हिमाचल प्रदेश को हमेशा से ही ऐसी धरती के तौर पर जाना जाता रहा है जिस पर ईश्वर की विशेष की कृपा रही है. देवभूमि के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर हिमाचल के नज़ारों को देखने और जीने के लिए लोग पूरी दुनिया से यहां आते हैं. रोमांच पसंद लोगों को लिए तो ये बस जन्नत है, और ट्रेकिंग पसंद लोगों के बीच इसका नाम बड़े ही प्यार से लिया जाता है. तो इसी के मद्देनज़र हम ख़ास आपके लिए पेश कर रहे हैं 10 ऐसे ही ट्रेकिंग रूट्स जहां हर शख़्स को उसकी ज़िदगी के दौरान ज़रूर जाना चाहिए…

1. पिन पार्वती…

पिन पार्वती एक ऐसा ट्रेक है जो पार्वती वैली से शुरू होकर स्पिति के पिन वैली की ख़ूबसूरत वादियों तक जाता है. इस ट्रेक के बीच में पकड़ने वाले गांव, उनकी भाषा और रहन-सहन के साथ-साथ ब्यास और पार्वती जैसी नदियों का आपके आस-पास से बहना तो बस आपको ज़िंदगी भर याद रहने वाला है. इस रास्ते पर आप ‘कि गोम्पो’ और ‘टाबो मठ’ जैसे बौद्ध मठों को भी देख सकते हैं. इस ट्रेकिंग पर जाने के लिए आपको बहुत अच्छी तैयारी की ज़रूरत पड़ेगी.

ट्रेकिंग डिस्टेंस: 110 किमी

ट्रेकिंग समय: लगभग 11 दिन

बेस्ट टाइम: जुलाई से सितंबर

मैक्सिमम ऐल्टिट्यूड: 17,500 फीट

डिफिकल्टी लेवल: हाई

2. मलाना गांव ट्रेक…

हिमाचल में मलाना गांव का ट्रक सबसे पॉपुलर ट्रेकिंग ज्वाइंट्स में से एक है. यह एक बेहद ख़ूबसूरत जगह है जिसकी वजह से इसे दिवास्वप्न का भी तमगा दिया जाता है. यह स्थान इतना ख़ूबसूरत है कि इसे पिक्चर पोस्टकार्ड परफेक्ट कहा जाता है. यहां कम से कम एक बार तो जाना बनता ही है बॉस…

ट्रेकिंग डिस्टेंस: 96 किमी

ट्रेकिंग समय: 5 दिन

बेस्ट टाइम: अप्रैल से अक्टूबर

मैक्सिमम ऐल्टिट्यूड: 9940 फीट

डिफिकल्टी लेवल: मॉडरेट

3. ब्यास कुंड…

ब्यास कुंड का नाम पुरातन काल के ऋषि ब्यास के नाम परस पड़ा है. ज्ञात हो कि महर्षि ब्यास ने ही महाकाव्य महाभारत लिखा था. ब्यास कुंड ट्रेक की शुरुआत मनाली से होती है जो सोलंग घाटी से होते हुए आगे बढ़ता है. ब्यास कुंड सारे पर्वतारोहियों के लिए बेस कैम्प है जहां से वे लद्दाखी और फ्रेंडशिप पीक के लिए आगे बढ़ते हैं.

ट्रेकिंग डिस्टेंस: 21.3 किमी

ट्रेकिंग समय: 2 दिन

बेस्ट टाइम: अप्रैल से अक्टूबर

मैक्सिमम ऐल्टिट्यूड: 11,416 फीट

डिफिकल्टी लेवल: मॉडरेट

4. बारालच्छा- चंद्रताल झील…

चंद्रताल का शाब्दिक अर्थ होता है ‘चंद्रमा का ताल’. यह ख़ूबसूरत झील अर्धचंद्र की तरह दिखता है. यह झील स्पिति इलाके में पड़ता है और यहां का जल इतना साफ और स्वच्छ है कि आप इसमें आईने की तरह अपना चेहरा देख सकते हैं. इसके आस-पास का बेहद ख़ूबसूरत इलाका इसे कैम्पिंग के लिए सबसे मुफ़ीद जगह बनाता है. इसके अलावा चंद्रभागा और मुलकिला के आस-पास के इलाकों में जमी बर्फ़ तो ऐसे नज़ारे प्रस्तुत करती है जैसे आप जन्नत में हों.

ट्रेकिंग डिस्टेंस: 48 किमी

ट्रेकिंग समय: 4 दिन

बेस्ट टाइम: अप्रैल से अक्टूबर

मैक्सिमम ऐल्टिट्यूड: 16,043 फीट

डिफिकल्टी लेवल- लो

5. चंद्रखानी पास ट्रेक…

चंद्रखानी पास पार्वती घाटी के भीतर अवस्थित है जो मलाना और कुल्लू घाटी को आपस में जोड़ता है. यह पास देव टिब्बा, पारबती और पीर पांजल पर्वतीय रेंजों के जबरदस्त नज़ारे दिखलाता है. इस ट्रेक की शुरुआत मनाली के नज़दीक नागर गांव से होती है.

ट्रेकिंग डिस्टेंस: 84 किमी

ट्रेकिंग समय: 5 दिन

बेस्ट टाइम: मई से अक्टूबर

मैक्सिमम ऐल्टिट्यूड: 11, 975 फीट

डिफिकल्टी लेवल: मॉडरेट

6. मैक्लॉडगंज – चंबा ट्रेक…

मैक्लॉडगंज से चंबा के बीच के ट्रेकिंग स्पेस को सबसे ज़्यादा पसंद किया जाता है. इस ट्रेक पर आपको देवदार के लंबे-लंबे और खड़े पेड़ मिलते हैं जो अद्भुत नज़ारे प्रस्तुत करते हैं. इस रास्ते पर आपको लाहौल और स्पिति जाने वाले गणरियों का समूह उनके भेड़ों और बकरियों के साथ देखने को मिल सकता है. इस जगह से आपको कैलाश पर्वत के भी दर्शन होते हैं जिसे हिन्दुओं के प्रमुख भगवान, भगवान शिव का घर माना जाता है.

ट्रेकिंग डिस्टेंस: लगभग 132 किमी

ट्रेकिंग समय: 5 दिन

बेस्ट टाइम: अप्रैल से जून और सितम्बर से अक्टूबर

मैक्सिमम ऐल्टिट्यूड: 12,008 फीट

डिफिकल्टी लेवल: मॉडरेट

7. हंप्टा पास ट्रेक…

हिमालय की तराईयों में बसा हुआ हंप्टा पास मनाली के दक्षिण-पूर्व में स्थित है. हम्पटा पास ट्रेक आपको हम्पटा नदी के किनारे-किनारे कुल्लू-मनाली घाटी के अंत तक लेकर जाता है. यह ट्रेक लाहौल के चंद्रा पर जाकर खत्म होता है. इस पूरे रास्ते और ट्रेक पर आपको ऐसे नज़ारे देखने को मिलेंगे कि आपका दिल बाग-बाग हो जाएगा. इस रास्ते पर दिखने वाले ग्लेसियर व पक्षियों के अलावा देवदार और बादाम के पेड़ों को देखना तो बस अद्भुत होता है.

ट्रेकिंग डिस्टेंस: 45.8

ट्रेकिंग समय: 5 दिन

बेस्ट टाइम: जून से अक्टूबर

मैक्सिमम ऐल्टिट्यूड: 13780 फीट

डिफिकल्टी लेवल: मॉडरेट और कहीं-कहीं कुछ दिक्कतें भी आती हैं

8. देव टिब्बा बेस कैम्प ट्रेक…

मनाली से दक्षिण 6 किलोमीटर दूर देव तिब्बा बेस कैंप ट्रैकिंग के मामले में एक बेहतरीन ऑफ्शन है. यहां ट्रैकिंग करने के दौरान आपको कई प्राकृतिक चीज़ों से रूबरू होंगे. हरे-हरे घास को देख कर आप मंत्र मुग्ध हो जाएंगे. इसके आस-पास में मनमोहक फूलों को देख कर आपका मन तृप्त हो जाएगा.

ट्रैकिंग डिस्टेंस: 29 किमी

ट्रैकिंग समय: 5 दिन

बेस्ट टाइम :जून से सितम्बर

समुद्र तल से ऊंचाई :14,700 फीट

9. त्रिउंड ग्लेशियर ट्रेक…

हिमाचल प्रदेश की त्रिउंड ग्लेशियर खूबसूरत वादियों में ट्रैकिंग करने का अपना एक अलग ही अनुभव है. कांगड़ा और चंबा के नजदीक ट्रैकिंग करने का अपना एक अलग अनुभव है. यहां चारो तरफ़ आपको हरियाली ही देखने को मिलेगी. कुछ लोगों का मानना है कि यहां कई तरह के जानवर दिखने को मिल जाते हैं. यहां ट्रैकिंग करते समय आप हिरण, पहाड़ी बकरी और बर्फीली पक्षियों को आसानी से देख सकते हैं. त्रिउंड ग्लेशियर की खासियत ये है कि यहां बिना गाइड के भी आप ट्रैकिंग कर सकते हैं.

ट्रैकिंग डिसटेंस 6.6 km

ट्रैकिंग सीमा- :2 दिन

बेस्ट टाइम :अगस्त से अक्टूबर

 समुद्र तल से ऊंचाई : 97,650 ft

10. किन्नौर कैलाश सर्किट…

किन्नौर कैलाश सर्किट में ट्रैकिंग करना एक चुनौती जैसा है. इससे ना सिर्फ़ आप रोमांचित होंगे बल्कि एक सुखद अनुभव भी मिलेगा. यहां जाने के लिए आपको बर्फ़ीली रास्ते से होकर गुजरना पड़ेगा, बीच में आपको सुंदर-सुंदर बगीचों के दर्शन भी होंग . जहां चहचहाते हुए पक्षियों की कई प्रजातियां भी देखने को मिलेंगे . सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस रूट पर ट्रैनिंग करने वालों के पास बड़ा जिगर होना चाहिए.

ट्रैकिंग डिसटेंस . 6 किमी

ट्रैकिंग सीमा- 2 से 14 दिन

बेस्ट टाइम : मई से सितंबर

समुद्र तल से ऊंचाई: 17, 198 फीट

तो भैया, ये तो रही ट्रेकिंक की बात. हम तो हमारी नौकरी से पक गए हैं और छुट्टी लेकर चले हिमाचल की ओर. अब आप भी सोच लीजिए कि ज़िंदगी भर इसी नौकरी-चाकरी के चकल्लस में फंसे रहना है या फिर इनसे बाहर भी निकलना है. अब हम अपना काम पूरा कर चुके. तो कुछ रोमांच का मज़ा आप भी लीजिए…