ज़िंदगी में कामयाब होने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ जो निरंतर प्रयास करता है, उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. असम की 17 की Jebin Kousar इसका जीता-जागता उदाहरण हैं, जिनका जन्म बिना हाथों के हुआ था. मगर उन्होंने कभी इसे अपनी कमज़ोरी नहीं माना और अपनी मज़बूत इच्छा शक्ति से 10वीं की परीक्षा में फ़र्स्ट डिविज़न हासिल की.

असम के होज़ाई ज़िले के मुरझार नाम के एक छोटे से गांव में रहती हैं Jebin Kousar. इस करिश्माई लड़की ने इस साल बोर्ड की परीक्षा अपने पैरों से लिख कर पास की है. ज्ञान ज्योति पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाली Jebin एक होनहार स्टूडेंट हैं. साथ ही आत्मनिर्भर भी. बर्तन उठाना हो या फिर स्कूल बैग, वो अपने सारे काम खु़ुद ही करती है.

इस स्कूल की प्रिंसिपल अफ़साना बेगम चौधरी ने बताया कि, 17 साल बाद इस स्कूल के छात्रों ने बोर्ड की परीक्षा में फ़र्स्ट डिवीज़न हासिल की है. हमें सभी छात्रों पर नाज़ है, ख़ासकर Jebin पर. हमने कभी उसे अपने से अलग नहीं समझा, उसके सारे क्लासमेट्स और टीचर्स ने बचपन से Jebin की हर संभव मदद की. उसके इस सफर में हम हमेशा उसके साथ रहेंगे.

Jebin को ट्रिब्यूट देते हुए उसके स्कूल ने अनोखा प्रयास किया है. इसके तहत उसके स्कूल के सभी स्टूडेंट्स के आईडी कार्ड्स के पीछे Jebin की पैर से लिखती हुई तस्वीर लगाई है. ये उन्हें हमेशा जीवन में हार न मानने की प्रेरणा देगा.

गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली Jebin के पिता किराए पर ऑटो चलाते हैं और मां हाउस वाइफ़ है. इनकी मंथली इनकम 5000 रुपये है और फै़मिली काफ़ी बड़ी. मगर इन सबसे से लड़ते हुए Jebin ने परीक्षा में 60 फ़ीसदी से अधिक अंक प्राप्त किए हैं. इससे उनके माता-पिता बहुत ख़ुश हैं. हालांकि उनकी मां उनकी आगे की पढ़ाई के ख़र्च को लेकर चिंतित रहती हैं. उनकी मदद के लिए Murajhar Guidance Junior नाम के एक ट्रस्ट ने हाथ बढ़ाया है. वो उनकी 12वीं तक की स्कूल फ़ीस का ख़र्च उठाने के लिए तैयार है.

Jebin को ड्रॉइंग करना बहुत पसंद है. वो एक बार मुंबई की सैर पर जाना चाहती हैं. वो अपनी आगे की पढ़ाई ज़िले के Mariam Ajmal College से करने वाली है. एक अच्छी टीचर बनना उसका सपना है. Jebin जिस जज़्बे के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही है, उसे देख कर ये लगता है कि उनका ये सपना ज़रूर पूरा होगा.