मंत्री हो या संतरी सभी को अपनी जान प्यारी होती है. इस लोकोक्ति का जिक्र इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री आवास को भुतहा घोषित कर दिया गया है. इसकी वजह यहां 3-3 मुख्यमंत्रियों और एक कर्मचारी की असामयिक मौत को बताया जा रहा है. इन अचानक हुई मौतों ने आम जनता के साथ-साथ अब सरकार को भी इसे भुतहा मानने पर मजबूर कर दिया है.
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राज्य सरकार ने अब यह निर्णय लिया है कि इस बंगले में पूजा-पाठ करवा कर इसे आगे एक गेस्ट हाउस में बदल दिया जायेगा. बीते साल अगस्त में अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के नीति विहार क्षेत्र में स्थित इस आवास पर मुख्यमंत्री कलिखो पुल ने आत्महत्या कर ली थी. इससे पहले भी दो और मुख्यमंत्रियो की यहां रहते समय असामयिक हालातों में मौत हो गई थी. यहीं नहीं कलिखो पुल की आत्महत्या के कुछ ही दिनों बाद यहां काम करने वाले एक कर्मचारी ने भी यहां ख़ुदकुशी कर ली. इसके बाद स्थानीय लोगों में इसके भुतहा होने की बातें चारों तरफ़ होने लगी.
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राज्य के उपमुख्यमंत्री चौणा मीन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुआ कहा कि इस बंगले को अब एक गेस्ट हाउस में बदलने का निर्णय लिया गया है. जनता के मन में इसे लेकर भुतहा बन जाने की जो बातें मन में पैदा हो गई है, उन्हें दूर करने के लिए यहां धार्मिक कर्मकांड करके इसे फिर से शुद्ध किया जायेगा.
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2794.80 वर्गमीटर में फ़ैले इस बंगले को बनने में 59.55 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
बंगले में पहले भी करवाई जा चुकी है पूजा-पाठ
मुख्यमंत्री नबाम तुकी के कार्यकाल में एक वास्तुकार द्वारा इस बंगले में कुछ खामियां बताई गयीं थीं. इसके बाद दोरजी खांडू के कार्यकाल में तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा द्वारा यहां पूजा-पाठ करवाई गई थी.
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इसके बाद खांडू की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई. खांडू के बाद जारबम गैमलिन यहां रहने आये, उनकी भी कुछ ही समय बाद असामयिक मृत्यु हो गई. नबाम तुकी उसके बाद यहां रहने आये, यहां रहते हुए उनका पूरा कार्यकाल उथल-पुथल भरा रहा.
फ़िलहाल वर्तमान मुख्यमंत्री पेमा खांडू अपने निजी आवास में रह रहे हैं. भूत-प्रेत की वजह से यह सारा घटनाक्रम हुआ या फिर महज एक इत्तेफ़ाक की वजह से, इसका पता तो इस बंगले में फिर से जब कोई रहने वाला आयेगा, तब ही पता चलेगा.