‘Benedict Cumberbatch’ को आपने हाल ही में आई Avengers: Infinity Wars में देखा होगा. Dr. Strange का किरदार Benedict ने ही निभाया है. Sherlock Holmes की नॉवेल पर बनी सीरीज़ में भी Benedict ही Sherlock के मुख्य किरदार में थे, लेकिन हम इनकी बात क्यों कर रहे हैं? क्योंकि इस हॉलीवुड सुपरस्टार ने ऐसी बात कही है, जो आज तक शायद ही किसी फ़िल्मस्टार ने कही हो.
Benedict का कहना है कि भविष्य में वो उन्हीं फ़िल्मों की हिस्सा बनेंगे जिनमें उनकी महिला को-स्टार को उनके बराबर मेहनताना मिलेगा. बराबर मेहनताना के बिना फ़ेमनिज़म की बात अधूरी है.
इस अभिनेता ने अपनी नई प्रोडक्शन कंपनी के बारे में भी बताया, जिसमें मुख्यत: महिला केंद्रित फ़िल्में बनाई जाएंगी. उस प्रोडक्शन हाउस में वो और उनके बिज़नेस पार्टनर पुरुष हैं, बाकि सभी कर्मचारी महिलाएं हैं.
Benedict के अनुसार, फ़िल्मों की आधी दर्शक लगभग महिलाएं हैं, हमें सिर्फ़ सही टैलेंट को मौका देना है.
हॉलीवुड की तरह भारत की फ़िल्म इंडस्ट्रीज़ के लिए भी Equal Pay एक गंभीर समस्या है. महिला कलाकारों को पुरूषों के मुक़ाबले बहुत कम मेहनताना दिया जाता है. यहां फ़िल्म इंडस्ट्री में धीमी आवाज़ में भी कोई इस मुद्दे पर बात करने से कतराता है. यदा-कदा कोई महिला कलाकार ही इस मुद्दे को इंटरव्यु और सोशल मीडिया पर उठा देती है, हालांकि इससे किसी के कानों पर जूं नहीं रेंगती.
कुछ दिनों पहले शाहरुख ख़ान ने घोषणा की था कि मेरी फ़िल्मों में फ़ीमेल को-एक्टर का नाम मेरे नाम से पहले पर्दे पर दिखाया जाएगा. ये एक अच्छी पहल है, लेकिन शाहरुख ख़ान ने भी अपने बराबर मेहनताने की बात नहीं कही.
आमिर ख़ान ने अपने एक इंटरव्यु में कभी एक निर्माता के तौर पर कहा था कि वो बराबर मेहनताने के पक्ष में हैं, लेकिन हमारे समाज में हीरो ही दर्शकों को सिनेमा हॉल तक लाते हैं. अगर हीरोईन ऐसा करने में सक्षम हैं, तो मुझे उन्हें पैसे देने में कोई परेशानी नहीं होगी. उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री की ग़लती का ठीकरा समाज के ऊपर फोड़ दिया और अपनी ज़िम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया.
हाल ही में रिलीज़ हुई संजय लीला भंसाली की विवादित फ़िल्म ‘पद्मावत’ में अभीनेत्री दीपिका पादुकोण को अपने साथी पुरुष कलाकारों से ज़्यादा मेहनताना मिला था. लेकिन ऐसे इके-दुक्के उदाहरण ही आपको सुनने को मिलेंगे. एक कलाकार को उसके काम के हिसाब से मेहनताना मिलना चाहिए, चाहे वो निर्देशक हो, लेखक हो या स्टंट मैन. एक कलाकार उचित सम्मान का ही भूखा होता है, बराबर मेहनताना भी उचित सम्मान देने का एक तरीका है.