एक बीमारी कैसे किसी को भी समाज से बेदखल करवा सकती है, जिसका उदाहरण हैं मध्य प्रदेश के रहने वाले दो भाई, जिनका नाम है अशरफ़ ख़ान और मुश्ताक ख़ान. अशरफ़ की उम्र 10 साल है और मुश्ताक महज़ 7 साल का है.

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इन दोनों को जन्मजात Hypohidrotic Ectodermal Dysplasia नाम की एक बीमारी है, जिसके कारण उनके शरीर के अंग आम लोगों जैसे नहीं है. उनके बालों का रंग सफ़ेद है, दांतों की बनावट काफ़ी अलग है और उन्हें कई तरह की शारीरिक समस्याएं भी हैं. इस कारण गांव वाले उनके बारे में कई तरह की अजीब बातें करते हैं.

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कुछ लोग उन्हें भूत कहते हैं, तो कई उनके रूप को लेकर मज़ाक उड़ाते हैं और कुछ तो इन्हें बंदर तक बोलते हैं. पैसों की कमी के कारण उनका परिवार इस बीमारी का इलाज नहीं करवा सकता. इसलिए उनके परिवार ने कहीं भी आना जाना छोड़ दिया है.

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वही छोटा-सा स्कूल चलाने वाले बाबर ख़ान इन्हें समाज के साथ जोड़ने के प्रयास ज़रूर कर रहे हैं, लेकिन समाज इन्हें अपने साथ जोड़ना ही नहीं चाहता.

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ये बीमारी छूने से नहीं फैलती है, लेकिन समझ के अभाव के कारण वहां के लोग इन्हें अछूतों की तरह मानते हैं. बच्चों को इनके साथ खेलने नहीं दिया जाता. लेकिन सवाल ये है कि क्या ऐसा कर के हम इनके साथ गलत नहीं कर रहे? क्या इस बीमारी के कारण उन्हें समाज का हिस्सा नहीं बनने देना चाहिए? इन सवालों का जवाब ही इस समस्या का हल भी है.