जानवर हमारे लिए जितने उपयोगी हैं, उससे कहीं ज़्यादा उपयोगी ईश्वर के लिए भी है. आप किसी भी धर्म ग्रंथ में पढ़ लीजिए, आपको कोई न कोई ऐसा जानवर मिल ही जाएगा, जो ईश्वर के काफ़ी करीब रहा है. कई ऐसे पशु-पक्षी और पेड़-पौधे हैं, जिन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से अहमियत दी जाती है, मसलन हिन्दू धर्म में गाय और तुलसी को पवित्र माना जाता है. आइए आपको बताते हैं कि दुनिया में कहां किस-किस को पवित्र कहा गया है.
शेर
शेर को एक शक्तिशाली जानवर समझा जाता है. इसे जंगल का राजा भी कहा जाता है. हिन्दू धर्म में शेर का महत्व बहुत ही ज़्यादा है. ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा शेर की सवारी करती हैं.

हाथी
हाथी को इंद्र देवता का साथी माना जाता है. वे हाथी पर सवारी करते हैं. हाथी का दूसरा रूप भगवान गणेश हैं. हिन्दू धर्म में आज भी हाथी की पूजा की जाती है.

चूहा
प्लेग जैसी बीमारी फैलाने और नालों में रहने के कारण चूहों को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है. लेकिन भारत में यही चूहा भगवान गणेश की सवारी भी है. राजस्थान में चूहों को मारा नहीं जाता. बीकानेर के करीब तो चूहों का मंदिर भी है.

हंस
ज्ञान की देवी मां सरस्वती का वाहन हंस माना जाता है. हंस पवित्र, जिज्ञासु और समझदार पक्षी होता है. हंस अपने चुने हुए स्थानों पर ही रहता है. इसकी खासियत हैं कि यह अन्य पक्षियों की अपेक्षा सबसे ऊंचाई पर उड़ान भरता है और लंबी दूरी तय करने में सक्षम होता है.

बैल
भगवान शिव का वाहन माना जाता है नंदी. विश्व की लगभग सभी प्राचीन सभ्यताओं में बैल को महत्व दिया गया है. सुमेरियन, बेबीलोन, असीरिया और सिंधु घाटी की खुदाई में भी बैल की मूर्ति पाई गई है. इससे पता चलता है कि प्राचीनकाल से ही बैल को महत्व दिया जाता रहा है. भारत में बैल खेती के लिए हल में जोते जाने वाला एक महत्वपूर्ण पशु रहा है.

गाय
भारतीय संस्कृति में गाय को मां कहा जाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह गाय का दूध है. इसे अमृत समझा जाता है.

सोचने वाली बात ये है कि अगर पशुओं को भगवान के साथ नहीं जोड़ा जाता तो, शायद पशु के प्रति हिंसा का व्यवहार और ज़्यादा होता. भारतीय मनीषियों ने प्रकृति और उसमें रहने वाले जीवों की रक्षा का एक संदेश दिया है. हर पशु किसी न किसी भगवान का प्रतिनिधि है, उनका वाहन है, इसलिए इनकी हिंसा नहीं करनी चाहिए. इतना ही नहीं, विश्व के अन्य देशों में भी जानवरों को धर्म के काफ़ी करीब माना गया है.
बुज्जा
सारस जैसा दिखने वाला यह पक्षी भी मिस्र सभ्यता के देवता ठोठ से नाता रखता है. ऐसी मान्यता है कि मिस्र की लिपि की रचना ठोठ ने ही की थी और वे सभी देवताओं के बीच संवाद के लिए ज़िम्मेदार हैं.

बंदर
कोई बच्चा बहुत उछल-कूद करे, तो मज़ाक-मज़ाक में उसे बंदर या लंगूर कह कर पुकारा जाता है. लेकिन प्राचीन मिस्र में लंगूर को पवित्र माना जाता था. विज्ञान और चांद के देवता ठोठ को अधिकतर लंगूर के रूप में दर्शाया जाता था.

इस धरती पर जितना अधिकार हमारा है, उतना ही अधिकार जानवरों का भी है. ये अलग बात है कि हम उन पर अपना अधिकार जमा चुके हैं और इस धरती को अपने कब्ज़े में ले लिया है. हम मानवों ने इस धरती को कई चीज़ों में विभाजित कर दिया है.