गुरुद्वारे देखने में जितने सुंदर होते हैं उससे कहीं ज़्यादा सुकून वहां जा कर मिलता है. उनके वातावरण में ही कुछ रूहानी सा होता है कि जब तक आप वहां रहेंगे आप के दिल को ऐसा सुकून मिलेगा जिन्हें शब्दों में बयान करना मुश्किल सा है.  

आइए आज आपको भारत के कुछ सुंदर गुरुद्वारों की झलक दिखाते हैं.  

1. गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली  

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दिल्ली का गुरुद्वारा बंगला साहिब एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. यह गुरुद्वारा पहले जयपुर के महाराजा जय सिंह का बंगला था. सिखों के 8वें गुरु हर किशन सिंह अपने दिल्ली प्रवास के वक्त यहां रहे थे. इस गुरुद्वारे के प्रांगण में स्थित तालाब के पानी को अमृत के समान जीवनदायी और पवित्र माना जाता है. यदि आप दिल्ली में रहते हैं या वहां जाने के मौक़ा लगे तो यहां ज़रूर जाइएगा.  

2. गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सिंह, अमृतसर 

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गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सिंह को अमृतसर का दिल माना जाता है. इस गुरुद्वारे को दरबार साहिब या स्वर्ण मन्दिर भी कहा जाता है. सिखों के चौथे गुरू रामदास जी ने इसकी नींव रखी थी. अमृतसर का नाम उस सरोवर पर रखा गया है जिसका निर्माण ख़ुद गुरु रामदास जी ने किया था. यह गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचों-बीच में स्थित है. गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने से बना होने के कारण इसे ‘गोल्डन टेम्पल’ कहते हैं. 

3. गुरुद्वारा श्री दाता बंदी छोड़ साहिब, ग्वालियर  

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यह गुरुद्वारा सिखों के 6वें सिख गुरु हरगोबिंद साहिब की याद में बनाया गया था. राजा जहांगीर ने गुरु हरगोबिंद साहिब को दो साल तक ग्वालियर के किले में बंदी बनाकर रखा था. उनके साथ 52 अन्य राजाओं को भी क़ैद में रखा था. जब  गुरु हरगोबिंद साहिब को मुक्त किया गया तो उनकी प्रार्थना करने पर अन्य राजाओं को भी रिहा कर दिया गया जिसकी वजह से गुरुद्वारे का नाम दाता बंदी छोड़ साहिब रखा गया है.  

4. गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब, मनाली  

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मनाली की ख़ूबसूरत वादियों के बीच गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब वास्तव में मन मोह लेता है. यह गुरुद्वारा सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव की याद में बना है. ऐसा कहा जाता है कि यह पहला स्थान था जहां गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्रा के दौरान ध्यान लगाया था. यह जगह वाक़ई बेहद सुन्दर है. 

5. तखत श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब, पटना  

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यह गुरुद्वारा सिखों के पांच पवित्र तख़्तों में से एक है. इस गुरुद्वारे को महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया था. बिहार के पटना में सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह  जी का जन्म हुआ था. इतना ही नहीं पटना गुरु नानक देव के साथ ही गुरु तेग बहादुर सिंह की पवित्र यात्राओं से जुड़ा हुआ है. यह शहर सिख आस्था का एक महत्वपूर्ण स्थल है.  

6. गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब, उत्तराखंड  

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हिमालय की गोद में बसा हेमकुंड साहिब सिख धर्म के आस्था का प्रतीक है. यह उत्तराखंड के चमोली जिला में स्थित है. यहां पहले एक मंदिर था जिसका निर्माण भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने करवाया था. सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी ने यहां पूजा अर्चना की थी. बाद में इसे गुरूद्वारा घोषित कर दिया गया. चारों ओर से बर्फ़ से घिरा हुआ ये गुरुद्वारा आपका मन मोह लेगा. 

7. तख़्त सचखंड श्री हज़ूर अबचलनगर साहिब, महाराष्ट्र   

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सिखों के ऐतिहासिक गुरुद्वारों में से एक है तख़्त सचखंड श्री हज़ूर साहिब, जो कि महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्थित है. यहीं पर सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अपने प्रिय घोड़े, दिलबाग के साथ अंतिम सांस ली थी. परिसर में स्थित गुरुद्वारे को सचखंड (सत्य का क्षेत्र) नाम से जाना जाता है.  

8. गुरुद्वारा श्री नानक झिर साहिब, कर्नाटक 

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दक्षिण भारत में भी सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी ने काफ़ी यात्राएं की थीं. यह कर्नाटक राज्य के बीदर शहर में स्थित है. इस जगह से एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है. बीदर शहर में पानी की बहुत किल्लत थी. जब अपनी यात्रा के दौरान वहां गुरु नानक देव जी आए तो उन्होंने अपने पैर से पहाड़ी को छुआ और उस स्थान से एक पत्थर को हटाया. पत्थर हटते ही वहां पानी की धारा निकलने लगी. बाद में इस स्थान को नानक झिरा का नाम दे दिया गया और धारा के किनारे ही ये सुंदर गुरुद्वारा बनाया गया.