आपने ये बात तो सुनी ही होगी कि प्यार, कभी भी-किसी भी वक़्त और किसी से भी हो सकता है. और इस पर हमारा कोई बस नहीं चलता. 

एक ऐसी ही प्यार की तलाश करती रागा ने उसे ख़ुद से मिला दिया. 

मैं और मेरा Ex-Husband एक ऐड एजेंसी में काम करने के दौरान मिले थे. हम बहुत क़रीबी दोस्त थे और ज़ल्द ही हमने शादी कर ली. बाहर से तो ऐसा लग रहा था की मेरी ज़िंदगी एक बढ़िया चल रही है, लेकिन मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि कुछ तो कमी है. कुछ ही सालों के अंदर मैंने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया और हम न्यूज़ीलैंड चले गए. जब मैंने वहां काम करना शुरू किया तो मुझे एहसास हुआ कि यहां की संस्कृति हमारे देश से कितनी अलग है. हर किसी से ये उम्मीद नहीं की जाती कि वे प्यार में पड़ें, शादी करें और बच्चे पैदा करें. आप का जो मन करे आप हो सकते हो और अपनी ज़िंदगी अपने मुताबिक़ जी सकते हैं. वो ज़िंदगी में पहली बार हुआ, जब मैंने महसूस किया कि ‘स्ट्रेट न होना’ एक विकल्प था. 

रागा को पता चल गया था कि आख़िरकार जिस चीज़ की कमी उसे हमेशा से खलती थी वो कहीं उसके अंदर ही थी. 

मुझे याद है मैं अपनी एक दोस्त, जो कि भारत में रहती थी उसे चिट्टियां लिखती थी कि कैसे मैं महिलाओं की तरफ़ आकर्षित हो रही हूं. मेरी मां मुझे मिलने यहां आ रही थी और एक दिन उन्हें वो सारे ख़त मिल गए. वो तुरंत अपने हाथ में चाकू लेकर मेरे पास आई , वो मेरे लिए इसे समाप्त करना चाहती थी. उन्होंने मेरे पति को वो सारे ख़त पढ़ाए. मैं बहुत डर गई थी. मेरे पति की अपनी प्रतिक्रिया थी लेकिन फिर उन्होंने मुझे बताया कि वो समझते हैं और मुझे अपना जीवन वैसे ही जीना चाहिए जैसा मैं चाहती हूं. 

उन्होंने मेरे पति को वो सारे ख़त पढ़ाए. मैं बहुत डर गई थी. मेरे पति की अपनी प्रतिक्रिया थी लेकिन फिर उन्होंने मुझे बताया कि वो समझते हैं और मुझे अपना जीवन वैसे ही जीना चाहिए जैसा मैं चाहती हूं.’ 

चीज़ें मेरे लिए यहां से और मुश्किल होती गई. मेरी मां वापस भारत चली गई और पति भी निकल गए. अब बस मैं और मेरे बच्चे रह गए थे. यहां एक छोटा सा भारतीय समुदाय रहता था और ज़ल्द ही सब को पता चल गया. लोग सड़कों पर मुझे घूरते थे और लोग मेरी गाड़ी पर Lesbian भी लिख देते थे. एक बार जब मैं अपने बच्चों के साथ सुपरमार्केट में थी तो एक महिला ने आकर मेरे चेहरे पर थूक भी दिया. मैंने अपने अधिकतर दोस्तों को भी खो दिया था. मैं अंदर से टूट गई थी और अपनी इच्छाशक्ति खो रही थी. लेकिन जैसे ही मैंने सारी उम्मीद खो दी थी मैं निकोला से मिली. हम एक इवेंट में मिले थे और तुरंत एक जुड़ाव सा महसूस हो गया था. हमने उस ही हफ़्ते कॉफ़ी पर भी मिलने का प्लान बनाया. ये काफ़ी वर्षों में पहली बार हुआ था जब मैं किसी के आसपास सुरक्षित महसूस कर रही थी. हम बहुत मज़े कर रहे थे. उसने पूछा कि क्या मैं ड्राइव के लिए जाना चाहती हूं, और ड्राइव के बाद हमने साथ में डिनर करने का फैसला किया! 
जब मैं उस रात घर वापस आई तो मुझे पता था कि मुझे अपने जीवन का प्यार मिल गया है. उसके बाद हमने एक साथ बहुत समय बिताना शुरू किया. उसने मुझे बहुत प्यार किया और संरक्षित महसूस कराया. उसने मुझे ठीक किया. मैंने उसे अपने बच्चों से मिलवाया और उन्होंने उसे खुली बाहों से स्वीकार किया. वो हमें अपनी ‘दो मां’ बुलाते हैं. बहुत ही ज़ल्द वो मेरे साथ रहने लगी और मेरी ज़िंदगी आख़िरकार परफ़ेक्ट हो गई. 
आज हम दोनों को साथ में 13 साल हो गए हैं. हम वापिस भारत चले गए और एक छोटा सा व्यापार भी चालू कर लिया है. कभी-कभी मेरा अतीत मुझे परेशान करता है लेकिन अब मेरे पास निकोला है तो मुझे पता है कि इस दुनिया का एक और पहलू है जो की ख़ूबसूरत है. यही आपको कभी-कभी चाहिए होता है- एक ऐसा व्यक्ति जो सब कुछ बेहतर कर दे. 

इनके प्यार को किसी की नज़र न लगे.