rouge ने लगभग 20 लाख कंबोडियाइ लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. उन्होंने इस दौरान लगभग 3000 पुरातन मंदिरों को भी तबाह कर दिया. उन्होंने न सिर्फ़ मंदिरों, मूर्तियों, धार्मिक ग्रंथों बल्कि साहित्य को भी ख़ासा नुकसान पहुंचाया. उन्होंने इस दौरान 75 कैथोलिक चर्चों को भी भारी नुकसान पहुंचाया था. गौरतलब है कि हिन्दुओं के सबसे बड़े और पवित्रतम मंदिर के तौर पर मशहूर अंकोरवाट मंदिर भी कंबोडिया में ही है. इस कट्टरपंथी संगठन ने कई मूर्तियों और स्थल विशेष की चीज़ों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तस्करी करते भी पकड़ा गया.

2. आंबेर रूम

सेंट पीटर्सबर्ग के नज़दीक व कैथरीन पैलेस के भीतर स्थित यह बेहतरीन कलाकृति कभी दुनिया के 8 आश्चर्यों में शुमार किया जाता था. इसे फ्रेडरिक विलियम प्रथम ने पीटर द ग्रेट को तोहफ़े के रूप में दिया था. नाज़ियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसे बर्बाद कर दिया था. इसे उन्होंने कैरेटों में बंद करके कोनिग्सबर्ग भेज दिया था. आंबेर रूम उसके बाद जनता कभी न देख सकी.

3. गाव सने

सन् 2012 में अरब और टुआरेग के मुस्लिम आतंकी संगठनों ने इस 11 वीं सदी के अभिलेखीय स्थल को तबाह कर दिया. यहां एक पिरामीडीय टॉम्ब था, दो समतल छतनुमा मस्जिद थे, एक कब्रगाह थी और एक खुला ऐसम्बली स्थल भी था. यूनाइटेड नेशंस के सांस्कृतिक अफ़सरों की मानें तो यहां लगभग 90 प्रतिशत तक तबाही की गई है. यहां अफ्रीका के पारम्परिक कपड़ों और संगीत के साजो-सामान को भी तबाह कर दिया गया था. यहां 15 वीं सदी का एक मदरसा भी टिंबकटू के नज़दीक ही ढहा दिया गया था.

4. इमाम अवन अल-दीन पवित्र स्थल

टिगरिस नदी के किनारे पर मोसुल नामक जगह पर स्थित यह पवित्र स्थल 13 वीं सदी में बनाया गया था. इसे इस्लामिक स्टेट ने जुलाई 2014 मे तबाह कर दिया. यह स्थल कभी इतना ख़ूबसूरत हुआ करता था कि दूर-दूर से यहां लोग इसके दर्शन और मन्नत मांगने आया करते थे. इसे कट्टरपंथियों ने धूल में मिला दिया. आज यह जगह चंद्रमा के ऊबड़-खाबड़ स्थल जैसी ही लगती है.

5. क्राक देस कावालियर

सन् 1142 से सन् 1271 के बीच निर्मित इस ऐतिहासिक धरोहर को ख़ासी प्रसिद्धि प्राप्त थी जब तक वह सीरियाई लड़ाकों और सरकारी लड़ाई का केन्द्र नहीं बना था. यूनेस्को ने इसे विश्व का धरोहर घोषित कर रखा था, मगर अफ़सोस कि इसे जंग में किले के तौर पर इस्तेमाल किया गया और धीरे-धीरे गोले-बारूद और बम के हमलों से यह विरासत तबाह होती चली गई.

6. निमरूद

13 वीं सदी ईसा पूर्व में मोसुल के दक्षिणी भाग में स्थित निमरूद कभी नव असीरी साम्राज्य की राजधानी के तौर पर जाना जाता था. हालांकि आज इस बात का अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है कि इस्लामिक स्टेट ने इसका कितना नुकसान पहुंचाया है. सैटेलाइटों से दिखने वाले नज़ारों में कभी दुनिया के ख़ूबसूरत शहरों के तौर पर शुमार यह शहर आज बिल्कुल से तबाह हो गया है. यूनेस्को ने निमरूद की तबाही को युद्ध अपराध की संज्ञा दी है.

7. खोर्साबाद

इस ऐतिहासिक स्थल का तबाह हो जाना इस्लामिक स्टेट द्वारा तबाही का एक और भयावह नज़ारा है. मोसुल से 9 मील की दूरी पर स्थित यह शहर आज नेस्तोनाबूत कर दिया गया है. अब इन शैतानों की कारस्तानियों को देख-पढ़ कर मेरा तो दिल बैठा जा रहा है.

8. मोसूल का म्यूजियम

बगदाद के उत्तर में स्थित यह अजायबघर इराक का दूसरा सबसे बड़ा अजायबघर था. इस्लामिक स्टेट के सिरफिरे लड़ाकों ने इस अजायबघर की मूर्तियों और ऐतिहासिक इमारत को तबाह कर दिया. अलग-अलग लोग इसे लेकर तरह-तरह की बातें करते हैं मगर फिर भी जो कुछ हुआ वो अफ़सोसनाक है.

9. अफगानिस्तान का राष्ट्रीय संग्रहालय

नेशनल जियोग्राफिक की मानें तो इस संग्रहालय का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा आज तबाह हो चुका है और इसका ज़िम्मेदार तालिबान है. तालिबानी लड़ाकों ने यहां की ढेरों मानवीय और जानवरों से मिलती-जुलती कलाकृतियों को तबाह कर दिया. उन्होंने सदियों पुरानी इस कला और संस्कृति को तबाह कर दिया. यहां प्रदर्शनी देखने गए लोगों का तो दिल छलनी हो जाता है. यहां महात्मा बुद्ध की भी एक बेहतरीन प्रतिमा थी जिसे तोड़ दिया गया.

10. बामियान के बुद्ध

मार्च 2001 में तालिबान ने बुद्ध की प्रतिमा को डायनामाइट से उड़ा दिया. यह प्रतिमा 8200 फीट की थी. अब आप इसके भव्यता का अंदाज़ा तो लगा ही सकते हैं, मगर इससे तालिबान को उनकी संस्कृति खतरे में नज़र आने लगी थी. तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद ओमार को यह मूर्ति पसंद नहीं थी और उसने इसे तबाह करने की ठान ली. अब आप इसे पागलपन कहेंगे या फिर संस्कृति का रक्षक.

अब तो समझ में आ ही गया होगा कि दुनिया मेंं पागलों की कोई कमी नहीं है…