Sue Maughan को पहले Craniofacial Disorders के बारे में पहले अधिक जानकारी नहीं थी. 2007 में जब वो गर्भवती हुईं, तब उन्हें इसके बारे में पता चला. डेनियल उनका तीसरा बच्चा है. प्रेगनेंसी के बीसवें हफ़्ते में उन्हें पता चला कि उनके बेटे का जन्म फांक होंठ और तालु के साथ होगा.

इससे पहले उनके परिवार में किसी को ये समस्या नहीं हुई थी, उनकी पहली दो प्रेगनेंसी भी सामान्य रही थीं. पहले तो उनके पति और वो काफ़ी डर गए, पर फिर उन्होंने इसके बारे में विशेषज्ञों से बात करना शुरू किया. Great Ormond Street अस्पताल के विशेषज्ञों ने उनकी इस डर से उबरने में मदद की.

जब डेनियल का जन्म हुआ, तो वो इस समस्या से बुरी तरह प्रभावित था. जब वो तीन महीने का हुआ, तो उसका ऑपरेशन किया गया. उसकी नाक को भी इसके द्वारा ठीक किया गया. इसके बाद जब वो 6 महीने का हुआ, तब भी उसे एक सर्जरी से गुज़रना पड़ा. इसके बाद उसकी समस्या काफ़ी हद तक ख़त्म कर दी गयी.

UK में हुए इतने अच्छे इलाज को देख कर उन्होंने सोचा कि वो इस बीमारी से ग्रस्त दुनिया के अन्य बच्चों के लिए कुछ करना चाहती हैं. उन्होंने देखा कि UK में इस बीमारी का इलाज अच्छे से हो जाता है, इसलिए बच्चे यहां कम ही बच्चों को इस बीमारी के साथ जीना पड़ता है.

Smile Train नाम की एक अन्तराष्ट्रीय संस्था ऐसे बच्चों के लिए काम करती है. ये संस्था 85 विकासशील देशों में सक्रीय है. इससे पीड़ित बच्चों को खाने में, बोलने में और सांस लेने में तकलीफ़ होती है. कई देशों में तो इसके बारे में जागरूकता बेहद कम है. लोग बच्चों का इलाज ही नहीं कराते और इसे बुरे कर्मों की सज़ा मान लेते हैं. कुछ जगहों में तो इस समस्या के साथ पैदा हुए बच्चों को जन्म होते ही मार दिया जाता है और उनकी मां को परिवार से निकाल दिया जाता है.

2012 में उन्होंने इसके लिए पैसे इकठ्ठा करना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने चैरिटी के लिए माउंट Kilimanjaro पर चढ़ाई करने का सोचा. इसके द्वारा उन्होंने 8,000 यूरो की रकम इकठ्ठा कर ली, पर इसके बाद भी रुकी नहीं. 2014 में उन्होंने माउंट-एवेरेस्ट पर चढ़ कर 6,000 यूरो की रकम जुटाई.

वो चाहती हैं कि जब उनके बच्चे बड़े हों, तो वो भी इस नेक काम का हिस्स्सा बनें और लोगों की ज़िन्दगियां सुधारें.