तस्वीरें, यादों का पिटारा होती हैं. कहते हैं कि एक तस्वीर हज़ारों शब्दों के बराबर होती है. Spanish आर्टिस्ट Jacqueline Roberts, बहती धार के उलट, 19वीं शताब्दी की तस्वीरों को डिजिटल युग में ज़िन्दा कर रही हैं.
Wet Plate Photography का आविष्कार 1851 में हुआ था. इसी तकनीक से Jacqueline ने तस्वीरें खीचीं हैं. Jacqueline आमतौर पर बच्चों की तस्वीरें खींचती हैं. पुराने ज़माने के तौर-तरीकों से खींची गई ये तस्वीरें डरावनी हैं.
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मासूम चेहरा, निगाहें फ़रेबी.
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बच्चों की आंखों से सच्चाई झलकती है. पर इस बच्ची की आंखें तो डर पैदा कर रही हैं.
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दो बहनों की कहानी.
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मासूमियत ही खो गई है इसकी तो.
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कौन कहेगा कि ये एक बच्ची है.
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न जाने कौन सा राज़ छिपाए बैठी है ये.
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वक़्त बीत जाता है, रह जाती हैं तो सिर्फ़ यादें.
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ग़मगीन है ये तो.
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रंगों के बिना तस्वीरें भी बेजान लगती हैं.
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किसी ने छीन ली है इसकी मुस्कुराहट.
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कुछ दर्द है इस बच्चे की आंखों में.
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शायद कुछ कहना चाहती है ये, पर ज़बान साथ नहीं दे रही.
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ये एक क्यूट बच्ची है, ज़रा ध्यान से देखिये.
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आंसू भी अंगारें बन गए हैं.
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डरना मना है.
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कुछ ढूंढ़ रही हैं इनकी आंखें.
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आस-पास बीच तो नहीं है, फिर ये दोनों क्या कर रहे हैं?
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ऐसा लग रहा है किसी ने इसे शीशे में कैद कर लिया है.
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अतीत की परछाइयां पीछा नहीं छोड़ती.
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बच्चे कभी अकेले नहीं होते.
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चाहें भी तो नींद नहीं आती.
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किसी को ढूंढती हैं ये निगाहें.
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किसी को ढूंढ़ती हैं ये निगाहें.
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वो आपके जाने के बाद भी आपकी राह देखता है.
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ज़िन्दगी को किसी की तलाश है, पर मौत ज़िन्दगी से ज़्यादा पास है.
प्यारे-प्यारे बच्चों की तस्वीरें, 19वीं सदी में इतनी डरावनी हो सकती है, ये सोचा नहीं था.
Source: Bored Panda