आज हम आपसे कुछ बातें करेंगे बाल यौन शोषण के बारे में. एक लेखिका हैं Jayneen Sanders, जो विशेष तौर पर बच्चों को उनकी शारीरिक सुरक्षा के विषय में सशक्त बनाने के लिए किताबें लिखती हैं. उनकी कुछ फेमस बुक्स हैं, ‘Some Secrets Should Never Be Kept’, ‘My Body! What I Say Goes!’, ‘No Difference Between Us’ और ‘Pearl Fairweather, Pirate Captain’.

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कुशल लेखिका होने के साथ-साथ वो बच्चों के लिए शारीरिक सुरक्षा शिक्षा की वकालत भी करती हैं, वो अपने अनुभव शेयर करते हुए कहती हैं कि “जब मेरे बच्चे बड़े हुए और मैंने उनको स्कूल भेजना शुरू किया, तो मैंने उनके स्कूल में बच्चों को शारीरिक सुरक्षा शिक्षा (Sexual Abuse Prevention Education) के बारे में शिक्षित करने की बात कही, लेकिन इस बात को स्कूल द्वारा अनसुना कर दिया गया. आमतौर पर देखा गया है कि लोग इस तरह की बात बच्चों से करने में सहज महसूस नहीं करते हैं. तब मैंने एक लेखक के रूप में अपने कौशल का उपयोग करने का निर्णय लिया. मैंने सोचा कि अपनी इस कुशलता के ज़रिये ही मैं बच्चों के माता-पिता से इस बात पर चर्चा करूंगी कि एक सही तरीके से सही उम्र में बच्चों को इस बारे में बताना क्यों ज़रूरी है.”

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आपको बता दें कि Prevention Education के बारे में बताना फिर भी आसान होता है, लेकिन अगर बच्चा एक बार यौन शोषण का शिकार हो जाए, तो इस बारे में बात करना बेहद मुश्किल हो जाता है. क्योंकि ये दर्दनाक हादसा बच्चे के कोमल मन पर बहुत ही बुरा और नकारात्मक प्रभाव डालता है, उनकी लाइफ ही बदल जाती है.

तो आइये नज़र डालते हैं इसी से सम्बंधित कुछ बातों पर:

1. बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श (Good and Bad Touch) के बारे में बताने का सबसे सही तरीका क्या होता है?

Jayneen Sanders कहती हैं कि “मेरा मानना है कि हमें छोटी उम्र में ही अपने बच्चों से इस बारे में बात करना शुरू कर देना चाहिए. इसके साथ ही वो बताती हैं कि मेरी 5 किताब ऐसी हैं, जो बच्चों के लिए हैं, जिनमें मैंने शरीर की सुरक्षा (Body Bafety), शरीर स्वायत्तता (Body Autonomy) और लैंगिक समानता (Gender Equality) के बारे में ही बात की है. इसके बाद वो कहती हैं कि बच्चे हमेशा देखकर सीखते हैं, इसलिए बच्चों के लिए इस तरह की महत्वपूर्ण बातों को समझाने के लिए पिक्चर बुक्स सबसे बेहतर तरीका है. बच्चों के साथ-साथ उनके पेरेंट्स और टीचर्स को भी बॉडी सेफ्टी के बारे में सही जानकारी होनी बहुत ज़रूरी है. क्योंकि बच्चों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी तो उनकी ही होती है. इसके उनको बच्चों को विश्वास दिलाना होगा कि वो हर बात आकर उनको बता सकते हैं. क्योंकि कई बार बच्चे मम्मी-पापा के डर के कारण अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार को बता नहीं पाते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, यौन शोषण का शिकार हुए बच्चों में से 98% बच्चे घर में इस बारे में बताते नहीं हैं. बच्चे द्वारा यौन शोषण की बात बताने पर आपका उसके प्रति व्यवहार उसकी हालत को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसी बात को समझाने के लिए है यह किताब, जिसका टाइटल है ‘Body safety Education: A Parents’ Guide To Protecting Kids From Sexual Abuse.’

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कितने तरह के होते हैं टच?

– टच दो तरह के होते हैं: गुड टच, बैड टच.

– गुड टच वह टच होता है, जिससे तुम्हें खुशी मिलती है. जैसे कोई तुम्हें गले से लगा ले, तुमसे हाथ मिला ले, तुम्हारी पीठ थपथपा दे या हाई फाइव करे.

– दूसरी तरफ बैड टच तुम्हें परेशान करता है. इससे तुम्हें बुरा लगता है. मसलन कोई तुम्हें नोच ले, चिकोटी काट ले या किक मार दे.

2. बॉडी सेफ्टी के लिए ज़रूरी पॉइंट्स क्या हैं?

जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होता है, उसको सभी बॉडी पार्ट्स (शरीर के अंग) के नाम सही बताना चाहिए जैसे अंगूठा, उंगली, नाक, आंख आदि. इतना ही नहीं बच्चों को उनके प्राइवेट पार्ट्स (गुप्तांग) के बारे में भी सब बताना चाहिए, उनके नाम के साथ. उनको गुप्तांग का कोई ‘Pet Name’ बताने के बजाय सही नाम बताएं, फिर चाहे वो हिंदी में हो या इंग्लिश में. इस तरीके से वो आपको सही से बता पाएंगे कि उनके किस अंग को गलत तरीके से छुआ गया या उसके साथ कुछ किया गया है.

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– बच्चों को साफ़-साफ़ बताएं कि उनके स्तन, योनि, पेनिस, निचला हिस्सा आदि उनकी बॉडी के प्राइवेट (गुप्तांग) पार्ट्स हैं. एक बात ध्यान देने की है कि बच्चे का मुंह भी उसका प्राइवेट पार्ट्स में ही आता है.

– अपने बच्चे को ये भी बताएं कि किसी को भी ये अधिकार नहीं है कि वो उनके प्राइवेट पार्ट्स को छुए या उससे उनके प्राइवेट पार्ट्स को दिखाने के लिए बोले. अगर कोई भी ऐसा करता है, तो तुरंत आकर मम्मी या पापा को बताएं.

– जब बच्चा बड़ा होने लगे तो उसे ऐसे 5 लोगों के बारे में बताएं, जिनसे वो खुलकर अपनी मुश्किल के बारे में बता पाएं. ये लोग उनके सेफ्टी नेटवर्क का हिस्सा भी हो सकते हैं.

– अपने बच्चे को बताएं कि अगर कोई व्यक्ति उनसे अपने प्राइवेट पार्ट को दिखा कर उसको छूने के लिए बोले या अपने मोबाइल में ऐसी फोटोज़ दिखाए, तो वो भी गलत है. अगर कोई ऐसा करता है, तो तुरन्त उसके बारे में शिकायत करें.

– जब आप अपने बच्चे को अनुचित स्पर्श (Inappropriate Touch) के बारे में बता रहे हों, तभी उसको फीलिंग्स जैसे कि ख़ुशी, दुःख, दर्द, उत्तेजना आदि के बारे में भी बताएं. अपने बच्चों से रोज़ाना उनके स्कूल के, खेल के, पढ़ाई के बारे में बात करें. ताकि वो आपसे हर बात खुलकर करने में झिझकें नहीं.

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– बच्चों से सुरक्षा और असुरक्षा के बारे में भी बात करें. उसने यह भी पूछें कि कोई ऐसी बात जब पूरे दिन में उन्होंने खुद को असुरक्षित महसूस किया हो. या जब उनको सुरक्षा का आभास हुआ हो. बच्चों को सुरक्षित और असुरक्षित होने में अंतर समझाना बहुत ज़रूरी है.

– बच्चे को यह भी बताएं कि अगर कोई उनके साथ कुछ गलत करता है और कहता है कि ये बात किसी को बताना मत. तो ये गलत है और इसके बारे में तुरंत बताएं.

– बच्चे को ये पता होना चाहिए कि अगर वो बीमार हैं, तो डॉक्टर ज़रूरत पड़ने पर उनके प्राइवेट पार्ट को छू सकता है, लेकिन वो भी तब जब मम्मी या पापा में से कोई एक वहां पर मौजूद हो. उनको ये भी बताएं कि अगर वो अकेले हैं और कोई उनके प्राइवेट पार्ट को छूता है, तो बच्चे को अधिकार है कि वो तुरंत उसको मना करे और रुकने के लिए बोले.

2. पेरेंट्स बच्चों से इस बारे में खुले तौर पर बात करने के लिए क्या कर सकते हैं?

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छोटी उम्र से ही बच्चों से हर बारे में बात करनी चाहिए, फिर चाहे वो पढ़ाई, खेल कूद या सेक्सुअलिटी के बारे में हो. उनसे कुछ छुपाएं नहीं. क्योंकि आज का युग टेक्नोलॉजी का है. इन्टरनेट पर आज सब कुछ उपलब्ध है, बच्चे ऐसा कुछ देख सकते हैं, जिसके बारे में उनको कुछ पता नहीं है और ये उन पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है, उनको परेशान भी कर सकता है.

3. बच्चे के साथ यौन शोषण हो रहा है, इसके क्या लक्षण हैं?

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– अपने या दूसरों के गुप्तांगों के बारे में ज्यादा इंटरेस्ट दिखाने लगे.

– लगातार अपने प्राइवेट पार्ट्स तो छुए या दूसरों के प्राइवेट पार्ट्स को छूने कि कोशिश करे.

– अपने से कम उम्र के बच्चे को ‘Sex Play’ के लिए मजबूर करे. Sex Play का मतलब Oral Sex से है जो ज्यादातर एक ही उम्र के बच्चों में होता है. इन बच्चों को इसके बारे में इन्टरनेट, पोर्नोग्राफी आदि से पता चलता है.

– अगर आपका बच्चा टीनएज है और आपको लगता है कि वो Masturbation कर रहा है, तो ये चिंता का विषय है.

– बच्चा अगर अपने खिलौने के साथ उत्तेजक या आपत्तिजनक हरकतें कर रहा है, तो भी आपको सावधान हो जाना चाहिए.

– अगर इनमें से कोई भी दो लक्षण आपके बच्चे में दिख रहे हैं, तो आपको अपने बच्चे से खुलकर बात करनी चाहिए और उनको Sex के बारे में बताना चाहिए.

4. बड़े बच्चों में पाए जाने वाले लक्षण

अपने आप में खोये रहना, नशे का आदी हो जाना, आत्महत्या की बार-बार कोशिश करना, आत्म विकृति, खाना न खाना, परिवार के सदस्यों के साथ बात न करना, स्कूल न जाना, बात-बात पर गुस्सा करना, खुद को अकेला महसूस करना आदि होते हैं.

5. कैसे करें बच्चों के प्रति विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति की पहचान?

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बच्चों का यौन शोषण करने वाले लोग दिखने में सामान्य ही होते हैं, लेकिन देखा गया है कि ऐसे लोग बच्चों के साथ ज़रूरत से ज्यादा वक्त बिताते हैं और उनके साथ ज्यादा घुलने-मिलने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोगों को पकड़ना या उनकी पहचान कर पाना आसान नहीं है. कई बार ऐसे लोग आपके बेहद नजदीकी भी हो सकते हैं, जिन पर आप शक भी नहीं कर पाएंगे. बच्चों के साथ यौन शोषण करने वाले व्यक्ति उनके साथ सौदा करने की कोशिश करते हैं. वो बच्चों को डराते और धमकाते हैं कि अगर तुमने किसी को इस बारे में बताया तो मैं ये करूंगा या कुछ गलत हो जाएगा या तुम्हारे पापा गुस्से वाले हैं, गुस्सा करेंगे या घर से निकाल देंगे आदि.

जिन बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को बॉडी सेफ्टी और यौन शोषण के बारे में बताते हैं. उनके बच्चे कुछ भी गलत होने पर तुरंत अपने पेरेंट्स को अपने साथ हुआ गलत व्यवहार के बारे में बताते हैं. इसलिए सभी पेरेंट्स और टीचर्स को हमेशा गर्व के साथ इस बात को स्वीकारना चाहिए कि हम अपने बच्चों से बॉडी सेफ्टी, गुड टच, बैड टच, यौन शोषण हर बारे में बात करते हैं और हमारे बच्चे बहुत समझदार हैं. ऐसा करने से विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति आपके बच्चे से दूर रहेंगे.