रंगों का हमारे मनोविज्ञान पर काफ़ी गहरा प्रभाव पड़ता है. कुछ रंग हमारे दिलो-दिमाग को सुकून देते हैं, तो वहीं कुछ रंग देखते ही मन उचट सा जाता है. हाल ही में कई रिपोर्ट्स ऐसी आई हैं, जिनके अनुसार नीले रंग को दुख और उदासी वाला बताया गया है. नीला रंग हमारे मूड पर काफ़ी नकारात्मक प्रभाव डालता है.

अब आप सोच रहे होंगे कि इंडियन क्रिकेट टीम की जर्सी से लेकर सुमद्र के पानी तक का रंग भी नीला है, तो ये रंग दुख पैदा करने वाला कैसे हो सकता है. इसलिए आज ऐसे ही कुछ कारणों की बात करते हैं, जिनकी वजह से इस रंग को इतिहास में समय-समय पर दुख की वजह बताया गया है.

ग्रीक माइथोलॉजी

ग्रीक माइथोलॉजी में नीले रंग को बारिश से जोड़ कर देखा गया है. ज़ीउस जब भी अपने चाहने वालों से गुस्सा या नाराज़ होते है, तो धरती पर तूफ़ान आते हैं. इसी तरह जब भी वो दुखी होते हैं, तो उनके आंसुओं से धरती पर बारिश होती है. नीले रंग की इस वजह से भी दुख की भावना से जोड़ कर देखा गया है.
14वीं सदी की यह महान कविता

1385 में महान कवि ‘Geoffrey Chaucer’ ने एक कविता लिखी थी. जिसकी एक पंक्ति थी, ‘Wyth teres blewe and with a wounded herte’. इस पंक्ति के अनुसार नीला रंग केवल तकलीफ़, दुख और दर्द देने वाला होता है.

‘A Classical Dictionary of the Vulgar Tongue’ (1785) के अनुसार नीला रंग तकलीफ़ और उदासी भरा होता है. इसके साथ ही इसे शैतानी आत्माओं से भी जोड़ कर देखा जाता है. यह भावनाओं को एक खालीपन की तरफ़ ले जाता है.

इसी तरह Dictionary of Americansms (1848) के अनुसार भी इसे तीव्र भावनाओं वाला बताया गया है.

ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी के अनुसार नीले शब्द की उत्पत्ति ‘Blow’ शब्द से हुई है. जब भी हमारा शरीर Blow करता है, तो हमारे शरीर का रंग नीला पड़ने लगता है. ऑक्सीजन की कमी होने या जुकाम की स्थिति में भी हमारे शरीर का रंग नीला पड़ने लगता है और ये दोनों ही परिस्थितियां किसी भी तरीके से हमारे लिए ख़ुशी देने वाली नहीं होती हैं.
सामुद्रिक परम्पराएं

समुद्र की यात्रा करने वाले नाविकों की ज़िन्दगी में भी यह रंग कुछ अच्छा नहीं समझा जाता है. पुराने समय से ही एक रिवाज यहां निभाया जा रहा है, जिसका सम्बन्ध नीले रंग से है. जब भी कोई जहाज़ अपनी यात्रा पूरी करके घर वापिस लौटता है और यात्रा में हुई किसी दुर्घटना की वजह से उसका कप्तान या कोई अधिकारी लापता हो गया हो, तो उस जहाज़ की पतवार पर नीले रंग का झंडा लगा कर रखते हैं. इस तरह यहां भी नीले रंग को दुख और ग़म के साथ जोड़ा गया है.

रंगों के विज्ञान में भी ये बताया गया है कि जब नीले रंग को ज़्यादा गहरा किया जाता है, तो यह काले रंग में बदल जाता है. काले रंग को दुनिया की अधिकतर सभ्यताओं और संस्कृतियों में दुख और तकलीफ़ से जोड़ा गया है. इसके साथ ही इसे डर और तनाव का जन्मदाता भी कहा जाता है.

लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि रंगों का प्रभाव हमारे मनोविज्ञान पर उसी तरह से पड़ता है, जिस तरह से हम उन्हें अपनाते हैं. किसी भी रंग को अगर हम किसी सकारात्मक विचार के साथ जोड़ कर देखेंगे, तो यह सकारात्मक प्रभाव डालेगा और किसी रंग को नकारात्मक भावनाओं से रिलेट करेंगे, तो नकारात्मक प्रभाव डालेगा. आप नीले रंग को किस नज़र से देखते हैं?