सड़क के दोनों ओर बड़े-बड़े फार्म हाउस. उन फार्म हाउसों में शहर के बड़े-बड़े रईस, जो कभी Audi, कभी BMW तो कभी Mercedes पर सवार सड़क से ऐसे गुज़रते हैं, जैसे फायर बिग्रेड की गाड़ियां इमरजेंसी में कहीं आग बुझाने जा रही हों. सड़क पर रह जाती है तो बस धूल और पीछे छूटे वो लोग, जो पैदल या साइकिलों पर हर रोज़ की तरह अपनी रोज़ी की लड़ाई लड़ने के लिए घर से निकलते हैं. पहली नज़र में ये दृश्य किसी भी बड़े शहर का लग सकता है. पर जिस शहर की मैं बात कर रहा हूं, वो है दिल्ली के पॉश इलाकों में से एक- वसंत कुंज. जहां पूर्व IAS से लेकर शहर के बड़े-बड़े अमीर लोग रहते हैं.

आम मुहल्लों की तरह होने के बावजूद यहां की सुबह थोड़ी अलग दिखाई देती है. जिसकी वजह सूरज या हवा नहीं, बल्कि महंगे कपड़े पहने और कान में हैडफोन्स लगाये वो लोग हैं, जो खूबसूरत चेहरों के साथ सड़क के किनारे जॉगिंग करते या कार दौड़ाते नज़र आते हैं. 

उनके साथ ही होते हैं नीली शर्ट और खाकी पैंट पहने सरकारी स्कूल के वो बच्चे, जिनके जूतों के तलवों में छेद हैं, फिर भी खुद में मदमस्त अपने साथियों के साथ लोगों को देखते हुए वो अपने स्कूल की तरफ जा रहे होते हैं. इसके अलावा उलटे पल्ले की साड़ियां पहने महिलाएं और किसी के द्वारा दी गई शर्ट को पहने वो मर्द होते हैं, जो बड़ी-बड़ी कोठियों और बंगलों में खाना बनाने और घर साफ़ करने जैसे छोटे-मोटे काम करते हैं.

अपने बेटे विक्की की साइकिल पर पीछे बैठ कर एक ऐसे ही घर में काम करने जा रही 35 साल की रानी देवी अपने सपनों में खोई ही थी कि पीछे आती एक तेज़ रफ़्तार Swift Dezire कार ने उन्हें टक्कर मार दी. जब तक कोई कुछ समझ पाता. विक्की साइकिल से करीब 10 फ़ीट दूर और रानी देवी कार की रफ़्तार के साथ थी. 

रफ़्तार के नशे में चूर व्यक्ति जैसे अपनी ही दुनिया में मस्त था. उसे इस बात का भी ख्याल नहीं था कि कुछ समय पहले जो मां-बेटे सुनहरे भविष्य के सपने देखते हुए काम पर जा रहे थे, अब सड़क पर मदद की गुहार लगा रहे हैं. बेहोश हो चुकी रानी देवी को मरा समझ, ड्राइवर एक पल के लिए कार से उतरा. पर जैसे ही देखा कि पीछे सड़क पर पड़ा घायल लड़का मदद के लिए हाथ उठाने लगा है, ड्राइवर फिर से अपनी कार में सवार हुआ और डर या किसी झमेले से बचने के लिए भाग निकला. 

आस-पास काम कर रहे मजदूर मदद के लिए भागे और मामले की गम्भीरता को देखते हुए एम्बुलेंस और पुलिस को बुलाया. एम्बुलेंस भी मौके पर आ पहुंची और इमरजेंसी देखते हुए पास के ही Fortis Hospital लेकर पहुंच गई. 

प्राथमिक उपचार करने के बाद हॉस्पिटल अधिकारियों ने घायल को AIIMS ले जाने के लिए कहा क्योंकि मरीज़ का परिवार इस हॉस्पिटल के खर्चे का वहन करने में असमर्थ था. मरीज़ को जैसे-तैसे AIIMS ले जाया गया, पर वहां जा कर पता चला कि Fortis द्वारा मरीज़ को सफ़दरजंग अस्पताल रेफ़र किया गया था. इसे या तो भारत का सच कहिये कि आज हम भले ही बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, पर देश का बड़ा तबका शिक्षा से वंचित है. कई बार इमरजेंसी ऐसी होती है कि सब जान कर भी दिमाग काम करना बंद कर देता है. 

खैर महिला को सफदरजंग अस्पताल में दाखिल कर लिया गया. डॉक्टरों ने भी इलाज करना शुरू किया. सर पर कई अंदरूनी चोटों और घायल पसलियों के बावजूद शायद ये महिला की जीने की इच्छा शक्ति ही थी, जो उसे जीवन की तरफ खींच रही थी.

अगली सुबह डॉक्टरों द्वारा एक और मरीज़ को महिला के साथ ही बिस्तर पर लिटा दिया गया. जब भुवनेश्वर मिश्रा (महिला के पति) ने रोष जताया तो डॉक्टरों द्वारा कहा गया कि “ये सफदरजंग है. पता है मरीजों की कितनी लम्बी लाइन रहती है यहां? रखना है तो रखो, नहीं तो लेकर चले जाओ”. 

एक पल को डॉक्टर का यह व्य्वहार किसी को भी विचलित  कर सकता है. डिग्री लेते समय जो डॉक्टर निस्वार्थ भाव से सेवा की कसमें खाता है, वो अचानक कैसे निर्दयी हो सकता है. पर इसमें सिर्फ़ डॉक्टर की गलती नहीं, प्रशासन और सरकार की भी है, जो अपने ही देश के नागरिकों के लिए मूलभूत सुविधाएं भी नहीं जुटा पाता और विश्वपटल पर बड़ी-बड़ी हुंकार भरता है. खैर, इसी बीच वो समय भी आ गया जब रानी देवी को 21 नंबर वॉर्ड से 26 नंबर वॉर्ड भेजा गया. और आख़िरकार ‘Minor Injury’ के नाम पर घर भेज दिया गया.

घर पर भी रानी देवी की हालत कोई खास नहीं सुधरी हुई है. बेटा भी कमरे के कौने में बैठा हुआ दर्द से बेचैन है. बेटी और पड़ोसन रानी देवी की मदद करने में लगे हुए हैं.  रह-रह कर दर्द से कराहने वाली रानी देवी बीच-बीच में कुछ-कुछ बड़बड़ाने लगती हैं.

इन सब को देख कर और इस घटना के बारे में बताते हुए बिहार के मुज़फ्फरपुर से आये भुवनेश्वर मिश्रा की आंखों में भी आंसू छलक आते हैं. जब केस करने के बारे में उनसे बात की गई तो उनके शब्द थे “गरीब आदमी हैं. सर, टूटी कमर मंज़ूर है साहब, पर कोर्ट-कचहरी नहीं”.

इस एक्सीडेंट ने कई बातें सामने रख दी हैं

  • क्या इतने पॉश इलाके में सड़कों पर CCTV कैमरा नहीं, जो पुलिस फुटेज लेकर अपराधी तक पहुंचे? 
  • क्या पुलिस का काम सिर्फ वायरल कंटेंट या हाई प्रोफाइल केसों को ही सुलझाने का रह गया है?
  • गरीब आदमी के लिए क्या कहीं भी कोई जगह नहीं है?

टूटी कमर और सर पर लगी चोट लिए रानी देवी का ये एक्सीडेंट कई सवालों को जहन में छोड़ता है.