एक बच्चे के लिए नि:संदेह मां उसके जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखती है. लेकिन हमें ये भी नहीं भूलना चाहिये कि बच्चे को ज़िंदगी की सही राह दिखाने में पिता की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी मां की. मां-बाप अपने बच्चों के लिए वो सब कुछ करते हैं, जितनी उनकी क्षमता होती है. वैसे तो हर बच्चे के लिए मां और बाप दोनों बराबर होते हैं, लेकिन बच्चे अपने पिता में अपना हीरो तलाश करते हैं.

आज हम आपको भारतीय सेना की एक महिला अफ़सर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस वक़्त अरुणाचल प्रदेश के टेंगा में पोस्टेड हैं. अपनी ड्यूटी के दौरान ये अफ़सर तवांग सेक्टर की Kyapho पोस्ट पर पहुंची जिसका नाम था ‘आशीष टॉप’. वो जानना चाहती थी कि आख़िर इस पोस्ट का नाम किसके नाम पर रखा गया है. उसे जब पता चला कि इस पोस्ट का नाम उसके पिता और भारतीय सेना के रिटायर्ड कर्नल, आशीष दास के नाम पर रखा गया है तो महिला अफ़सर भावुक होकर वहीं गिर गई. पिता के सम्मान के लिए उनकी आंखों में आंसू थे. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आशीष दास असम राइफ़ल से रिटायर्ड कर्नल हैं.

इस बारे में ख़ुद रिटायर्ड कर्नल, आशीष दास ने बताया कि ‘कुछ समय पहले जब मैं घर पर था, तो मेरे पास ‘आशीष टॉप’ के कमांडिंग ऑफ़िसर का कॉल आया और उसने बताया कि जब मेरी बेटी को इसके बारे में पता चला तो वो भावुक होकर वहीं गिर गई. 1986 में जब मैं वहां पोस्टेड था, तो उस वक़्त मैंने इस जगह के बारे में अपने परिवार को बताया था, लेकिन उस वक़्त मेरी बेटी का जन्म नहीं हुआ था. मैंने भी ‘आशीष टॉप’ के बारे में साल 2003 में ही सुना जब मैं रिटायर हो गया था. 17 साल के बाद हमारी सेना ने चीन की पीपल्स आर्मी को हराकर 14 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई वाली इस पोस्ट पर कब्ज़ा किया था.’

उस वक़्त आशीष दास कैप्टन के पद पर Sumdorong Chu Valley में तैनात थे. Line Of Actual Control (LAC) पर चीनी सेना की घुसपैठ को रोकने के लिए भारतीय सेना ने Operation Falcon चलाया था और कैप्टन आशीष दास इस ऑपरेशन का हिस्सा थे.

जब भी बच्चे कुछ अच्छा करते हैं तो मां-बाप का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है. लेकिन जब किसी बच्चे को ये पता चलता है कि उसके पिता ने देश के लिए क्या किया है, तो उस बच्चे की नज़र में उसका पिता असली हीरो बन जाता है.

भारतीय सेना हमेशा से ही अपने साहस, पराक्रम और बलिदान के लिए जानी जाती है. हम घर पर चैन से सो सकें, इसीलिए एक जवान दिन-रात सीमा पर निगरानी करता है. कर्नल आशीष दास भी उन्हीं हीरो में से एक हैं, इसीलिए हम उनको सलाम करते हैं. जय हिन्द!