आप जब तक प्रकृति की इज्ज़त करेंगे और उसकी रक्षा करेंगे, तभी तक आपका भी आस्तित्व रहेगा. ये कोई जंग नहीं है, जिसमें आप जीत जायेंगे और प्रकृति हार जाएगी. हम दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं. अब भी समय है, प्रकृति से प्यार करें और अपने भविष्य को हरा बनायें.  

आज से सैकड़ों साल पहले हमारे मन में प्रकृति के लिए कोई बैर नहीं था, न ही हम प्रकृति के कामों में रोक-टोक करते थे. समय जैसे-जैसे बढ़ता गया, वैसे हमारे पास साधन आते गये. साधन आते ही हम सम्पन्न तो हुए, पर प्रकृति के कामों में दखलंदाजी भी करने लगे. 19वीं सदी की शुरुआत में Arctic ग्लेशियर्स दुनिया की सबसे रहस्यमयी और अनदेखी जगहों में एक हुआ करते थे. पर इन सौ सालों में शोध से, अनुसन्धान से और शोषण से हमने Glaciers को Climate Change की वजह बना कर रख दिया.

Christian Åslund एक स्वीडिश फ़ोटोग्राफ़र हैं, जो Greenpeace के लिए काम करते हैं. उन्होंने दुनिया में कई जगहों पर जाकर तस्वीरें खींची हैं, जिनमें से Svalbard और Norway के Glaciers भी शामिल हैं. उन्होंने Norwegian Polar Institute से कुछ जगहों की पुरानी तस्वीरें जुटाई और फिर ख़ुद उस जगह जाकर वहां की तस्वीरें खींची. इसके बाद उन्होंने पिछले दस सालों में प्रकृति में हुए बदलाव को तस्वीरों के द्वारा दिखाया है. ये तस्वीरें प्रकृति की बदनसीबी और हमारे बुरे समय को सूचित करती नज़र आ रही हैं. वो अपने इस फ़ोटो कैंपेन को प्रमोट करने के लिए #MyClimateAction का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो National Geographic का Climate Change पर गंभीरता से आगे आने का कैंपेन है. इसके अलावा वो Norway के Oil कम्पनीज़ के खिलाफ़ आन्दोलन भी कर रहे हैं, क्योंकि ग्लेशियर्स के पिघलने में इनका सबसे बड़ा हाथ है.

अब आप देखिये कैसे हमने अपने हाथों प्रकृति का गला घोंटना शुरू कर दिया है.

1.

2.

3.

4.

5.

6.

7.

Source: BoredPanda