मौत एक बार जब आना है तो डरना क्या है!

हम इसे खेल ही समझा किये मरना क्या है?

क्रांतिकारी अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ान के ये लफ़्ज़ सटीक बैठते हैं हर शहीद पर जिन्होंने वतन के लिए हंसते-हंसते अपनी जान क़ुर्बान कर दी. 

हमारे बीच ही कुछ लोग ऐसे हैं जिनके देशप्रेम का लेवल इतना होता है कि उन्हें देश के आगे कुछ दिखाई नहीं देता.
भारत की कोख में ऐसे कई सपूतों ने जन्म लिया जिनके लिए ख़ुद से पहले, परिवार से पहले, देश आता है. ऐसे ही एक शख़्स हैं कैप्टन अनुज नैय्यर.  

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‘दर्द सिर्फ़ दिमाग़ में होता है, पैर में नहीं.’ 

अनुज नैय्यर के जीवन की बात उस घटना से शुरू करते हैं जो उनके प्रोफ़ेसर को भी हमेशा याद रही. अनुज को याद करते हुए उनके प्रोफ़ेसर नैय्यर ने बताया कि 10वीं में अनुज एक भयंकर दुर्घटना का शिकार हो गए थे. उनके पैर के घुटने से उंगलियों तक के Muscles बुरी तरह बाहर निकल आए थे. 16 साल की उम्र में उसने बिना Anaesthetic के 22 टांके लगवाए. उन्होंने कहा, ‘दर्द सिर्फ़ दिमाग़ में होता है, पैर में नहीं.’


28 अगस्त, 1975 को दिल्ली में प्रोफ़ेसर एस.के.नैय्यर और मीना नैय्यर के घर पैदा हुए अनुज नैय्यर. धौला कुंआ के आर्मी स्कूल के छात्र अनुज न सिर्फ़ पढ़ाई में बल्कि खेल-कूद में भी सर्वश्रेष्ठ थे. बचपन से ही अनुज में देशभक्ति की प्रबल भावना थी और वो सेना में जाना चाहते थे.  

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वो लड़का जिसे रोक पाना नामुमकिन था 

Deccan Herald को दिए एक इंटरव्यू में कैप्टन अनुज के पिता ने बताया, 

मैथ्स टीचर उसे ‘बंडल ऑफ़ एनर्जी’ कहते थे क्योंकि वो हमेशा भाग-दौड़ करता रहता था. स्कूल का बेस्ट वॉलीबॉल प्लेयर था अनुज. हम उसे ज़्यादा खेलने से मना करते क्योंकि वो हमेशा अपनी शर्ट गंदी करके लाता. उसने शर्ट उतार के खेलना शुरू किया. फिर हमने उससे कहा कि वो अपनी बनियान गंदी कर रहा है और फिर वो बनियान भी उतारकर खेलने लगा. ऐसे दिमाग़ वाले को देश के लिए जो कुछ वो करना चाहता था, उससे कोई कैसे रोक सकता था? 

-प्रोफ़ेसर एस.के.नैय्यर

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कारगिल में पोस्टिंग के दौरान पाकिस्तान की घुसपैठ 

1993 में स्कूल पास करने के बाद अनुज ने नेशनल डिफ़ेंस अकेडमी जॉएन की. 1997, 22 साल की उम्र में अनुज ने इंडियन मिलिट्री अकेडमी से ग्रेजुएशन किया और 17th Battalion, Jat Regiment में नियुक्ति हुई. अपनी रेजिमेंट में बतौर जूनियर ऑफ़िसर कारगिल में उनकी पोस्टिंग हुई. उसी वक़्त भारतीय सेना को पाकिस्ता के घुसपैठ के बारे में पता चला. भारतीय सेना ने दुश्मन को खदेड़ने में जुट गई.  

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Tiger Hill के Point 4875 को ‘आज़ाद’ करवाने का मिला ऑर्डर  

अनुज की युनिट को Point 4875 दुश्मन से हथियाने के ऑर्डर मिले. इस Point से दुश्मनों को खदेड़ना भारतीय सेना के लिए बहुत ज़रूरी था. गहरे कोहरे और फिसलन भरी बर्फ़ीली चोटियां, पाकिस्तानी सेना ने समुद्रतल से 16000 फ़ीट ऊपर Position ली हुई थी. बिना Aerial Support के इस Peak से दुश्मन को भगाना नामुमकिन था.


अनुज की चार्ली कंपनी को ये पता था जितनी देर होगी पाकिस्तानी सेना की पकड़ उतनी मज़बूत होगी. उन्होंने बिना Aerial Support के Peak 4875 को सुरक्षित करने का निर्णय ले लिया. 6 जुलाई, 1999 को कारगिल युद्ध के सबसे कठिन Mountain Warfare Campaign- Point 4875 को सुरक्षित करने की शुरुआत की.   

दुश्मन ने किया ज़ोरदार अटैक 

भारतीय सेना की टुकड़ी के आने की भनक मिलते ही दुश्मन ने दोगुनी तेज़ी से हमला किया. Automatic Fire, Mortar Shelling जैसे हथकंडे अपनाए. इस हमले में चार्ली कंपनी का कमांडर घायल हो गया. इसके बाद टीम दो हिस्सों में बंट गई, एक हिस्से को कैप्टन अनुज ने लीड किया और दूसरे को कैप्टन विक्रम बत्रा ने. 

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कैप्टन बत्रा के साथ मिलकर कैप्टन अनुज ने हमले का दिया क़रारा जवाब 

कैप्टन विक्रम (कोड नेम-शेर शाह) के साथ मिलकर कैप्टन अनुज ने दुश्मन के हमले का जवाब दिया. Hand-to-Hand Combat करके उन्होंने दुश्मन के बंकर खाली किए. दोनों वीरों ने दुश्मन को कदम पीछे लेने पर मजबूर किया.


दुश्मन के तीन Machine Guns ने भारतीय सेना के कदमों को लगभग रोक दिया था. कैप्टन अनुज की Heavy Firing ने तीनों Guns को बेकार कर दिया. अपनी सुरक्षा की परवाह किए बग़ैर कैप्टन अनुज ने अकेले ही 9 दुश्मन सिपाहियों को मौत के घाट उतारा.   

बुरी तरह घायल होने पर भी टुकड़ी को लीड करते रहे कैप्टन अनुज 

कैप्टन अनुज की युद्धनीति और सूझबुझ के कारण भारतीय सेना की टुकड़ी ने दुश्मन के 4 में से 3 बंकर का सफ़ाया कर दिया. जब टुकड़ी चौथे बंकर की तरफ़ बढ़ रही थी तब एक Rocket-Propelled Grenade सीधे कैप्टन अनुज पर आकर गिरा और वो बुरी तरह घायल हो गए.


उस वीर के दिल में ऐसी सरफ़रोशी की तमन्ना थी कि बुरी तरह घायल होने के बाद भी वो अपनी टुकड़ी का नेतृत्व करते रहे. मिशन ख़त्म करने के बाद ही कैप्टन अनुज ने मौत को गले लगाया. 

Point 4875 को सुरक्षित करने की वजह से Tiger Hill से दुश्मनों को भगाना आसान हुआ.   

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War Zone से चिट्ठियां लिखा करते थे कैप्टन अनुज 

War Zone से अनुज अपने परिवार को लगातार चिट्ठियां लिखा करते. एक बार एक रिपोर्टर ने अनुज से पूछा कि उन्होंने सेना क्यों जॉएन की, जिस पर उन्होंने कहा, 

मैं सियाचिन देखना चाहता था और ये देखना चाहता था कि सियाचिन ज़्यादा शक्तिशाली है या मैं.

-कैप्टन अनुज नैय्यर

अपनी कई चिट्ठियों में से एक में कैप्टन अनुज ने अपने पिता से ये वादा किया,  

मैं इतना ग़ैर-ज़िम्मेदार नहीं हूं कि अपनी ड्यूटी बिना पूरी किए मर जाऊं. मेरी सेना और देश ने मुझ पर काफ़ी भरोसा दिखाया है. मौत के बारे में सोचना भी बहुत बड़ी ग़लती होगी. जब तक आख़िरी दुश्मन है मैं सांस लेता रहूंगा.

-कैप्टन अनुज नैय्यर

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सगाई की अंगूठी कमांडिंग ऑफ़िसर के पास छोड़ी 

जब कैप्टन अनुज मिशन Point 4875 के लिए निकल रहे थे तब उन्होंने अपनी सगाई की अंगूठी कमांडिंग ऑफ़िसर के पास छोड़ी और कहा कि अगर वो वापस नहीं आते तो इसे उनकी मंगेतर Timmy को लौटा दें. अनुज की सगाई हो गई थी और वो अगले सितंबर में शादी की प्लानिंग कर रहे थे.  

कैप्टन अनुज नैय्यर की अद्भुत शौर्य और वीरता के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. कैप्टन अनुज कहानियों में, हमारे विचारों में हमेशा रहेंगे.