किसी भी धर्म को करीब से जानने का सबसे अच्छा उपाय है कि उसकी धार्मिक किताबों को पढ़ा जाए और जब बात हिन्दू धर्म की हो, तो गीता से अच्छी किताब शायद ही कोई और हो! क्योंकि गीता के बारे में कहा जाता है कि इसे साक्षात भगवान कृष्ण ने उपदेशों के रूप में कुरुक्षेत्र के मैदान में उतारा था. असलियत में भी गीता ज़िंदगी के एक सार की तरह है, जिसमें जीवन के मूल्यों को अध्यात्म का सहारा ले कर समझाया गया है. शायद इसलिए भी महात्मा गांधी को गीता इतनी प्रिय थी कि वो हर दिन इसका पाठ करते थे. गीता उन गिनी-चुनी किताबों में से एक है, जिसका लगभग हर विदेशी भाषा में अनुवाद किया गया है. आज हम आपके लिए इसी किताब में से कुछ ऐसे विचार ले कर आये हैं, जिन्हें आप भी अपने जीवन में उतार कर चिंता और मोह से छूट कर सच को जान सकते हैं.

जो हुआ अच्छे के लिए हुआ, जो हो रहा है अच्छे के लिए हो रहा है और जो होगा वो भी अच्छे के लिए होगा.

हम अकसर परेशान रहते हैं कि यार मार्क्स अच्छे नहीं आये, तो क्या होगा? रिश्तों में खटास आ गई है, अब क्या करूं? हमें एक बात समझनी होगी कि जो भी होता है उसके पीछे एक कारण होता है. अगर आप बुरे हालातों से गुज़र रहे हैं, तो उसके पीछे भी एक वजह है. हमें ये बात स्वीकार करनी होगी कि ये ही जीवन का चक्र है. पिछली बातों को याद करके हम नहीं रुक सकते और भविष्य के बारे में सोच कर परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, इसलिए अपने वर्तमान के साथ खुल कर ज़िंदगी का आनंद उठाइये.

iskon

काम कीजिये, पर फल की चिंता मत कीजिये.

आज हमारे काम करने का उद्देश्य केवल अच्छे घर, अच्छी लाइफ़ स्टाइल और भविष्य को सुरक्षित करना ही रह गया है. हम काम करने से पहले ही परिणाम के बारे में सोचने लगते हैं और जब परिणाम हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं आता, तो हम परेशान हो जाते हैं. इसलिए गीता भी कहती है कि ‘कर्म करो, फल की इच्छा मत करो.’

onlineprsad

बदलाव ही प्रकृति का नियम है.

इस बात को आप अपने जीवन में भी महसूस कर सकते हैं कि कभी भी, कुछ भी स्थिर नहीं रहता. दिन के बाद रात और रात के बाद फिर दिन. इसलिए बदलाव को स्वीकार करें और आप जो आज हैं उसे खुल कर जियें.

swamivishvenda

आत्मा न तो पैदा होती है और न ही मरती है.

जब तक हमारे मन में डर है, तब तक हम अपने लक्ष्य को नहीं पा सकते, क्योंकि डर प्रगति और सपनों को मार देता है. जिसे किसी भी चीज़ का डर नहीं है, उसे कोई भी नहीं रोक सकता. चिंता और डर हमारे शत्रु हैं, जिन्हें पीछे छोड़ कर ही हम आगे बढ़ सकते हैं.

jaghmani

हम खाली हाथ आये थे और हमें खाली हाथ ही जाना है.

हम ज़िंदगी भर चीज़ों को इकट्ठा करने के लिए भागते रहते हैं, जबकि हक़ीकत ये है कि अंत समय चिता पर हमारे साथ कुछ नहीं जाता.

indrjeet

गुस्सा, लालच और लालसा, नर्क के तीन द्वार हैं.

काम, क्रोध और लोभ को गीता ने भी बुरा माना है. काम के प्रति अधिक आकर्षण आपको भ्रष्ट करता है, तो लालच से आप कभी खुद को संतुष्ट नहीं पाते. वहीं क्रोध को गीता सोचने-समझने की शक्ति नष्ट करने वाला कहती है.

theharekrishna

आदमी अपने विश्वास से ही बनता है.

आप वो हैं, जिसके बारे में आप सोचते हैं. आपके विचार ही आपको परिभषित करते हैं. अगर आप सोचते हैं कि आप खुश हैं, तो वास्तव में आप खुश हैं. अगर आप दुखी विचारों के बारे में सोचते हैं, तो आप असल में भी दुखी होंगे. जैसे आप किसी जॉब के इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं और डरे हुए हैं, तो ज़ाहिर सी बात है आप वहां असफ़ल होंगे.

iskon

जब आप ध्यान करते हैं, तो दिमाग़ किसी दिये की लौ की तरह काम करने लगता है.

हम सब सोचते हैं कि ध्यान (मेडिडेशन) करना बड़ा ही पकाऊ काम है, पर सच ये है कि अपने जीवन के व्यस्त क्षणों में चैन के कुछ पल अपने लिए निकालिये. जैसे ही आप आंखें बंद करके इस दुनिया की भाग-दौड़ से दूर जाते हैं, तो आप अपने अंदर की शांति को तलाश लेते हैं.

youtube

जिसके मन में संदेह है उसके लिए इस दुनिया में तो क्या? इसके परे भी ख़ुशी नहीं है.

संदेह, गलतफ़हमियों को जन्म देता है. संदेह में डूबा व्यक्ति हमेशा अपने विचारों में ही खोया रहता है. अब जैसे किसी रिश्ते को ही ले लीजिये, जिसमें भरोसा नहीं, तो वो ज़्यादा दिनों तक नहीं रहता और आख़िरकार टूटने के अंज़ाम पर पहुंच जाता है.

gyanpandit

इंसान खुद ही अपना दोस्त है और खुद ही अपना दुश्मन.

अगर आप किसी परेशानी में हैं, तो केवल आप ही उससे निकलने का उपाय सोच सकते हैं. आपको अपने सवालों के जवाब खुद ही ढूंढने होते हैं, इसमें कोई और आ कर आपकी मदद नहीं कर सकता.

bhagawad

विचार चाहे छोटे हों या बड़े सबकी अहमियत होती है.

हमें इस बारे में नहीं सोचना चाहिए कि कौन-सी चीज़ हमारे लिए छोटी या बड़ी है. ये सभी चीज़ें भौतिकवादी हैं, जो हमें चिंताओं के घेरे में ला कर लालची बनाती हैं. हमेशा हमें ये सोचना चाहिए कि सभी चीज़ें बराबर हैं, जिनसे हमारी ज़िंदगी ख़ूबसूरत बनती है.

pathoes

इच्छाएं आती हैं और चली जाती हैं.

इच्छाएं आती हैं और चली जाती हैं, पर आप एक उदास गवाह की तरह उसे बस देखते रह जाते हैं. अपने अनुभव से ही आप महसूस कर सकते हैं कि आप आगे बढ़ चुके हैं, पर आपकी इच्छाएं आज भी पहले की तरह ही अधूरी हैं.

gitablog

Feature Image Source: Zeenews