हमारे घर में बड़े-बुज़ुर्ग रामायण को पवित्र तो मानते ही हैं, साथ ही उसकी सीख को अपने और बच्चों के जीवन में उतारने की कोशिश भी करते हैं. रामायण में भगवान राम के वनवास काल की कहानी इंसान को बुराई पर अच्छाई की जीत, विविधता में एकता, सच्चे रिश्ते-नाते, अच्छी संगति का महत्व, सच्ची भक्ति, माफ़ करना के चरित्र, सबसे समान व्यवहार करना, भगवान में विश्वास और प्यार व दया आदि कई महत्वपूर्ण सीख देती है.

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मगर रामायण सिर्फ़ एक कहानी नहीं है, बल्कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों द्वारा धर्म और कर्म का पालन करने के महत्व को समझाने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक शैक्षणिक माध्यम भी है. रामायण में कई उल्लेखित घटनाएं और उनसे मिलने वाले सबक कई प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थानों में प्रबंधन और अधिकार को पढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल किये जाते हैं.

आज हम आपके लिए रामायण की कुछ ऐसी सीख लेकर आये है, जिनको कॉर्पोरेट वर्ल्ड में लागू किया जा सकता है.

1. टीम का उत्साहवर्धन ज़रूरी है

देवी सीता की खोज में हनुमान जी का लंका जाना रामायण का वो किस्सा है, जिसमें जिसमें मैनेजमेंट के सिद्धांतों का उपयोग साफ़-साफ़ दिखाई देता है. हनुमान जी का उदेश्य लंका जाकर देवी सीता तक श्री राम जी का सन्देश पहुंचना था. जब इस बात की पुष्टि हो गई थी कि देवी सीता लंका में ही हैं, तब जामवंत जी ने बजरंगबली को उनकी ताकत और शक्तियों का एहसास करा लंका जाने के लिए प्रेरित किया.

सबक: जामवंत जी का हनुमान जी को प्रेरित करना एक अच्छे मैनेजर का सबसे अच्छा उदाहरण है, जो अपने सहकर्मियों का परिचय उनकी क्षमता से कराता है. फिर उसकी क्षमता के अनुसार कामों को करने में उसकी मदद करता है.

2. ताकत, कमज़ोरी, अवसर और खतरे का आंकलन 

लंका पहुंच कर सबसे पहले हनुमान जी ने वहां की स्थिति का पूरा विश्लेषण किया. उन्होंने लंका की ताकत और कमजोरियों का आंकलन किया. रावण के इलाके में उनके ऊपर कई तरह के खतरे थे, तो कई अवसर भी थे. हनुमान जी ने अपनी बुद्धि और कुशलता से सब कुछ समझा और उसके बाद कुछ किया.

सबक: ताकत, कमज़ोरी, अवसर और ख़तरा यानी SWOT (Strength, Weakness, Opportunities And Threats) का आंकलन आज के मैनेजमेंट का सबसे ज़रूरी हिस्सा है. सबसे पहले लक्ष्य को या जो काम दिया गया है, आपको उसको समझना ज़रूरी है. फिर, इसके लिए मानसिक रूप से तैयार होना और उसके लिए सही योजना बनाना है. सबसे बाद में अपने प्रतिद्वंदी की ताकत और कमज़ोरियों का पता लगाना ज़रूरी है और उससे सम्बंधित खतरों और अवसरों को समझना चाहिए.

3. सुनियोजित तरीके से काम करना

रामायण में सुग्रीव को काफी सुनियोजित तरीके से काम करते दिखाया गया है. रामायण के अनुसार सुग्रीव सर्वोत्तम प्रबंधकीय विशेषताओं के धनि थे. रामायण में सुग्रीव और बाली के युद्ध में उनकी जीत एक सफ़ल प्रबंधक होने की निशानी है. सुग्रीव की कुशलता को देखते ही भगवान राम ने इस युद्ध में उनकी योजना के अनुसार ही काम किया था. अगर सुग्रीव एक अकुशल मैनेजर होते, तो शायद अंगद उनके सबसे बड़े दुश्मनों में से एक होते, लेकिन बाली पुत्र अंगद उनके साथ थे.

सबक: कहा जाता है कि बिज़नेस अच्छे संबंधों से चलता है. एक सफ़ल मैनेजर वही होता है, जिसके अपने सभी एम्प्लॉईज़ और क्लाइंट्स के साथ अच्छे सम्बन्ध होते हैं. और एक सफ़ल मैनेजर ही अपनी कंपनी के लिए अच्छा काम करता है.

4. साथ काम करने वालों की अहमियत को समझना

रामायण में भगवान जितने कुशल नायक थे, रावण उतना ही बुरा था. समय-समय पर रावण ने एक अकुशल राजा होने के संकेत दिए, जिसके कारण उसके पूरे साम्राज्य का सर्वनाश हो गया. शुरुआत से ही रावण ने अपने प्रबंधकों के सुझावों को नज़रअंदाज़ किया और राम के साथ युद्ध की स्थिति में मृत्यु प्राप्त की.

सबक: एक अच्छा मैनेजर वो होता है, जो अपने प्रतिद्वंद्वियों से भी अपना काम निकाल सकता है. क्योंकि वो अपने साथ काम करने वाले लोगों के सुझावों को भी सुनता और अमल करता है. खासतौर पर तब जब कंपनी को उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है. लेकिन ये रावण का कुप्रबंधन ही था, जिसकी वजह से उसकी सेना का सबसे बुद्धिमान और कुशल सेनापति विभीषण, बीच युद्ध में उसको छोड़कर भगवान राम से जा मिला.

5. एक टीम लीडर को और लीडर्स बनाने चाहिए

लंका में माता सीता को खोजने के बाद, हनुमान जी ने अपनी इच्छानुसार, रावण की सोने की लंका जो जला कर राख कर दिया था. मगर भगवान राम हनुमान जी के इस निर्णय से काफ़ी दुखी थे. जिसके बाद हनुमान जी ने किसी भी तरह के निर्णय लेने बंद कर दिए. हनुमान जी की निर्णय लेने की क्षमताओं को सुधारने के लिए राम जी को खुद को पूरे परिदृश्य से हटाना पड़ा.

युद्ध के दौरान रावण भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक ले गया. केवल हनुमान जी के पास ही उनको बचाने की बौद्धिक और शारीरिक शक्ति थी. हनुमान जी ही राम-लक्षमण को दुष्ट रावण के चंगुल से बचाकर लाए. और हनुमान जी को अपनी शक्तियों का एहसास हुआ और हनुमान जी एक सफ़ल नायक बन पाए.

सबक: ठीक इसी तरह कॉर्पोरेट वर्ल्ड में भी एक लीडर के सामने ऐसा वक़्त आता है, जब उसको अपने जैसे कई दूसरे लीडर्स तैयार करने होते हैं. इसमें सबसे बड़ा काम होता है अपने आस-पास काम करने वालों को अच्छे और सफ़ल निर्णय लेने के प्रेरित करें ताकि आगे चलकर वो भी एक अच्छे मैनेजर बन पाए.

6. ब्रांड से बड़ा कुछ नहीं होता

रामायण में लंका तक पुल बनाने वाले घटना क्रम में जब पत्थर पानी में डूबे जा रहे थे, तब पत्थरों पर राम नाम लिखा गया, जिसके बाद भारी-भारी और बड़े-बड़े पत्थर भी पानी पर तैरने लगे थे. और आराम से कम समय में लंका तक पुल तैयार हो गया. इसके बाद कहा गया था कि राम नाम से बड़ा कोई नाम नहीं है.

सबक: पत्थर डूब रहे थे क्योंकि उनपर राम नाम अंकित नहीं किया गया था. आज के टाइम में अगर देखा जाए तो ब्रांड का नाम मार्किट में चलता है और ब्रांड से बड़ा ब्रांड के मालिक का नाम भी नहीं होता. कोई भी मैनेजर बहुत खुश होता है, जब उसको उनकी कंपनी के नाम से पहचाना जाता है.

7. कम्युनिकेशन का महत्व

रामायण के अनुसार, जब सुग्रीव ने देखा कि राक्षस से लड़ते हुए बाली एक गुफ़ा में गया और 1 साल तक राक्षस और बाली में से कोई बाहर नहीं आया, तो सुग्रीव को लगा कि शायद दोनों ने एक-दूसरे को मार दिया है. और वापस अपने राज्य किष्किंधा आकर सुग्रीव ने बाली की पत्नी तारा से विवाह कर लिया.

जब बाली वापस आया तो उसने सुग्रीव को राज सिंहासन पर बैठे देखकर सोचा कि उसके साथ धोखा हुआ है. और उसने सुग्रीव को बिना बात किये और समझे युद्ध के लिए ललकार दिया . यहां दो भाइयों सुग्रीव और बाली के बीच प्राणघातक शत्रुता का कारण आपस में बात न करना बना.

सबक: किसी भी तरह के प्रबंधन और मैनेजमेंट में कभी भी किसी भी तरह के मिस-कम्युनिकेशन को नहीं आने देना चाहिए, वरना परिणाम उम्मीद के विपरीत ही आते हैं. इसलिए एक मैनेजर को हमेशा अपने एम्प्लॉईज़ के साथ बात करते रहना चाहिए.

8. टीम में विश्वास होना ज़रूरी है

रामायण में राक्षसों की सेना देवताओं की सेना से ज़्यादा शक्तिशाली नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्होंने देवताओं और शक्तिशाली राजाओं को पराजित किया था. वहीं भगवान राम की सेना में ऐसे सैनिकों का समावेश था, जो आदिवासी जनजाति के थे, जिन्होंने कभी पहले कभी इतनी शक्तिशाली और परिष्कृत सेना का सामना नहीं किया था.

बावजूद इसके राम जी को अपनी सेना पर पूरा विशवास था. उनको अपनी सेना की क्षमताओं के बारे में सबकुछ ज्ञात था. और इसी आत्मविश्वास के बूते वानर सेना रावण की शक्तिशाली सेना पर भारी पड़ी और विजय प्राप्त की.

सबक: इससे ये सीख मिलती है कि पहले महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को निर्धारित करें और फिर अपनी टीम को उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रेरित करें.

9. अपने लिए उत्तराधिकारी तैयार करना

राजा दशरथ, राम जी को अयोध्या के राज सिंघासन पर बैठना चाहते थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था. सबसे बड़े पुत्र होने के कारण पहले से ही जनता ने राम जी को अपना राजा मान लिया था. और जब वनवास काट कर राम जी वापस अयोध्या आये थे, तब उन्होंने ही राज पाठ संभाला था. और इससे सीख लेकर राम जी ने अपने दोनों पुत्रों लव-कुश में राज्य बराबर बांटा था.

सबक: ठीक उसी प्रकार सभी कुशल प्रबंधन वाली कंपनियां भी यही सुनिश्चित करती हैं कि उनके टॉप परफ़ॉर्मर्स के करियर और भविष्य के विकास की योजना सीधे उत्तराधिकार योजनाओं से जुड़ी हो. इसलिए अच्छे लीडर्स को हमेशा अपनी टीम के बेस्ट परफ़ॉर्मर्स के स्किल्स को बढ़ाने और निखारने में मदद करनी चाहिए, ताकि उनकी अनुपस्थिति में कंपनी को कोई नुकसान न हो.

10. उपभोक्ता की ज़रूरत को समझना

जब राम जी को 14 साल का वनवास दिया गया, तो देवी सीता और अनुज लक्षमण ने भी उनके साथ जाने का निर्णय लिया. उन्होंने इस अवसर को एक चुनौती की तरह स्वीकार किया. उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वो भी आम प्रजा के साथ उनकी तरह रहकर जीवन को समझना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने ऐशो-आराम को छोड़ दिया.

सबक: आज मॉडर्न मार्केटिंग में भी पहले उपभोक्ता की ज़रूरत को समझने के लिए एक्सक्यूटिव्स लोगों से मिलते हैं. उनके विचारों और अनुभवों को समझते हैं. उसके बाद उपभोक्ता की ज़रूरत के हिसाब से प्रोडक्ट बनाते हैं.

11. क्रियान्वयन में उत्कृष्टता

माता सीता की खोज की योजना को हनुमान जी ने क्रियान्वित किया था. जिस चतुराई और ज्ञान के साथ वो सीता जी की खोज करते हैं और अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं, वो एक सफ़ल और बुद्धिमान नायक का उदाहरण है. समुद्र को पार करते वक़्त उन्होंने मैनाक पर्वत द्वारा थोड़ी देर विश्राम करने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था.

सबक: जिस तरह से हनुमान जी ने सुनिश्चित किया था कि वो माता सीता का पता लगाकर रहेंगे. ठीक उसी तरह एक मैनेजर को भी पहले अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहिए उसके बाद विश्राम करने के बारे में सोचना चाहिए. 

12. सही-ग़लत की पहचान

रामयण में रावण एक ऐसा व्यक्तित्व था जिससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है. जैसे जब रावण की पत्नी मंदोदरी, भाई विभीषण और दादा ने उससे देवी सीता को राम जी को वापस लौटाने के लिए कहा था, लेकिन उसने अपने अहंकार में उनकी एक न सुनी.

उसने उनकी बात सुनी जो उनको भगवान राम के विरूद्ध भड़का रहे थे. और यही उसके विनाश का कारण बना.

सबक: आज भी कुछ लोग अपने ईगो में बनते हुए कामों को बिगाड़ने में लगे रहते हैं और मुंह ही खाते हैं. उनके लिए रावण का अंत सबसे बड़ी सीख है.

13. एक लक्ष्य निर्धारित करना

भगवान राम जी का लक्ष्य तय था कि उनको अपनी पत्नी सीता को बचाना है और दुष्टों का नाश करना है. और यही लक्ष्य उन्होंने अपनी सेना के अंदर भी भरा था कि युद्ध का मकसद देवी सीता को रावण की कैद से आज़ाद कराना है.

सबक: आज कॉर्पोरेट वर्ल्ड में भी कंपनी के हर व्यक्ति को अपने निर्धारित लक्ष्य पर फ़ोकस करना चाहिए. अगर नीचे से लेकर ऊपर की पोज़िशन पर कार्यरत सभी लोग अपने-अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे, तो कंपनी को टॉप पर पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता है.

रामायण हिन्दू धर्म के लिए बहुत पवित्र है और इसमें सिर्फ़ जीवन ही नहीं, बल्कि जीवन के अलग-अलग पड़ावों के बारे में सीख मिलती है.

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