मैं उम्र के उस पड़ाव पर हूं, जहां सिर्फ़ लॉन्ग वीकेंड का इंतज़ार होता है लेकिन स्कूल में ऐसा इंतज़ार कुछ ही दिनों का किया है. उन कुछ दिनों में एक दिन था ‘बाल दिवस’, हिन्दी में बोले तो ‘Children’s Day’.
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आप सब ने मनाया होगा या अब भी मनाते होंगे. जैसे देश में विविधता में एकता है, वैसा ही स्कूलों का हाल है. आपने पढ़ाई चाहे किसी भी स्कूल में की हो, ये 10 चीज़ें आपके स्कूल में भी होती रही होंगी. 10 न भी सही, कुछ तो ज़रूर होती होंगी.
1. चाचा नेहरू
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जिनके जन्मदिन के मौके पर Children’s Day मनाया जाता है. आज के दिन इस मौके पर बच्चों से चाचा नेहरू पर निबंध ज़रूर लिखवाए जाते थे. कुछ बच्चों के मां-बाप ज़्यादा सयाने होते थे, वो अपने बच्चों को जवाहर लाल नेहरू वाले लुक में तैयार कर स्कूल भेजते थे, गुलाब लगाकर.
2. मिठाईयां
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यहां पर स्कूलों की आर्थिक स्थिति उजागर होती थी. जो जितना पैसे वाले स्कूल में पढ़ता था, उसे उतनी ज़्यादा मिठाईयां मिलती थी. महंगा स्कूल मतलब एक पूरा नाश्ते का डिब्बा जिसमें होती अलग-अलग तरह की मिठाईयां और एक मंच. सस्ता स्कूल मतलब दो Eclairs टॉफ़ी या Maha Lacto.
3. रंग-बिरंगे कपड़े
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बाल दिवस बच्चों का दिन होता है, इसलिए इस दिन टीचर लोग बच्चों पर थोड़े महरबान हो जाते थे. एक दिन के लिए स्कूल यूनिफ़ॉर्म से आज़ादी मिल जाती थी. इस दिन के लिए सबके भीतर का मनीष मल्होत्रा बाहर निकलता था. हालांकि अब फ़ोटो देखो तो लगता है कि यार, इससे अच्छा तो स्कूल ड्रेस ही पहन लेते.
4. Teachers की Performances
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साल भर स्कूल वाले बच्चों को नचवाते-गाते रहते हैं, इस दिन मौका होता है जब बच्चे बनते हैं मुग़ल-ए-आज़म और टीचर बनते हैं अनारकली. कुछ टीचर डांस करते हैं, कुछ गाने सुनाते हैं. बच्चों को ज़्यादा मज़ा चाहिए, तो कुछ खेल भी करवा लेते हैं.
5. फ़ेस्ट
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ये सबके नसीब में नहीं होता. ऐसे कार्यक्रम उन्हीं स्कूल्स में होते थे, जो ‘बड़े’ कहे जाते हैं. जो ऐसे स्कूल में नहीं गए, उनको बता दूं कि बच्चे दुकान लगाते हैं और ख़रीदने वाले भी बच्चे ही होते हैं.
6. 14 Feb – 14 Nov का कनेक्शन
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समझ तो आप सब हेडिंग से ही गए होंगे. इस दिन स्कूल में इन दो तारीखों के आस-पास कई जोक्स बनते हैं. सबसे बुरा तो उनके साथ होता है, जिनका जन्मदिन इस तारीख को पड़ता है. शर्म से मुंह छुपाए घूमते हैं.
7. किसी और स्कूल के बच्चों को ले जाना
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कुछ स्कूल दिलदार होते हैं, वो अपने बच्चों को अपने साथ किसी दोस्त को लाने की छूट देते हैं. हालांकि बाहर के बच्चे को क्लास में आने की अनूमती नहीं होती, फिर भी इस मौके का फ़ायदा उठाकर कुछ बच्चे अपने मुहल्ले के दोस्त उठा लाते थे, तो सीनियर क्लास वाले भईया अपनी ट्यूशन वाली गर्लफ़्रेंड लेकर आ जाते थे.
8. बदमाशी के मौके
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नाम से साफ़ है कि ये दिन किसको समर्पित है. इसका फ़ायदा उठाकर बच्चे दिल खोलकर बदमाशी करते हैं, उनको पता रहता है कि आज तो बच्चु कुछ नहीं होने वाला, ज़्यादा से ज़्यादा डांट ही पड़ेगी.
Happy Children’s Day!