परम्पराएं जब कुप्रथा में तब्दील हो जाएं तो उन्हें बैन कर दिया जाना चाहिए. परम्परा के नाम पर किसी कुप्रथा को शताब्दियों तक ढोना ठीक नहीं है, लेकिन कुछ लोग होते हैं, जो इन प्रथाओं से चिपके रहते हैं. लोग जानते हैं कि प्रथा ग़लत है, फिर भी उसे छोड़ना नहीं चाहते.
ऐसी ही एक बुल्गेरियाई कुप्रथा है ‘Trichane’.
इस विचित्र प्रथा में गांव वाले एक जगह इकट्ठे होकर, दो खम्भों के बीच में, एक कुत्ते को रस्सी से लटका कर तब तक घुमाते हैं, जब तक कुत्ता रस्सी से छूट न जाये. खम्भे के नीचे एक पानी से भरा गड्ढा होता है, जिसमें डरा-सहमा कुत्ता, चक्कर खा कर गिरता है.

कुत्ता बहुत देर तक सामान्य नहीं हो पाता. ये सब सिर्फ़ इसलिए किया जाता है, जिससे गांव को रेबीज़ और बुरी आत्माओं से बचाया जा सके. लोगों का कहना है कि इस प्राचीन प्रथा Trichane से कुत्तों को कोई शारीरिक हानि नहीं पहुंचती है. घबराए कुत्ते का डरा हुआ चेहरा देखकर, लोग ख़ुशी मनाते हैं.

2006 में आधिकारिक तौर पर बल्गेरियाई सरकार ने, इस प्रथा को बैन कर दिया था, लेकिन इस पर बने कानून के ढंग से लागू न हो पाने के कारण, लोगों ने इस कुप्रथा को, अब तक जारी रखा है. बुल्गेरिया और यूक्रेन के Animal Right Activists ने इस नृशंस प्रथा के ख़िलाफ़ आवाज़ तो उठाई, लेकिन कोई प्रभावी कानून न बन पाने की वज़ह से, किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया.

Environmentalists, लंबे समय से इस प्रथा को बंद करने की मांग करते आ रहे हैं. अब बड़ी संख्या में Animal Right Activists भी लोगों से इस नृशंस प्रथा को बैन करने के लिए, Online समर्थन मांग रहे हैं. सोशल मीडिया पर ऐसे बहुत सारे Petitions डाले गए हैं, जिनमें वहां के लोगों से इस कुप्रथा को बंद करने की मांग की गई है.