जानने वाले बताते हैं कि रियल स्टेट के बिज़नेस में मुनाफ़ा बहुत होता है. तभी नटवरलाल का भी ख़ास इंट्रेस्ट था इस धंधे में, हालांकि वो छोटे-मोटे 3BHK अपार्टमेंट में डील नहीं करता था. उसके हाथों सीधे ताजमहल, लालकिला और संसद भवन का सौदा होता था.
‘नटवरलाल’, ये नाम एक वक़्त देश में बच्चे-बच्चे के ज़ुबान पर होता था, बॉलीवुड की कई फ़िल्में इससे प्रेरित हैं. भारत में ठगी का प्रयाय था नटवरलाल.
बिहार के सिवान ज़िले के बंगरा गांव में पैदा हुए मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ठग बनने से पहले पेशेवर वकील थे. नटवरलाल ने ताजमहल, लालकिला, राष्ट्रपति भवन तो बेचा ही था, देश का संसद भी बेच दिया था, साथ में सभी सांसदों को भी बोली लगा दी थी.
नटवरलाल के ऊपर 8 राज्यों में 100 से भी ऊपर मुकदमे दर्ज थे, जिसके तहत उसे 113 साल की सज़ा होनी थी लेकिन उसने मुश्किल से 20 साल क़ैद में गुज़ारे. पूरे जीवन में वो 9 बार गिरफ़्तार हुआ और हर बार हिरासत से भागने में सफ़ल रहा. एक बार तो नटवरलाल पुलिस की वर्दी चुरा कर मस्त टहलते-टहलते जेल से बाहर निकल गया था.
1996 में आखिरी बार नटवरलाल को गिरफ़्तार किया गया था तब उसकी उम्र 84 साल थी, बावजूद इसके वो पुलिस के हाथों से फिसल गया. उस वक्त नटवरलाल को इलाज के लिए कानपुर जेल से एम्स ले जाया जा रहा था. ख़राब तबियत का बहाना बना कर उसने पुलिस वालों का ध्यान भटका कर दिल्ली रेलवे स्टेशन से रफ़ु-चक्कर हो गया.
ज़िंदगी के साथ-साथ नटवरलाल ने मौत के साथ भी ठगी की है. उसके वकील ने कोर्ट में दावा किया कि नटवरलाल की मौत 25 जुलाई, 2009 को हो गई इसलिए उसके ऊपर से सभी मुक़दमे हटा देने चाहिए, लेकिन भाई गंगा प्रसाद श्रीवास्तव का कहना था कि ये मुमकिन नहीं है क्योंकि उसकी मौत 1996 में हो चुकी है.
नटवरलाल से जुड़ी एक रोचक दंतकथा भी है, जिसे आपको पढ़नी चाहिए. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद पड़ोस के गांव में थे, नटवरलाल उनसे मिलने पहुंच गया और मिलने में सफ़ल भी रहा. उसने राष्ट्रति के सामने अपने हुनर का प्रदर्शन किया और उनके हस्ताक्षर का हूबहू नकल कर दी. नटवरलाल ने राष्ट्रपति से कहा कि यदि आप एक बार कहें तो मैं भारत के ऊपर विदेशियों का पूरा कर्ज़ चुका सकता हूं और वापस कर उन्हें भारत का कर्ज़दार बना सकता हूं.