आज भी कुछ कहानियां और ख़्वाहिशें अधूरी हैं. वो ख़्वाहिशें जो बचपन में हमने अपने दोस्तों के साथ संजोयीं थीं. पर वक़्त बदला और बदलते वक़्त के साथ वो सपने भी बदल गये. दोस्तों के साथ बैठते हुए आज भी जब हम बीते हुए कल को याद करते हैं, तो बस यही लगता है, यार हमारे उन सपनों का क्या? जो हमने बचपन में साथ देखे थे.
टॉपिक सपने और दोस्ती का था, तो इस पर हमने कुछ लोगों से चर्चा की. उनसे जाना चाहा कि क्या उनका भी ऐसा कोई अधूरा सपना है, जो उन्होंने अपने बेस्टफ़्रेंड के साथ देखा था. पर समय और हालातों की वजह से दोस्ती में देखे गये वो सपने अधूरे रह गए.
कुछ अधूरी ख़्वाहिशें:
1. हमने सपने देखे थे कि हम एक ही कॉलेज जाएंगे और पढ़ाई नहीं करेंगे, सिर्फ़ घूमेंगे. ये सारे सपने तो अधूरे रह गए, पर अभी भी एक सपना है कि हम जुड़वा भाई ढूंढेगे और उनसे शादी करके साथ रहेंगे.
2. मेरा और मेरी दोस्त का घर अगल-बगल था, बस बीच में एक दीवार थी. हम बोलते थे कि बड़े होकर इस घर को फिर से बनवाएंगे. ताकि एक ही जगह रहें, बार-बार आने के लिए बाहर से पूरा घूमकर न आना पड़े.
3. जब मैं 10वीं में तो हम 10 पक्के वाले दोस्त हुआ करते थे. तभी सोच लिया था कि सभी दोस्त एक साथ इंजीनियरिंग करेंगे. 12वीं पास करने तक हम सिर्फ़ 6 दोस्त रह गए. फिर सोचा कि हम 6 जिस भी कॉलेज में जायेंगे साथ ही इंजीनियरिंग करेंगे. 6 में से सिर्फ़ 1 का ही IIT में सेलेक्शन हो पाया. बस आज वो दोस्त ही हमारे उस अधूरे सपने को पूरा कर पाया है.
4. कुछ दोस्तों का सपना था साथ में कॉलेज और यूनिवर्सिटी जाने का, जो कभी पूरा नहीं होना था और न ही हुआ.
5. हम 5 दोस्त, 5th क्लास से साथ थे. स्कूलिंग एक साथ हुई, ग्रेजुएशन भी साथ किया. दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने के सपने देखते थे, ताकि हमेशा साथ रहें. पर धीरे-धीरे सब करियर के लिए अलग-अलग रास्तों पर निकल गए. मगर दोस्ती अभी भी हम पांचों की वैसी ही बरक़रार है, जैसी तब थी. अब ये दोस्ती रिश्तेदारी में बदलती है या नहीं ये तो वक़्त ही बताएगा.
6. मैं और मेरी दोस्त कहते थे कि हम एक ही मंडप में शादी करेंगे. पर ग्रेजुएशन होते ही उसकी शादी हो गई और हमारा ये सपना अधूरा रह गया.
अगर आपने भी अपने दोस्त के साथ मिल कर कोई सपना देखा था, तो कमेंट में उसे टैग करके दिल की बात बता सकते हैं.