अफ्रीका हो या यूरोप, गरीब देश हो या अमीर, पिछड़ा हो या विकसित, हर जगह आज भी काले जादू की दुनिया का रुतबा कायम है. साधना और विधि-विधान के नियमों से बने इस काले साम्राज्य में हर व्यक्ति के लिए काल और मनोदशा के अनुसार सूत्र बनाये गये हैं.

कभी जिज्ञासा, तो कभी स्वार्थ और कभी परोपकार की भावना के प्रभाव में आकर इस दुनिया में तंत्रशास्त्र का विकास होता रहा. तंत्र में मुहूर्त का ख़ास महत्त्व होता है, जैसे दशहरा, नवरात्र, महाशिवरात्रि और दीपावली की रात.

देखा जाये तो दीपावली के पांच दिन चलने वाले त्योहार में हर दिन ही तंत्र साधना के लिए अच्छा मुहूर्त होता है, लेकिन फिर भी दीपावली की रात का कुछ ज़्यादा ही महत्त्व है. जीवन में आ रही बाधाओं से लेकर अपने शत्रुओं पर विजय पाने और धन प्राप्ति के लिए लोग मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन टोने-टोटकों का प्रयोग करते हैं.

दीपावली की रात मां लक्ष्मी अपनी बहन दरिद्रा के साथ पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आती हैं. उन्हें ख़ुश करने के लिए भी कई लोग इस रात को टोने करने के लिए चुनते हैं. दूसरा सबसे बड़ा कारण है, इस दिन महाअमावस्या का होना. तंत्र से जुड़े कर्मकांड हमेशा सूर्य के अभाव में रात के प्रहर में किये जाते हैं. दीपावली के दिन चंद्र का प्रभाव सबसे कम हो जाता है, ऐसे में अंधेरा अपने चरम पर होता है. ये काला अंधेरा ही काली दुनिया की लीलाओं के लिए सबसे सही समय होता है.

1. स्त्री पिशाच से बचने के लिए काली चौदस का दिन सबसे उपयुक्त होता है. किसी के घर पर अगर किसी स्त्री पिशाच का प्रभाव हो तो उसके निवारण के टोटकों के लिए यह दिन सबसे सही होता है. घर से कचरा बाहर नहीं फेकने का भी टोटका इस काल में सबसे ज़्यादा होता है. तांत्रिक लोग इस रात सिद्धि प्राप्ति के लिए मुर्दों को जगाते हैं.
2. घर में हमेशा धन की बरसात होती रहे इसलिए दीपावली की रात 12 से 4 के बीच के समय विशेष पूजा के लिए सबसे सही माना जाता है. साधक द्वारा पीले आसन पर बैठ कर पीले वस्त्र धारण किये जाते हैं. उसके बाद साधक मां लक्ष्मी को पीले वस्त्र अर्पित करता है.
उसके बाद पूजन की प्रक्रिया में कमल के फलों, विल्व पत्र, जौ, तिल और गूगल का प्रयोग किया जाता है. शास्त्रों में रचित श्रीसूक्त के 16 मंत्रों से हवन किया जाता है. इसके बाद विधिपूर्वक मां लक्ष्मी की आरती बोली जाती है. साधक इसके बाद पूजा में हुई किसी भी तरह की गलती के लिए मां से क्षमा मांगता है.

3. इस दिन मां के लिए जलाई गई जोत वाले दीपक से काजल बनाया जाता है. इस काजल को परिवार के सभी सदस्यों को लगाया जाता है. माना जाता है, इससे घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.

4. शत्रुओं का नाश करने के लिए 12 से 2 बजे के बीच विशेष पूजा का महत्त्व है. इस समय साधक मां काली की पूजा करते हैं. कुछ लोग तो इस दिन श्मशान में जाकर पूजा करने का विशेष महत्त्व मानते हैं.
5. रात के एक से चार बजे के प्रहर के बीच उल्लू की साधना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से गुप्त शत्रुओं का अंत होता है. पूजा के दौरान उल्लू के ऊपर से चावल, काली उड़द और लकड़ी को घुमा कर फेंका जाता है.

6. बिगड़े काम साधने के लिए किये जाने वाले बगलामुखी मंत्र का जाप भी इसी दिन किया जाना श्रेष्ठ माना गया है. पीले फूल, पीले वस्त्र, पीले फल, पीली मिठाई, धूप और चने की दाल मां बगलामुखी को समर्पित की जाती हैं. इसके बाद साधक हल्दी की माला से एक लाख बगलामुखी मंत्र का जाप करता है.

7. उच्च पद पाने, करियर में सफलता पाने के लिए इस रात को काली उड़द को दही में मिला कर सिरहाने रख कर सोते हैं. इसके बाद सुबह उठ कर साधक अपने ऊपर इसे घुमा कर नदी में फेंक आता है. ऐसा करने से करियर में बरकत आती है.
8. सबसे प्रसिद्ध टोटका इस दिन किया जाता है, उल्लू को पान खिलाने का. ऐसा करने से मां लक्ष्मी काफ़ी प्रसन्न होती है.
कुछ लोग जो इस दिन अपने ऊपर किये जाने वाले किसी दुष्प्रभाव से बचना चाहते हैं, वो शास्त्रीय कवच और अनेक प्रकार के सिद्ध यंत्र पहन कर अपने आप को सुरक्षित रखते हैं.

यह सारा खेल विज्ञान और अंधविश्वास की दृष्टि से देखने या समझने का नहीं है. यह तो मान्यता और विश्वास की डोर पर टिकी हुई दुनिया है. धर्म के इर्द-गिर्द घूमती इन कलाओं को भी वो ही आस्था ज़िन्दा रखे हुए है, जो धर्म या समाज को ज़िन्दा रखती है.