ज़िंदगी में मां की अहमियत और ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव को मुनव्वर राना ने अकसर अपने शब्दों से क़ागज़ पर उतारा है. इतना ही नहीं उन्होंने लचीली होती सामाजिक कार्यव्यवस्था और राजनीति पर व्यंगात्मक टिप्पणी करते हुए कहा था कि, ‘सियासत बांधती है पांव में जब मज़हबी घुंघरू, मेरे जैसे तो फिर घर से निकलना छोड़ देते हैं.

मां की ममता पर भावुक कर देने वाले और समाज पर तंज कसते उनके कुछ शेर आपकी ख़िदमत में पेश कर रहे हैं.




ADVERTISEMENT




ADVERTISEMENT




ADVERTISEMENT




ADVERTISEMENT


ये शेर आपको कैसे लगे, कमेंट बॉक्स में बताइगा ज़रूर?