मैला ढोना या Manual Scavenging को सालों पहले भारत में अंसैवाधानिक घोषित कर दिया गया था. इसके बावजूद आज भी भारत में हज़ारों पुरुष और महिलाएं हाथों से मैला ढोते हैं, नाले और Manhole की सफ़ाई करते हैं और इसी क्रम में बेमौत मारे भी जाते हैं.
New Indian Express की एक रिपोर्ट कहती है, ‘सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन’ के मुताबिक 2010 से 2017 के बीच 1470 मैला ढोने वाले लोगों की मौत हुई.
काम के अभाव में और ज़रूरतों के आगे हारकर आज भारत में 1.8 लाख लोग मैला ढोने का काम करते हैं. जिन नालों के पास से गुज़रते हुए हम नाक बंद करके चलते हैं, ये लोग उसी को साफ़ करते हैं.
भारत के कई गांवों में आज भी घरों में इंसान ही दूसरे इंसानों का मल सिर पर ढोते हैं.
इस अमानवीय प्रथा/कार्य को जड़ से ख़त्म करने की दिशा में एक पहले की है तिरुवनंथपुरम के Genrobotics कंपनी के इंजीनियर्स ने. 2015 में 9 Mechanical Engineering के छात्रों ने Team Robotics नाम से एक ग्रुप बनाया. इसी ग्रुप ने आगे चलकर 2016 में Genrobotics कंपनी शुरू की.

ये है Bandicoot:

80 किलोग्राम का ये रोबोट Manhole के अंदर जाता है और अपने हाथ फैलाकर कूड़ा-कचरा इकट्ठा करके एक बाल्टी में डालता है. सारी गतिविधि एक मॉनीटर पर देखी जा सकती है.
कंपनी के 25 वर्षीय CEO विमल गोविंद ने ये कहा,
वक़्त आ गया है कि हम Manholes को Roboholes में बदल दें.
Genrobotics ने Bandicoot की सफ़ल Testing कर ली है. Kerala Water Authority ने तिरुपनंथपुरम में हर सीवर की सफ़ाई Bandicoot से ही करवाने का निर्णय लिया है.
जिस देश में गंदे नालों की सफ़ाई बिना दस्ताने, बूट्स और गैस मास्क के की जाती है, वहां Bandicoot उम्मीद की किरण है.