गुलज़ार साहब का एक मशहूर शेर है कि ‘ये कैसा इश्क़ है उर्दू ज़बां का, मज़ा घुलता है लफ़्ज़ों का ज़बां पर कि, जैसे पान में महंगा किमाम घुलता है.’ ये इसी उर्दू ज़बां का जादू है कि आज रेख़्ता जैसे कार्यक्रमों में देश-विदेश से लोग आकर शरीक हो रहे हैं. इंटरनेट पर भी आपको ऐसे कई लोगों मिल जायेंगे, जिनके रोम-रोम उर्दू बसी हुई दिखाई देती है. ऐसे ही लोगों में एक नाम तान्या वेल्स का भी है, जो अकसर संगीत कार्यक्रमों के दौरान कभी फैज़, तो कभी फ़िराक़ की ग़ज़लें गाती हुई दिखाई देती हैं.
तान्या मूल रूप से लंदन की रहने वाली हैं और पिछले तीन सालों से पहाड़ों से घिरे हिमाचल में संगीत साधना कर रही हैं. आप तान्या की काबिलियत का अंदाज़ा इसी बात से आगा सकते हैं कि जब वो अलाप के लिए सुर लगाती हैं, तो लोग उसमें खो जाने को मजबूर हो जाते हैं. आज हम आपके लिए तान्या के गीतों की झोली में से कुछ ऐसे गाने निकाल कर लाये हैं, जिन्हें सुनने के बाद आप कहेंगे, ‘वाह उस्ताद क्या बात है?’
गुलों में रंग भरे
आज जाने की ज़िद न करो
ओ रे पिया
रफ्ता-रफ़्ता वो मेरी हस्ती
दमा-दम मस्त क़लन्दर
‘वंदे मातरम’ के रंग में रंगी तान्या
दुनिया किसी के प्यार में
हैरतों के सिलसिले
Source: TanyaWells