सिविल सर्विसेज़ का क्रेज़ पूरे भारत में है. इस नौकरी में जो रुतबा और ताकत मिलती है, वो शायद किसी और नौकरी में नहीं. लेकिन जैसे एक हाथ की सारी उंगलिया बराबर नहीं होतीं, उसी तरह से हर IAS और IPS ऑफ़िसर्स एक जैसे नहीं होते. ताकत और रूतबा आते ही कुछ ऑफ़िसर्स इसकी चकाकौंध में खो जाते हैं और अपनी ताकत का ग़लत इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क़ानून की नज़रों से किसी का भी बच पाना हर किसी के लिए मुश्किल होता है और अपने नाम और पोजिशन का ग़लत इस्तेमाल करना और भ्रष्ट्राचार फ़ैलाना इन ऑफ़िसर्स को भी पड़ा है महंगा. जो कभी अपने रुतबे का घंमड़ करते थे, आज जेल की हवा खा रहे हैं.

1. साक्षी करनावत

साक्षी करनावत पर 1999-2000 के दौरान जिला पंचायत में Chief Executive Officer पद पर नियुक्त होने के दौरान करीब 34 लाख रुपये की स्टेशनरी के नकली बिल जमा करने का आरोप लगा. ये आरोप साबित भी हुआ. इसके बाद साक्षी करनावत को कोर्ट ने 5 साल की जेल और 50 लाख रुपये का जुर्माने की सज़ा सुनाई. मध्य प्रदेश कैडर की इस ऑफ़िसर ने जेल जाने से पहले आरोप लगाया कि वो दलित जाती से आती हैं, इस कारण उन्हें फ़साया गया है. लेकिन अपने ऊपर लगे आरोप को ग़लत साबित करने के लिए उनके पास कोई भी सबूत नहीं था.

2. वाई. श्रीलक्ष्मी

CBI ने श्रीलक्ष्मी को गैरक़ानूनी तरीके से Obulapuram Mining Company को लाइसेंस देने पर गिरफ़्तार किया था. Obulapuram Mining Company एक लोकल स्टील प्लांट था. श्रीलक्ष्मी ने बताया कि उसने वही किया जो मंत्री ने कहा था. लेकिन मंत्री इस आरोप से साफ़ मुकर गए. इसके बाद CBI ने श्रीलक्ष्मी को गिरफ़्तार किया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया. उन्हें सजा काटने तक सस्पेंड भी कर दिया गया.

3. बशीर अहमद ख़ान

जम्मू- कश्मीर के Kishtwar जिले के सीनियर IAS ऑफ़िसर बशीर अहमद ख़ान ने सरकारी ज़मीन को करोड़ों पैसे ले कर बेचने की कोशिश की थी. CBI द्वारा की गई जांच के बाद बशीर को आरोपी पाया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया. इस मामले में कई और बड़े नामों का खुलासा होने की बात कही गई थी. लेकिन बशीर की गिरफ़्तारी के बाद केस ठंडे बस्ते में चला गया.

4. राकेश कुमार जैन

IAS ऑफ़िसर राकेश कुमार जैन पर 2010 में अपने जूनियर्स से ट्रांसफर के लिए पैसे मांगने का आरोप लगा था. इसके बाद उन्हें सस्पेंड भी रहना पड़ा. CBI जांच के बाद आरोप साबित हुए. राकेश कुमार पर कई और भ्रष्ट कामों में लिप्त होने के आरोप थे. CBI कोर्ट के जज ने उन्हें कई केसों में आरोपी पाया और उन्हें जेल की हवा खाने को भेज दिया गया.

5. शमीम बानु

शमीम बानु की छवि एक साफ़ और ईमानदार ऑफ़िसर के रूप में होती थी. लेकिन माइनिंग स्कैम में नाम आने के बाद जैसे ये छवि धुंधली हो गई. शमीम Karnataka Administrative Tribunal की मेंम्बर थीं और अपनी ताकत का फ़ायदा उठा कर एक कंपनी के साथ मिल कर गैरकानूनी तरीके से माइनिंग के काम करवाए थे. CBI की चार्ट शीट में जब शमीम का नाम आया, तब किसी को विश्वास नहीं हुआ. लेकिन जांच के बाद आरोप साबित हुए और शमीम को गिरफ़्तार कर लिया गया था.

6. S. Malaichamy

72 साल के इस IAS ऑफ़िसर पर आरोप लगा था कि इन्होंने खादी ग्राम उद्योग की MD की पोस्ट पर बैठ कर करीब 52 लाख रुपये का घोटाला किया था. दिल्ली हाई कोर्ट में चले इस केस में उन्हें आरोपी पाया गया और 5 साल की जेल और 10 लाख रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई.

7. बी. के. बंसल

भष्टाचार के आरोप में फंसे बंसल जी को CBI ने गिरफ़्तार किया था. पूछताछ के लिए बंसल जी के पूरे परिवार को CBI अपने ऑफ़िस ले गई थी. आरोप साबित होता देख बसंल जी ने अपने बेटे के साथ घर में आत्महत्या कर ली थी.

indianexpress

Image Source: topyaps